रांची. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय आयोजित प्रभात संवाद में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने सरकार की प्राथमिकताएं बतायी. चुनावी रणनीति पर बेबाकी से जवाब दिया. वहीं एनडीए पर खुल कर निशाना साधा. झारखंड आंदोलनकारियों के सम्मान व सहयोग राशि के सवाल पर कहा कि चार जून के बाद के इस मुद्दे पर बैठ कर गंभीरता से विचार करेंगे. मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी के सवाल पर कहा कि इस मामले में अभी जांच चल रही है. जांच के दौरान कुछ भी बोलना उचित नहीं होगा. वहीं आलमगीर के इस्तीफा के सवाल पर कहा कि हम विचार कर रहे हैं कि आगे क्या करना है. लोकसभा चुनाव से पहले हेमंत सोरेन के जेल जाने के सवाल पर कहा कि उनकी कमी खल रही है. पार्टी उनके विचारों को एकजुटता से आगे बढ़ाने का काम कर रही है. प्रस्तुत है मुख्यमंत्री से बातचीत के प्रमुख अंश.
आप झारखंड आंदोलनकारी रहे हैं, शिबू सोरेन के नेतृत्व को ताकत दी. झारखंड गठन का उद्देश्य पिछले 24 साल में कितना पूरा हुआ ?
देखिए, झारखंड अलग राज्य होने के साथ ही भाजपा इस राज्य की सत्ता में आ गयी और भाजपा लंबे समय तक सत्ता में रही. लेकिन झारखंड की परिस्थिति, सामाजिक व्यवस्था, आर्थिक व्यवस्था, शैक्षणिक व्यवस्था क्या है, उसका कभी आकलन नहीं किया. भाजपा लंबे समय तक सत्ता में रही, लेकिन राज्य का किस तरह विकास होना चाहिए, आदिवासी समाज को किस तरह की योजना चाहिए, मूलवासी को क्या चाहिए. इसको लेकर योजना लाने का काम नहीं किया. इन बुनियादी विषयों पर अब जबकि 2019 में हेमंत बाबू के नेतृत्व में सरकार बनी, तो काम शुरू किया गया. हालांकि इस सरकार के पहले दो साल कोरोना में निकल गये. जो भी समय बचा, उसमें यहां की जरूरतों के हिसाब से सामाजिक व्यवस्था, आर्थिक स्थिति और शैक्षणिक व्यवस्था का आकलन हमने किया. कई योजनाएं धरातल पर लागू भी होने लगी हैं.
दो फरवरी को आपने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. बतौर मुख्यमंत्री अपना अनुभव बतायें?
देखिए, अभी तो बहुत काम करना है. हम मानव जीवन की सुरक्षा करने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं. प्रदेश या देश में निम्न वर्ग और मध्य वर्ग भी है. स्वास्थ्य विभाग से कोई दूर नहीं हो सकता है. राज्य में रिम्स, एमजीएम जैसे बड़े अस्पताल हैं. हमने विभाग को निर्देश दिया है कि अस्पतालों में ओपीडी एक ही जगह बने, जहां खून जांच से लेकर एमआरआइ तक की व्यवस्था हो. एक ही बिल्डिंग में सारी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि किसी गरीब को भटकना न पड़े. हम ये काम करने जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग को दुरुस्त कर रहे हैं.
हेमंत सोरेन झामुमो का बड़ा चेहरा हैं. चुनाव से पहले जेल चले गये. लोकसभा चुनाव में पार्टी को इसका कितना नुकसान हुआ ?
झामुमो का संगठन गांव, पंचायत, प्रखंड, जिला और केंद्रीय समिति तक फैला है. पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन भी हमारे बीच नहीं आ रहे हैं. हमारे कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत बाबू जेल में हैं. कमी तो खल रही है. लेकिन उस कमी को पूरा करने के लिए संगठन के लोगों को जिम्मेवारी लेकर काम करना है. पार्टी के अध्यक्ष की जो सोच या विचार है और हेमंत जी ने जो शुरुआत की है, उसे लेकर आगे बढ़ रहे हैं. कमी तो खल रही है, पर संगठन के पदाधिकारी अपना दायित्व को पूरा कर रहे हैं.
