Hajipur Lok Sabha: गंगेश गुंजन, हाजीपुर. पिछले चार दशक से सियासत के केंद्र बिंदू में रहा हाजीपुर (सुरक्षित) लोकसभा सीट हॉट सीट बना हुआ है. ऐतिहासिक व धार्मिक रूप से समृद्ध गंगा-गंडक नदी के किनारे बसे हाजीपुर की राजनीति में पिछले दशक से रामविलास पासवान का दबदबा रहा है. वर्ष 1977 से 2019 तक आठ बार उन्होंने यहां का प्रतिनिधित्व किया. 1977 व 1989 में उन्होंने सर्वाधिक मतों से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड बनाया था. हालांकि 1984 व 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वर्ष 2019 में उन्होंने अपनी विरासत अपने छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को सौंपी थी, लेकिन इस बार विरासत की सियासत की पिच से चाचा पारस आउट हो चुके हैं और भतीजे चिराग की एनडीए उम्मीदवार के रूप में इंट्री हो चुकी है. पिछले चार दशक के दौरान यह पहला मौका है, जब रामविलास पासवान की गैरमौजूदगी में चुनाव हो रहा है. हाजीपुर लोकसभा सीट से इस बार एनडीए उम्मीदवार लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान व इंडिया एलायंस उम्मीदवार राजद के शिवचंद्र राम समेत 14 उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं.
20 मई को मतदान होना है चुनाव
हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में 20 मई को मतदान होना है. चुनाव प्रचार अपने पूरे परवान पर चढ़ चुका है. एनडीए व महागठबंधन की ओर से जबर्दस्त मोर्चाबंदी है. प्रधानमंत्री मोदी की सभा के बाद यहां का चुनाव काफी दिलचस्प मोड़ पर आ गया है. हाजीपुर में विरासत को संजोये रखने तथा बदलाव, के एनडीए व महागठबंधन के बीच जोर आजमाइस चल रही है. राजनीति की पिच पर इस स्थानीय बनाम बाहरी, महंगाई, बेरोजगारी, संविधान, आरक्षण, विरासत टैक्स पर दोनों ओर से आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए मतदाताओं को गोलबंद करने में जुटे चिराग पासवान का सीधा मुकाबला पूर्व मंत्री रहे राजद के शिवचंद्र राम से है. दोनों के लिए ही यह सीट प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है. हाजीपुर की जनता इन दोनों में से किसके सिर पर जीत का सेहरा सजाती है, ये तो आने वाले वक्त बतायेगा.
दोनों ओर से की जा रही है मोर्चाबंदी
हाजीपुर लोकसभा सीट एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गयी है. चिराग जहां अपने पिता की विरासत के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं शिवचंद्र बदलाव की पटकथा लिखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग के लिए चार दिन पूर्व पीएम मोदी भी यहां जनसभा कर चुके हैं. वहीं चिराग के पक्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी समेत कई दिग्गज मंत्री-विधायक लगातार सभा कर रहे हैं. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, पूर्व मंत्री उपेंद्र कुशवाहा व जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने भी यहां से मोर्चा संभाल रखा है. वहीं इंडिया एलायंस की ओर से नेता प्रतिपक्ष पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अकेले ही यहां मतदाताओं को लामबंद करने में जुटे हैं. उनके साथ वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी भी यहां लगातार सभा व रोड शो कर रहे हैं.
समर्थकों की नाराजगी बनी चुनौती
हाजीपुर से एनडीए व इंडिया एलायंस में सीधी टक्कर के बीच अपने कोर वोटरों को अपने पक्ष में बनाये रखना व अपनों की नाराजगी को दूर करना भी एक बड़ी चुनौती है. दोनों ही ओर से एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी की हर संभव कोशिश की जा रही है. टिकट बंटवारे के बाद दोनों ही गठबंधन को अपने कद्दावार नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. जो कभी पार्टी की मजबूती के लिए काम कर रहे थे, वे अब इनके विरोध में मतदाताओं को गाेलबंद करने में जुटे हैं. दोनों ही दलों के उम्मीदवारों के समक्ष अपनों का साथ बनाये रखने की जबर्दस्त चुनौती है.
मतदाताओं की चुप्पी कर रही परेशानी
हाजीपुर में एक ओर जहां चुनाव प्रचार अपने पूरे परवान पर हैं, वहीं मतदाताओं की चुप्पी व चुनाव को लेकर उदासीनता भी उम्मीदवारों को काफी परेशान करती है. क्षेत्र के मतदाताओं की अपनी अलग-अलग राय है. तेरसिया के संजय कुमार कहते हैं केंद्र सरकार ने अच्छा काम किया है, लेकिन महंगाई व बेरोजगारी से लोग परेशान हैं. लोकतंत्र में सभी को मौका मिलना चाहिए. समय-समय पर बदलाव जरूरी है. हरौली के विक्रम कुमार कहते हैं कि वोट देने का समय आयेगा, तो देश के साथ-साथ किसान, युवा, मजदूरों के विकास व हित को ध्यान में रखकर वोट करेंगे. दिग्घी के प्रभात कुमार कहते हैं कि महंगाई व बेरोजगारी आज सबसे बड़ा मुद्दा है. युवाओं को मौका मिलना चाहिए.
उम्मीदवार का कथन
हाजीपुर मेरे लिए संसदीय क्षेत्र नहीं, बल्कि मेरा परिवार है. मेरे राजनीतिक गुरु व पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान हाजीपुर को मां कहते थे. दोनों एक-दूसरे को नई पहचान दी. जिस तरह मेरे पिता ने बेटा बनकर हाजीपुर की तरक्की के लिए कार्य किया व हाजीपुर की सेवा की, उसी तरह मैं भी यहां का बेटा-भाई बनकर हाजीपुर की सेवा करूंगा. अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा करूंगा. मेरा सौभाग्य होगा कि मैं भी अपने पिता की तरह हाजीपुर के नाम व पहचान जाउं.
-चिराग पासवान
एनडीए उम्मीदवार
मुद्दे जिन पर चढ़ न सका चुनावी रंग
- हाजीपुर शहर में सीवरेज निर्माण के चल रहे बेतरतीब कार्य जर्जर हो चुकी सड़कें.
- हाजीपुर में गंडक नदी किनारे नमामि गंगे के तहत नदी घाट के पक्कीकरण व सौंदर्यीकरण की कच्छप चाल.
- नीलगाय द्वारा हर वर्ष किसानों की मेहनत से उपजायी फसल को बर्बाद कर देना.
- चिनिया व मालभोग केले के लिए मशहूर हाजीपुर में बड़े पैमाने पर केले की खेती के बावजूद किसानों को फसल बीमा का लाभ न मिलना.
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का विकास न होना
जनता इस बार बदलाव चाहती है. यहां कि जनता अपने बेटे को सेवा का मौका देना चाहती है. आज तक हाजीपुर के नेता के सांसद नहीं बनने की वजह से यहां का जितना विकास होना चाहिए था, वह नहीं हो सका. अब तक यहां की जनका को निराशा ही हाथ लगी है. एक ओर महंगाई, बेरोजगारी बढ़ाने वाले जुमलेबाजों से जनता त्रस्त है. जनता बदलाव का मन चुकी है. मैं यहां का बेटा हूं और बेटा बनकर दिन रात सेवाभाव से हाजीपुर के विकास के लिए कार्य करूंगा.
-शिवचंद्र राम
इंडिया एलायंस उम्मीदवार