20 मई- फ़ोटो – 4-सूखा पड़ा चेक डैम राजपुर. तेज धूप और लू से इन दिनों लगातार भूमिगत जलस्तर नीचे की ओर जा रहा है.अधिकतर सादा चापाकलों ने पानी देना बंद कर दिया है.अब सिर्फ वही चापाकल चल रहे है जो सिलेंडर वाले हैं.पानी की बढ़ती समस्या के कारण अब लोगों के बीच काफी चर्चा का विषय बना हुआ है कि जब चापाकल सुखने लगे तो गरीब लोग पानी कहां से लाये? जबकि पिछले कई वर्षो से पंचायतीराज एवं विधायक मद की राशि से सभी पंचायतों में सैकड़ों चापाकल लगाये जा चुके हैं लेकिन मामूली खराबी और रख रखाव के कारण सभी चापाकल इस समय बिल्कुल बंद पड़ गये हैं.सबसे अधिक परेशानी इन दिनों जंगली जानवरों की है.पानी के अभाव में भटकते हिरण , नीलगाय , पंक्षी गांव तक तो पहुंचते हैं. वहां भी पानी नहीं मिलने से निराश होकर भटकते रहते हैं.इस तरह का नजारा इन दिनों क्षेत्र के निकृष , , नागपुर , संगरॉव , मंगरॉव , खरगपुरा , कजरिया , ईंटवा सहित अन्य दर्जनों गांवों में देखा जा सकता है. इस क्षेत्र में पहले से मौजूद तालाब और पोखरों का भी पानी सुख गया है.नहर में भी पानी नहीं है.पानी नहीं मिलने से कहीं -कहीं तो ये जानवर मर भी रहे हैं. जल संरक्षण एवं जानवरों को पीने के लिए पिछले कई वर्षों से मनरेगा योजना से जगह-जगह चेक डैम भी बनाए गए हैं.तपिस भरी धूप में यह चेक डैम भी पूरी तरह से सूख गया है.हिरणों के लिए संरक्षित किए गए पश्चिमी क्षेत्र में इसकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस उपाय नहीं है.दिन या रात में हिरण पानी की तलाश में लगभग चार किलोमीटर दूर की सफर तय कर नदियों के किनारे पहुंचते हैं.जहां पहले से घात लगाए शिकारी आसानी से इन्हें मार गिराते हैं. इस गंभीर समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए समाज सेवी दयानंद मौर्य ,पर्यावरण संरक्षक विपीन कुमार ने बताया कि अगर सरकार इन जीव जंतुओं के संरक्षण हेतु जगह-जगह पानी की व्यवस्था नहीं करती है तो बहुत से जीव जंतु विलुप्त होने के कगार पर हो जायेंगे.साथ ही गांव में आम जनों तक पर्याप्त मात्रा में पीने लायक पानी उपलब्ध कराने के लिए बंद पड़े चापाकलों को भी मरम्मत कराकर चालू करें.अन्यथा यही स्थिति बनी रही तो लोग पानी के लिए झगड़ने लगेंगे.
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