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Income Tax Slab: पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में कौन सबसे अधिक फायदेमंद, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

New or Old Tax Regime: ध्यान देने वाली बात यह है कि आयकर विभाग ने नई कर व्यवस्था को बाई डिफॉल्ट कर दिया है. अगर कोई व्यक्ति पुरानी कर व्यवस्था को ऑप्ट (चयन) नहीं किया, तो वह ऑटोमेटिकली नई कर व्यवस्था में चले जाएंगे.

New or Old Tax Regime: अगर आप आयकर रिटर्न (आईटी रिटर्न) दाखिल करते समय टैक्स में छूट पाना चाहते हैं, तो इससे पहले आपको नई और पुरानी कर व्यवस्था के तहत मिलने वाली छूटों के बारे में जान लेना चाहिए. इस यह पता चल जाएगा कि करदाताओं को नई कर व्यवस्था के तहत आईटी रिटर्न दाखिल करने से टैक्स में छूट का कितना लाभ मिलेगा और पुरानी व्यवस्था के तहत कितना फायदा होगा. इसकी जानकारी हासिल हो जाने के बाद नई और पुरानी कर व्यवस्था को चुनने में सहूलियत होगी. आइए, जानते हैं कि नई कर व्यवस्था और पुरानी कर व्यवस्था के तहत मिलने वाली छूट पर एक्सपर्ट क्या कहते हैं.

नई कर व्यवस्था के तहत छूट

टैक्स मैनेजर सुरेंद्र पंडित ने कहा कि नई कर व्यवस्था के तहत नौकरी-पेशा व्यक्ति अगर आईटी रिटर्न दाखिल करने जा रहा है, तो उसे 50,000 रुपये तक की सैलरी पर नई कर व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत छूट मिलेगी. इसके अलावा, इसी स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत 15,000 रुपये तक की फैमिली पेंशन पर छूट का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि नई टैक्स व्यवस्था में कारोबारियों के लिए नॉर्मल डिप्रेशिएशन (आयकर की धारा 32), एनपीएस एम्प्लॉयर के लिए आयकर की धारा 80सीसीडी (2), अग्निवीरों के सेक्शन आयकर की धारा 80सीसीएच और नए एम्प्लॉयीज के लिए आयकर की धारा 80जेजेएए के तहत छूट दिए जाने का प्रावधान है.

नई कर व्यवस्था के तहत किस पर नहीं मिलेगी छूट

सुरेंद्र पंडित ने आगे बताया कि नई कर व्यवस्था में नौकरी-पेशा लोगों को आयकर की धारा 16 (ii) के तहत इंटरटेनमेंट टैक्स और धारा 16 (iii) के तहत प्रोफेशनल टैक्स में छूट का प्रावधान नहीं है. इसके अलावा, नई कर व्यवस्था में हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए), लीव ट्रेवल अलाउंस (एलटीए) और अन्य प्रकार के अलाउंस पर छूट नहीं मिलेगी. इसके साथ ही, नई कर व्यवस्था में आयकर की धारा 80सी, 80डी और 80जी के तहत भी छूट नहीं मिलेगी.

पुरानी कर व्यवस्था में क्या है छूट का प्रावधान

उन्होंने कहा कि पुरानी कर व्यवस्था में आईटी रिटर्न दाखिल करते समय नौकरी-पेशा और कारोबारियों को 50,000 रुपये तक की सैलरी पर नई कर व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत छूट, 15,000 रुपये तक की फैमिली पेंशन पर छूट, नॉर्मल डिप्रेशिएशन (आयकर की धारा 32), एनपीएस एम्प्लॉयर के लिए आयकर की धारा 80सीसीडी (2), अग्निवीरों के सेक्शन आयकर की धारा 80सीसीएच और नए एम्प्लॉयीज के लिए आयकर की धारा 80जेजेएए के तहत छूट दिए जाने का प्रावधान है. इसके अलावा, नौकरी-पेशा लोगों को आयकर की धारा 16 (ii) के तहत इंटरटेनमेंट टैक्स और धारा 16 (iii) के तहत प्रोफेशनल टैक्स में छूट, हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए), लीव ट्रेवल अलाउंस (एलटीए) और अन्य प्रकार के अलाउंस पर छूट और धारा 80सी, 80डी और 80जी के तहत भी छूट दी जाएगी.

क्या करे टैक्सपेयर और क्या न करे

सुरेंद्र पंडित करदाताओं को सलाह देते हैं कि नई कर व्यवस्था में टैक्स का स्लैब रेट कम कर दिया गया है. नई व्यवस्था में आने से फायदा यह है कि अगर आप कुल 4 लाख 4.5 लाख रुपये की छूट का दावा करते हैं, तब आपको पुरानी कर व्यवस्था में रहने में फायदा है. अब ये 4.5 लाख में क्या है? तो 80सी में 1.5 लाख रुपये, 80डी में 50,000 रुपये, एनपीएस में 50,000 रुपये और 2 लाख रुपये हाउसिंग रेंट के इंट्रेस्ट को मिलाकर 4.5 लाख रुपये की छूट दावा करना होगा, तब किसी को पुरानी कर व्यवस्था को चुनने में फायदा है, अन्यथा आम लोगों के लिए नई कर व्यवस्था फायदेमंद है.

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पुरानी व्यवस्था में बने रहने के लिए वक्त आईटीआर करें फाइल

चार्टर्ड अकाउंटेंट विनोद बंका बताते हैं कि ध्यान देने वाली बात यह है कि आयकर विभाग ने नई कर व्यवस्था को बाई डिफॉल्ट कर दिया है. अगर कोई व्यक्ति पुरानी कर व्यवस्था को ऑप्ट (चयन) नहीं किया, तो वह ऑटोमेटिकली नई कर व्यवस्था में चले जाएंगे. ऐसी स्थिति में जो आयकर में बड़ी छूट लेते हैं, उनको नहीं मिलेगा. उन्हें ऑप्शन से पहले ऑप्ट करना होगा. इसलिए, आईटी रिटर्न दाखिल करने से पहले ही आपको पुरानी कर व्यवस्था को ऑप्ट करना होगा. इतना ही नहीं, पुरानी कर व्यवस्था में बने रहने के लिए समय पर आईटी रिटर्न दाखिल करना जरूरी है.

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