– सात निश्चय के तहत खुले थे 20 जिलों में पारा मेडिकल कॉलेज,
लेकिन आज तक नहीं हुई बहाली
-डॉक्टर, नर्सों को प्रतिनियुक्ति पर भेज होती है पढ़ाई
संवाददाता, पटना
पटना सहित पूरे बिहार के कॉलेजों में पारा मेडिकल की पढ़ाई राम भरोसे हो रही है. हालत यह है कि अधिकांश कॉलेजों में न तो लेक्चरर हैं और न ही ट्यूटर. ऐसे में पढ़ाई करने वाले छात्रों के सामने कई तरह की परेशानियां खड़ी हो गयी हैं. दरअसल स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में बिहार में सात निश्चय योजना दो के तहत प्रदेश में पहले फेज में 20 पारा मेडिकल संस्थान 2020 में स्थापित किये गये थे, सत्र 2021 से पारा मेडिकल छात्रों का नामांकन बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा मेरिट के आधार पर होने लगा. 2024-26 सत्र में नामांकन के लिए भी प्रवेश परीक्षा की सूचना जारी की जा चुकी है. लेकिन प्रदेश के इन पारा मेडिकल संस्थानों में अब तक शिक्षक-व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं हो पायी. चार सत्रों में यहां बिना ट्यूटर और लेक्चरर के पढ़ाई हो रही है. शिक्षकों की कमी से पढ़ाई सिर्फ डिग्री लेने तक ही सीमित हो गयी है.हर साल 3000 छात्रों का होता है नामांकन
जानकारों के अनुसार प्रदेश के सभी पारा मेडिकल कॉलेजों में एक सत्र में करीब 3000 छात्रों का नामांकन होता है. करीब तीन सत्र 2021-23, 22-24, 23-25 में करीब 9000 हजार छात्रों का नामांकन हो चुका है. लेकिन आज तक उन कॉलेजों में पढ़ाने के लिए ट्यूटर-लेक्चरर की बहाली नहीं की गयी है. जिससे हजारों छात्रों के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है. इतना ही नहीं पारा मेडिकल एसोसिएशन ऑफ बिहार के प्रदेश अध्यक्ष भारत भूषण ने बताया कि कई साल से छात्र आंदोलन कर रहे हैं. जिलों के सदर अस्पतालों में छात्रों ने तालाबंदी भी की. इसके बाद विधानसभा सत्र में यह मुद्दा भी नेताओं द्वारा उठाया गया, जिसमें जल्द से जल्द नियुक्ति करने की मांग की गयी थी.सात निश्चत योजना के तहत इन जिलों में खुले थे संस्थान
राजकीय पारा मेडिकल संस्थान सहरसा, पूर्णिया, छापरा, किशनगंज, कटिहार, वैशाली, मुंगेर, बक्सर, शेखपुरा, अरवल, मधुबनी, बेतिया, पश्चिमी चंपारण आदि 20 जिलों में ये संस्थान खुले थे.डॉक्टर, नर्स के बदौलत हो रही पढ़ाई
भारत भूषण ने बताया कि इन 20 नये कॉलेजों के अलावा 15 पुराने सरकारी कॉलेज हैं, जहां पर तैनात डॉक्टर, नर्स प्रतिनियुक्ति के बाद नये कॉलेजों में जाकर छात्रों को पढ़ाते हैं. जबकि नियमानुसार पारा मेडिकल की पढ़ाई करने वाले लेक्चरर, ट्यूटर को ही पढ़ाई करानी चाहिए. उन्होंने बताया कि कॉलेज खोलने के बाद विज्ञापन निकाल बहाली करने की बात तय हुई थी. लेकिन आज तक न तो विज्ञापन निकला और न ही बहाली हुई. वहीं इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव का कहना है कि संबंधित 20 नये कॉलेजों में बहाली के लिए तैयारी की जा रही है. चुनाव के बाद विज्ञापन के माध्यम से बहाली निकालकर परेशानियों को दूर किया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है