सरायकेला. गम्हरिया प्रखंड की बड़ा कांकड़ा पंचायत अंतर्गत सोखाडीह गांव के 40 परिवार आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. जिला मुख्यालय से महज दो किमी की दूरी पर अवस्थित सोखाडीह गांव की आबादी करीब 800 है. गांव में न पक्का रास्ता है, न पेयजल की व्यवस्था. भीषण गर्मी में लोग सोलर जलमीनार (टंकी में नीचे से छेद हो चुका है), दो चापाकल और एक कुआं के भरोसे हैं. पेयजल के लिए सुबह से महिलाओं को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है.
जलमीनार की टंकी में छेद, नहीं टिकता पानी
सोखडीह गांव में पेयजल की समस्या दूर करने के लिए करीब पांच साल पहले मुखिया के फंड से सोलर जलमीनार लगायी गयी. वर्तमान में जलमीनार की टंकी में नीचे से छेद हो गया है. इसके कारण सारा पानी नीचे गिर जाता है. दिन में ग्रामीणों को पानी की आवश्यकता होती है, तो जलमीनार चालू कर आवश्यकता को पूरा करते हैं. मोटर बंद होने के साथ टंकी में जमा पानी भी थोड़ी देर में नीचे गिर जाता है. रात में ग्रामीणों को पेयजल के लिए एक चापाकल के भरोसे रहना पड़ता है.
गांव के छह कुओं में एक ही कामयाब
गांव में पेयजल के लिए छह कुआं है. वर्तमान में मात्र एक कुआं कामयाब है, जहां से ग्रामीण पानी की आवश्यकता को पूरा करते हैं. पांच कुआं सूखने के कगार पर हैं. एक कुआं कामयाब है, जिसमें घास और पेड़ उग गये हैं. इसके कारण बहुत जल्द कुआं उपयोग के लायक नहीं रहेगा.
गांव में नहीं पहुंची नल-जल योजना
ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए सरकार नल-जल योजना चला रही है. सोखाडीह गांव में नल-जल योजना नहीं पहुंची है. इसके कारण ग्रामीणों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है.
गांव में नहीं है पक्का रास्ता, बरसात में परेशानी
गांव में जाने के लिए अबतक पक्का रास्ता नहीं है. करीब 10 साल पहले गांव के रास्ते को ईंट से सोलिंग कराया गया था. फिलहाल ईंट पूरी तरह टूट गयी हैं. रास्ते पर जगह-जगह गड्ढे बन गये हैं. बरसात में ग्रामीणों को गांव में आने-जाने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
40 परिवारों में मात्र छह को मिला पीएम आवास
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांव के 40 परिवार में से मात्र 6 परिवार को पीएम आवास योजना का लाभ मिल पाया है. ग्रामीणों ने बताया कि अबुआ आवास योजना के लिए सभी लोगों ने आवेदन दिया था. अबतक गांव के किसी भी व्यक्ति को अबुआ आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. गांव में पंचायत स्तर पर स्ट्रीट लाइट नहीं लगी है. इसके कारण रात के समय ग्रामीणों को आने-जाने में असुविधा होती है.समय पर नहीं मिलता राशन
ग्रामीणों ने बताया की जनवितरण प्रणाली की दुकान से समय पर राशन भी उपलब्ध नहीं करवाया जाता है. डीलर मशीन में पहले अंगूठे का निशान लगवा लेता है. उसके कई दिनों के बाद राशन दिया जाता है. कभी-कभी दो दो बार अंगूठा लगाने के बाद भी समय पर राशन नहीं दिया जाता है.क्या कहते हैं ग्रामीण
गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां न तो सड़क है, न पेयजल की उचित व्यवस्था. समय पर राशन भी मिलता है.– लक्ष्मण महतो, ग्रामीणगांव के लोगों के लिए कोई सुविधा नहीं है. पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. ग्रामीणों को डीलर समय पर राशन भी नहीं देता है.
– गीता महतो, ग्रामीणगांव में आने-जाने के लिए पक्का रास्ता नहीं है. बरसात के मौसम में पूरा रास्ता कीचड़मय हो जाता है. ग्रामीणों को आने-जाने में कठिनाई होती है.– विजय महतो, ग्रामीणमूलभूत सुविधाओं के नाम पर गांव में कुछ भी उपलब्ध नहीं है. यहां के ग्रामीण एक किलोमीटर दूर जाकर कुआं से पानी निकालते हैं.
– सनद महतो, ग्रामीणडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है