जेसीबी लगा कर पुल के नीचे से निकाला जा रहा पुराना मलवा और कचरानदी के बंद हुए मुहाने से हटायी गई गंदगी तो पहले दिन ही धारा को मिली दिशा
पूर्णिया. प्रमंडलीय मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर पूर्णिया सिटी में सूखती सौरा को बचाने की कवायद शुरू हो गई है. फिलहाल नगर निगम की ओर से सिटी काली घाट पर पुल के नीचे से पुराने पुल का मलवा और आस पास जमा कचरा को निकाल कर नदी के अवरुद्ध मार्ग को खोला जा रहा है. नगर निगम की ओर से बीते शनिवार को नदी सफाई की पहल शुरू की गई है. समझा जाता है कि आने वाले एक सप्ताह के अंदर मुहाने पर जमा कचरा और मलवा साफ हो जाएगा. वैसे, मलवा हटाने के बाद पहले दिन से ही नदी की धारा ने अपनी दिशा पकड़नी शुरू कर दी है. पूर्णिया के मेयर विभा कुमारी के साथ नगर आयुक्त भी इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. गौरतलब है कि पूर्णिया सिटी काली घाट में पहले जहां डुबाव पानी हुआ करता था वहां अभी घुटने से भी कम पानी रह गया है. यहां पुल के समीप मलवा और कचरा इतना ज्यादा जमा हो गया था कि नदी के पानी का पूरा मार्ग ही अवरुद्ध हो गया था और नदी ने नाले का आकार ले लिया था. इस मामले को एक तरफ जहां सिटी के स्थानीय नागरिकों के साथ भाजपा के युवा नेता अनंत भारती ने जिला प्रशासन तक पहुंचाया वहीं ग्रीन पूर्णिया के संस्थापक अध्यक्ष सह भाजपा नेता डा. अनिल कुमार गुप्ता ने सौरा बचाओ अभियान के सदस्यों के साथ नदी की मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के बाद जिला प्रशासन से नदी की सफाई कराने और इसके अंदर से गाद निकालने की मांग की थी. इसे गंभीरता से लेते हुए डीएम ने नगर आयुक्त को निर्देश जारी किया था. दूसरी ओर नगर निगम की बैठक में मेयर विभा कुमारी ने खुद भी नदी की सूखती धारा पर चिंता जताते हुए सफाई कराने का फैसला लिया था. शनिवार से इसकी पहल भी शुरू कर दी गई.सफाई के साथ नदी से गाद निकाला जाना भी जरुरी :
ग्रीन पूर्णिया ने निगम की इस पहल का स्वागत किया है और कहा है कि सफाई के बाद गाद निकाले जाने की मुहिम भी जरुरी है. ग्रीन पूर्णिया के अध्यक्ष डा. अनिल कुमार गुप्ता का मानना है कि कम से कम काली मंदिर के सामने सड़क पुल से रेलवे पुल के बीच नदी से गाद निकाल दिया जाए तो नदी की कुछ गहराई बढ़ जाएगी और श्रद्धालुओं को नदी स्नान में सुविधा होगी. दरअसल, बरसात के समय इस नदी में आने वाला पानी अपने साथ गाद भी लेकर आता है जिससे नदी की गहराई भी कम हो गई है और इसकी सफाई भी लाजिमी मानी जा रही है. जानकारों का कहना है कि इसके लिए प्रशासन के स्तर से भी काम कराया जा सकता है क्योंकि प्रशासन ने ही इस नदी को जल जीवन हरियाली योजना में शामिल कर रखा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है