राज्य सरकार को भाजपा भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लगातार घेर रही है. इसको देशभर में चुनावी मुद्दा बनाया है. इडी की कार्रवाई में मुख्यमंत्री से लेकर सरकार के मंत्री व अफसर को जेल जाना पड़ा, आप इसे किस रूप में देख रहे हैं? ये साजिश है या क्या है?
भाजपा जिन मुद्दों को लेकर सत्ता में बैठी है, उस पर बात नहीं करती. अपने विरोधियों के खिलाफ बहुत से हथकंडे अपनाती है. ऐसा स्वस्थ लोकतंत्र में नहीं होना चाहिए. वो खुद को मजबूत करने के प्रयास में ऐसा कर रहे हैं. लेकिन सफल नहीं होंगे. क्षणभर के लिए आपको परेशान कर सकते हैं, लेकिन सफल नहीं हो सकते.
मंत्री आलमगीर आलम को ग्रामीण विकास विभाग में कमीशनखोरी के आरोप में इडी ने गिरफ्तार किया है. इस पूरे प्रकरण पर क्या कहेंगे?
मामले की जांच चल रही है. जांच के दौरान इस पर कुछ भी बोलना उचित नहीं है.
हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी को लेकर नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था. आपके मंत्री आलमगीर आलम को भी इडी ने गिरफ्तार किया है. वह पद पर हैं. इसको लेकर आप क्या कहेंगे ?
पहले ऐसा नहीं होता था. अब दूसरी बात हो गयी है. अरविंद केजरीवाल 50 दिन जेल में रहे. उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया. हम विचार कर रहे हैं कि आगे क्या करना है.
आप कहते हैं कि हेमंत है, तो हिम्मत है. अब इस हिम्मत को बढ़ाने के लिए उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने भी मोर्चा संभाला है. पार्टी को उनके आने से कितना लाभ मिला ?
झामुमो एक संगठन है. पार्टी में पंचायत से लेकर प्रखंड, जिला व सेंट्रल कमेटी तक में समय-समय पर नेतृत्व परिवर्तन होता है. नया नेतृत्व आता रहा है. पार्टी नेतृत्व चुन कर जिम्मेवारी देती है. कल्पना भी आयी हैं. पार्टी उनको गांडेय विधानसभा से उपचुनाव लड़ा रही है. लेकिन, यह किसी व्यक्ति का निर्णय नहीं है. पार्टी ने उनको जिम्मेवारी सौंपी है. सीता सोरेन, लोबिन हेंब्रम, चमरा लिंडा पर भी पार्टी को ही निर्णय करना है. थोड़ा आगे-पीछे होता है, लेकिन तय पार्टी ही करेगी.
एनडीए गठबंधन के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा दमदार चेहरा है. 400 पार का नारा दे रहे हैं. इंडिया गठबंधन के सामने किस तरह की चुनौती है ?
इंडिया गठबंधन चुनौती से लड़ना जानता है. मोदी वाले 400 पार का नारा दे रहे हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी 65 पार का नारा दे रहे थे. कह रहे थे कि अबकी बार 65 पार. 65-65 चिल्ला रहे थे. 25 में रुक गये. क्या हुआ 65 के नारे का ? हमको बताइये 400 पार कहां से आयेगा. बिहार में 40 में 39 सीट जीते थे, अब वहां 45-46 जीत जायेंगे क्या ? गुजरात में सब 26 सीट जीते थे. अब इससे भी ज्यादा सीट ले आयेंगे क्या? यूपी में भी क्या पिछली बार की तरह सीट लायेंगे ? एमपी में भी सब सीट जीते थे, अब उससे ज्यादा सीट लायेंगे? जब इतनी सीट जीते थे, तो 400 पार नहीं हुआ? अब किस विश्वास से कह रहे हैं कि 400 पार होगा? 400 ही क्यों बोल रहे हैं 500-600 भी बोल सकते हैं. इतना बड़ा चुनाव है. उनके पास कोई मुद्दा नहीं है. इस बार उनका 150 भी पार नहीं होगा. ये लोग उसी जगह रोड शो करते हैं, जहां आम दिनों में भी भीड़ रहती है. जनता उनके साथ नहीं है. एक कहावत है : एक आदमी कहता था कि हम धरती देंगे. इसके लिए हमको जगह चाहिए. भाजपा वाले वैसे ही कह रहे हैं. ना उनको जगह मिलना है, ना धरती उठेगी.इंडिया गठबंधन को लोग वोट क्यों दें ?
