रांची. रांची जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष और जनजाति सुरक्षा मंच झारखंड प्रदेश के मीडिया प्रभारी सोमा उरांव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर डीलिस्टिंग बिल पास करने की मांग की है. सोमा उरांव ने कहा कि जनजातीय समुदाय के जिन लोगों ने अपनी रुढ़ि प्रथा, रीति-रिवाज को छोड़ कर ईसाई या इसलाम धर्म अपना लिया है, वैसे लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर किया जाना चाहिए. सोमा ने कहा कि डीलिस्टिंग की यह मांग बहुत पुरानी है. 1967-70 के सालोंं में स्वर्गीय कार्तिक उरांव ने सबसे पहले यह मांग उठायी थी. उन्होंने 348 सांसदों के हस्ताक्षरयुक्त बिल सदन पटल पर प्रस्तुत किया था. पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बिल को पास नही होने दिया और वह बिल आज भी जैसा का तैसा पड़ा हुआ है. उस बिल में भी यहीं प्रावधान था कि जो जनजातीय समुदाय के लोग अपनी रूढ़ि प्रथा, रीति-रिवाज छोड़ कर ईसाई या इस्लाम धर्म अपना लिया है, वैसे लोगों को अनुसूचित जनजाति न समझा जाये. सोमा उरांव ने कहा कि स्व. कार्तिक उरांव के इस आधे-अधूरे कार्य को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच पूरे देश में आंदोलनरत है. उन्होंने कहा कि नवंबर 2024 में जनजाति सुरक्षा मंच के नेतृत्व में पूरे देश से डीलिस्टिंग के मुद्दे पर बड़ी संख्या में लोग दिल्ली रवाना होंगे और धरना-प्रदर्शन करेंगे. जरूरत पड़ी तो सदन का भी घेराव करेंगे.
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