कोलेबिरा. कोलेबिरा प्रखंड की नवाटोली पंचायत के जिल्पीटोली व नदीदीपा गांव के लोग आज भी ढिबरी युग में जी रहे हैं. प्रखंड मुख्यालय से 13 किमी व जिला मुख्यालय से 43 किमी की दूरी पर स्थित हैं यह आदिवासी बहुल दोनों गांव. चारों ओर से पहाड़ों के बीच बसे इस गांव में 50 से 55 घर हैं, जिसमें आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं. इनका मुख्य पेसा कृषि व वन उत्पाद है. गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंचने से ग्रामीण परेशान हैं. रात में उन्हें जंगली जानवरों खतरा बना रहता है. जंगली जानवर घर तक आकर उनके पालतू मवेशियों को अपना शिकार बना लेते हैं. बिजली नहीं होने के चलते छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन में भी परेशानी होती है. इधर, बिजली विभाग ने चार वर्ष पूर्व ग्रामीणों को बिजली का एक-एक मीटर थमा कर बिजली पहुंचाने की उम्मीद जगा कर खानापूर्ति कर दी है. गांव वालों ने बताया कि चार वर्ष पूर्व विभाग की तरफ से हर घरों में एक-एक बिजली का मीटर दिया गया और ठेकेदार द्वारा यह कहा गया कि एक माह के अंदर गांव में बिजली आ जायेगी, किंतु बिजली का मीटर मिले चार वर्ष से अधिक समय बीत गये, लेकिन गांव में आज तक बिजली नहीं आयी. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के वक्त विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लोग गांव पहुंचते हैं और गांव में बिजली पहुंचाने के नाम पर उनका वोट मांगते हैं. चुनाव समाप्त होते राजनेता अपने वादे भूल जाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कोलेबिरा के वर्तमान विधायक से भी विद्युतीकरण की मांग की गयी. लेकिन नतीजा सिफर निकला. इस संबंध में नवाटोली पंचायत की मुखिया कल्पना देवी ने कहा कि उनकी पंचायत के आठ टोलों में बिजली नहीं है. इसके लिए विभाग से संपर्क किया गया, तो विभाग के पदाधिकारी ने बताया कि अभी ग्रामीणों को मुफ्त में बिजली देने की कोई स्कीम हमारे पास नहीं है. इसके चलते उक्त गांवों में बिजली नहीं पहुंचायी गयी है. जैसे ही कोई नयी स्कीम आयेगी, गांव में बिजली पहुंचा दी जायेगी. गांव के लिली प्रभा, कुंवारी डुंगडुंग, वेरोनिका डुंगडुंग, एमरेंसिया डुंगडुंग, प्रभा डुंगडुंग, असीना डुंगडुंग, कालू मुंडा, सुरसेन सुरीन, जुसपा डुंगडुंग, अजीत सुरीन, बैसाखू मुंडा आदि ने उपायुक्त से गांव में जल्द से जल्द बिजली बहाल कराने की मांग की है.
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