कोलकाता.
कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभाओं की पृष्ठभूमि में राज्य से संबंधित कुछ विषयों को लेकर उन पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी से जुड़ा सीबीआइ का मामला भाजपा की वॉशिंग मशीन में धुल गया. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि क्या पीएम के पास कुड़मी समुदाय की मांगों का कोई समाधान है. क्या प्रधानमंत्री, अभिजीत गांगुली के देश विरोधी बयानों पर अपना रुख स्पष्ट करेंगे. क्या शुभेंदु अधिकारी से जुड़ा सीबीआइ का मामला भाजपा की वॉशिंग मशीन में धुल गया. उन्होंने दावा किया, ‘वोट बैंक की राजनीति करते हुए मोदी सरकार ने कुड़मी समुदाय की किसी भी मांग को स्वीकार किये बिना उनका बेशर्मी से इस्तेमाल किया है. यह समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रहा है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा 2017 में केंद्र को सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट सौंपने के बावजूद, मोदी सरकार इस मामले पर टाल-मटोल कर रही है.’कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया कि भाजपा ने कुड़मी समुदाय को इतने सालों तक धोखा क्यों दिया. क्या निवर्तमान प्रधानमंत्री कभी कुड़मी समुदाय के मुद्दे पर दिखावा करना बंद करेंगे और सही मायने में जाति जनगणना के लिए प्रतिबद्ध होंगे. क्या वह कुड़मी समुदाय की धार्मिक प्रथाओं को मान्यता देंगे.
उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गांगुली का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा से चुनाव लड़ने के लिए गांगुली के इस्तीफे ने भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं. श्री रमेश ने कहा कि अब, गांगुली की भारतीय राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्धता भी सवालों के घेरे में है. जब गांधी और गोडसे के बीच चयन करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस विकल्प के बारे में ‘सोचने के लिए समय’ की आवश्यकता होगी.उन्होंने सवाल किया कि यह ऐसे समय में विशेष रूप से चिंताजनक है, जब भाजपा के सांसद और उम्मीदवार पूरे देश में संविधान में संशोधन की बात कर रहे हैं. क्या गांधी और गोडसे के बीच चयन पर प्रधानमंत्री मोदी अपना व्यक्तिगत रुख स्पष्ट कर सकते हैं. क्या उन्हें भी सोचने के लिए समय चाहिये.
रमेश ने कहा कि अप्रैल 2017 में सीबीआइ ने नारदा घोटाले के सिलसिले में तत्कालीन तृणमूल कांग्रेस सांसद शुभेंदु अधिकारी के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की थी. अप्रैल 2019 में सीबीआई ने लोकसभा अध्यक्ष से उनके ख़िलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी. दिसंबर 2020 में वह भाजपा में शामिल हो गये और सीबीआइ को उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष की मंजूरी नहीं मिली.उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री इस पर कुछ बोलेंगे कि इन नेताओं के खिलाफ सीबीआइ और ईडी की कार्रवाई क्यों रोकी गयी है. जब पश्चिम बंगाल में उनकी वॉशिंग मशीन स्पष्ट रूप से पूरे जोरों पर है, तो भाजपा भ्रष्टाचार मिटाने का दिखावा कैसे कर सकती है.
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