Banka news : विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले की शुरुआत में महज 60 दिन शेष बचे हैं. बांका जिले के कांवरिया मार्ग के किनारे विभिन्न तरह के शिविर व दुकान लगानेवाले लोग अपनी जगह को चिह्नित करने व किराये पर लेने के लिए बुकिंग भी कराने लगे हैं. कुछ दुकानदार अपनी दुकानें लगाने के लिए बांस आदि भी गिराने लगे हैं. हालांकि, अभी कांवरिया मार्ग पर जिला प्रशासन द्वारा किसी तरह की तैयारी शुरू नहीं की गयी है.
साल का सबसे पवित्र माह सावन
इस साल सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई यानि सोमवार के दिन से ही हो रही है और 19 अगस्त यानि सोमवार के दिन ही समाप्त हो रही है. साथ ही इस बार सावन माह दो दुर्लभ संयोगों से भरा हुआ है. पहला तो इस बार श्रावण मास की शुरुआत सोमवार के पवित्र दिन से शुरू हो रही है. दूसरा इस बार पूरे सावन में पांच सोमवार का व्रत पड़ रहा है. शास्त्र के अनुसार, हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष धार्मिक महत्व होता है. सावन माह को साल का सबसे पवित्र महीना माना जाता है. श्रावण में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा बहुत श्रद्धा और भक्ति भाव से की जाती है.
इस साल का सावन माह श्रद्धालुओं के लिए होगा विशेष
इस साल का सावन बहुत खास है, क्योंकि इसकी शुरुआत ही भगवान शिव के दिन यानी सोमवार से हो रही है. साथ ही सोमवार को प्रीति आयुष्मान योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. इसको लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी इस योग में शिव व माता-पार्वती की पूजा-अर्चना करता है, उसको कई गुना फल की प्राप्ति होती है. इस साल का श्रावण मास 22 जुलाई से शुरू होगा और 30 दिन यानी लगभग एक महीने बाद 19 अगस्त को खत्म होगा. इस पावन मास में श्रद्धालु भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. श्रावण मास में ज्यादातर श्रद्धालु सोमवार के दिन व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं. अधिकतर अविवाहित लड़कियां श्रावण के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखती हैं. ज्यादातर लड़कियां मनचाहा पति पाने के लिए सोमवार व्रत करती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. श्रावण के दौरान कांवर यात्रा भी बहुत प्रसिद्ध है. इस दौरान श्रद्धालु पवित्र गंगा में स्नान कर कांवर में गंगाजल भरकर पैदल कांवर यात्रा की शुरुआत करते हैं और भगवान शिव व माता पार्वती पर जलाभिषेक करते हैं.
समुद्र मंथन से जुड़ा है श्रावण का महत्व
बौंसीगुरुधाम के पंडित गोपाल शरण ने बताया कि हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय निकले सारे जहर को भगवान शिव ने पी लिया था. ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि वह विष इतना खतरनाक था कि वह पूरी दुनिया को खत्म कर सकता था. भगवान शिव ने सारे विष को पीकर दुनिया और जीव-जंतुओं को बचा लिया, पर वह जहर उनके गले में ही रह गया. इसी वजह से उन्हें नीलकंठ कहा जाता है. इसके बाद सभी देवी-देवताओं और राक्षसों ने भगवान शिव को गंगाजल और दूध पिलाया, ताकि जहर का असर कम हो सके. यही कारण है कि श्रावण में लोग दूर-दूर से गंगाजल लाकर भगवान शिव को चढ़ाते हैं.
इस दिन से होगी सावन माह की शुरुआत
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई से होगी. हालांकि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 47 मिनट पर शुरू हो जाएगी. यह अगले दिन 22 जुलाई को 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 22 जुलाई से सावन माह की शुरुआत होगी. इसके साथ ही 19 अगस्त को सोमवार के दिन समापन होगा.
किस-किस तिथि को पड़ रहा है सोमवारी व्रत
सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार 29 जुलाई
सावन का तीसरा सोमवार 05 अगस्त
सावन का चौथा सोमवार 12 अगस्त
सावन का पांचवां सोमवार 19 अगस्त