बेतिया : एमजके कॉलेज में विद्युतीकरण के लिए बिजली विभाग को जारी 18.72 लाख रुपये को लेकर अब रार मची है. बिजली विभाग के तत्कालीन जेई ने जहां कार्य पूर्ण होने की बात कह कॉलेज से एनओसी की मांग की है. वहीं प्राचार्य की ओर से कार्य की कराये गये भौतिक सत्यापन में महज 9.13 लाख का कार्य पूर्ण पाया गया है. प्राचार्य अब विभाग से 9.59 लाख रुपये वापस मांग रहे हैं. नतीजा मामला उलझ गया है. प्राचार्य प्रो.(डॉ) सुरेंद्र प्रसाद केसरी ने बताया कि वर्ष 2022-23 में ही उनकी पहल पर एमजेके कॉलेज में गुणवत्तापूर्ण विद्युतीकरण का अनुरोध किया था. जिसके लिए सहायक अभियंता के माध्यम से 63 केवीए के पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर समेत पोल लगाने और अन्य संरचनात्मक कार्य के लिए 18 लाख 72,750 रूपये का प्राक्कलन सौंप कर कॉलेज प्रशासन से अग्रिम राशि की मांग की गई. विभागीय प्राक्कलन संख्या 37 और 202 के विरुद्ध कॉलेज प्रशासन द्वारा बिना देरी के ही प्राक्कलन के विरुद्ध अग्रिम तौर पर जारी 18,72750 का भुगतान कर दिया गया. प्राचार्य प्रो. केसरी ने बताया कि टाउन वन तत्कालीन कनीय अभियंता द्वारा तैनात विभागीय संवेदक धर्मेंद्र कुमार राव द्वारा आनन फानन में कार्य पूरा कर के कॉलेज से एनओसी जारी करने का दबाव बीते साल मार्च से ही बनाया जाने लगा.प्राचार्य ने बताया कि तब उनकी अध्यक्षता में गठित 13 सदस्यीय टीम ने विद्युतीकरण का आंकलन और भौतिक सत्यापन किया. उक्त टीम में बिजली आपूर्ति के सहायक अभियंता सुशील कुमार, कनीय अभियंता राजीव कुमार सिंह भी शामिल रहे. आंकलन दल की साझा रिपोर्ट में कुल संपन्न कार्य का कुल मौद्रिक आंकलन के आधार पर करीब 9.13 लाख का कार्य पाया गया. प्राचार्य ने कहा कि 30 अगस्त 2023 को संपन्न आंकलन के बाद शेष 9.59 लाख की राशि लौटाने में आठ माह से आनाकानी जारी है. अब आजिज होकर हमने जिलाधिकारी और नॉर्थ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रबंध निदेशक तक से कॉलेज की सरकारी राशि वापस दिलाने का अनुरोध किया है. मांगी गई है जांच रिपोर्ट: कार्यपालक अभियंता नॉर्थ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी स्थानीय डिविजन के कार्यपालक अभियंता मनीष शाक्य ने बताया कि एमजेके कॉलेज में संपन्न विद्युतीकरण कार्य में नीचे के स्तर पर कुछ गलती उजागर होने पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है.इस कार्य के नियंत्री पदाधिकारी और सदर सब डिविजन बिजली आपूर्ति के सहायक अभियंता सुशील कुमार से जारी प्राक्कलन और संपन्न कार्य के बिलिंग के साथ विस्तृत प्रतिवेदन की मांग की गई है.प्राचार्य से प्राप्त आवेदन और सहायक अभियंता के प्रतिवेदन के आधार पर दोषी अधिकारी और कर्मियों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई के साथ रिपोर्ट के आधार पर राशि वापसी के विषय पर भी निर्णय किया जायेगा.
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