इंडिया गठबंधन ठेकेदारी प्रथा समाप्त करना चाहती है. आज मजदूर वर्ग की कोई गारंटी नहीं ले रहा है. मजदूरों के सामने समस्या है कि रोजगार रहेगा या नहीं. देश की आजादी का 77 साल होनेवाला है. अभी तक हम लोग अपनी परेशानी के साथ खड़े हैं. झारखंड ने इन लोगों के लिए सोचना शुरू किया है. 24 साल से झारखंड बिहार से अलग है. यहां की आर्थिक स्थिति खराब है. यहां की खनिज संपदा से विश्व में नाम हो रहा है. जबकि लोग गरीब हैं. सिंचाई की व्यवस्था भी नहीं है. प्रकृति के भरोसे खेती हो रही है. अब योजना देना शुरू किया हैं. कोई बूढ़ा बाप भूख से नहीं मरे, इसके लिए पेंशन योजना शुरू की है. शिक्षा की स्थिति में सुधार का प्रयास कर रहे हैं. ऐसी शिक्षा देंगे कि आगे अनुदान की जरूरत नहीं पड़ेगी. शिक्षा का दीपक जलेगा, तो खनिज का बेहतर उपयोग हो पायेगा. यहां के खनिज का एक-दो फीसदी राशि भी राज्य के विकास में खर्च हो जाती, तो स्थिति कुछ और होती. उस दिशा में काम हो रहा है. जल्द बदलाव दिखेगा.
आपके मुख्यमंत्री काल में दो महीने लोकसभा के आचार संहिता में चले गये. फिर विधानसभा का चुनाव भी आनेवाला है. दो-तीन महीने इसमें चले जायेंगे. इतने कम समय में कुछ नया करने की क्या कार्य योजना है ?
आनेवाले दिनों में हम जनजातीय भाषा में प्राइमरी टीचर की बहाली करेंगे. क्षेत्रीय भाषा में प्राइमरी टीचर बहाल हो जायेंगे. शिक्षा, सिंचाई, स्वास्थ्य में काम करेंगे. यहां के लोगों की सामाजिक आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए काम होगा. सिंचाई की व्यवस्था सुधारनी होगी, तब किसान खुद अपने पैरों पर खड़ा हो पायेंगे.
लोकसभा चुनाव में आपकी ही पार्टी के विधायक बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं. चमरा लिंडा लोहरदगा से और लोबिन हेंब्रम राजमहल से चुनाव लड़ रहे हैं. इसको किस रूप में देख रहे हैं ?
चुनाव के समय यह सब देखने को मिलता है. इससे हमारे संगठन पर कोई प्रभाव नहीं पड़नेवाला है. परिवार में भी एक भाई कभी-कभी अलग हो जाता है. बाद में फिर परिवार की याद आती है, तो वापस आ जाते हैं. अगर उनको परिवार की याद आयेगी, तो पार्टी विचार करेगी.
राज्य गठन के बाद झारखंड आंदोलनकारियों को जो सम्मान या सहयोग मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पाया. इस पर आप क्या कहेंगे ?
कुछ आंदोलनकारियों को सम्मान राशि दी जा रही है. कुछ को चिह्नित किया गया है. यह मामला सरकार की प्राथमिकता में शामिल है. सोचे थे कि इस मुद्दे पर हम खुद अलग से बैठक करेंगे. चिह्नितीकरण आयोग से स्थिति समझेंगे. क्या मदद हो सकती है, उस पर विचार करेंगे. लेकिन, चुनाव आचार संहिता आ गया है. इस कारण समय नहीं मिल पाया. चार जून के बाद इस पर जरूर बैठक करेंगे. गंभीरता से विचार करेंगे.
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