बुद्ध पूर्णिमा पर गुरुवार को विभिन्न गंगा तटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. साथ ही बूढ़ानाथ, शिव शक्ति मंदिर, भूतनाथ, मनसकामनानाथ आदि मंदिरों में पूजन के लिए श्रद्धालु जुटेंगे. ज्योतिषाचार्य पंडित आरके चौधरी ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा का हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के भगवान बुद्ध व कश्यप के रूप में अवतार लेने की मान्यता है. इस दिन चंद्रमा अन्य पूर्णिमा से अधिक प्रकाशमान होता है. खगोलीय दृष्टि से भी चंद्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है. इस दिन लोगों के गंगा स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन करने और घड़ा, पंखा, चप्पल, छाता समेत गरमी से बचाव करने वाले सामान का दान करने का महत्व है.
बुद्ध पूर्णिमा तिथि 22 मई की शाम 5:57 से 23 मई शाम 6:41 मिनट तक
पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि इस दिन श्रद्धालु अपने-अपने पितरों को भी जल देते हैं. बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म, ज्ञान मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. बुद्ध पूर्णिमा तिथि 22 मई की शाम 5:57 मिनट पर शुरू होगी और समापन 23 मई गुरुवार के दिन शाम 6:41 मिनट पर होगा. बुद्ध पूर्णिमा 23 मई गुरुवार को मनायी जायेगी. इस बार बुद्ध पूर्णिमा पर गजलक्ष्मी राजयोग बनने जा रहा है. इधर गौतम बुद्ध के अनुयायी मुकेश कुमार ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व इसलिए है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म, निर्वाण ज्ञान प्राप्ति, महा परिनिर्वाण मृत्यु हुई थी. इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाने लगा. इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के लोग नहीं के बराबर हैं, जबकि एक समय विक्रमशिला विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा रही थी.
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