फाइलेरिया मरीजों को अब एमएमडीपी किट में मिलेगा विशेष प्रकार का चप्पल
फोटो 2 फाइलेरिया मरीज को कीट प्रदान करते अधिकारी.
हाइड्रोसील मरीजों का नि:शुल्क ऑपरेशन कर बैकलॉग किया जाएगा खत्म
ठाकुरगंज प्रखंड के 07 फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को (एमएमडीपी) किट प्रदान किया गया
प्रतिनिधि, किशनगंज
हाथीपांव के साथ जीवन बोझिल महसूस होता है. यह आवश्यक है कि मरीज फाइलेरिया का प्रबंधन कैसे हो इसके बारे में जाने और इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाये. फाइलेरिया उन्मूलन मुहिम को लेकर जिले में स्वास्थ्य विभाग सजग है. जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है. सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की हाथीपांव से ग्रसित फाइलेरिया के मरीजों के लिए अच्छी खबर है. अब उन्हें पहली बार एमएमडीपी किट में एक विशेष प्रकार का चप्पल दिया जायेगा. ध्यातव्य है कि लेप्रा संस्था के द्वारा हाथीपांव से ग्रसित फाइलेरिया मरीजों के लिए पहली बार एमएमडीपी किट में विशेष प्रकार का चप्पल शामिल किया गया है. उक्त चप्पल का निर्माण फाइलेरिया से ग्रसित हाथीपांव के मरीजों के स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए किया गया है. फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों के प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एमएमडीपी किट प्रदान किया जाता है. इससे रोग का प्रबंधन आसान तो हो ही जाता है और मरीजों को दैनिक क्रिया कलाप करने में भी आसानी हो जाती है. इसकी सराहना दिल्ली में राष्ट्रीय लिम्फैटिक फाइलेरिया की हुई समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने थी. इसको लेकर अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फाइलेरिया डॉ परमेश्वर प्रसाद ने पत्र के माध्यम से राज्य के सभी सिविल सर्जन को सूचित किया है. साथ ही राज्य में फाइलेरिया से पीड़ित हाइड्रोसील मरीजों का नि:शुल्क ऑपरेशन कर बैकलॉग को खत्म करने के निर्देश दिया है. पत्र के आलोक में अब राज्य के सभी जिलों में एमएमडीपी किट की आपूर्ति शुरू हो गयी है.जिले में 1846 फाइलेरिया मरीज
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित मरीजों का संपूर्ण इलाज नहीं हो सकता लेकिन इसे नियंत्रित रखा जा सकता है. जिले में अब तक किये गये सर्वे के अल्लोक में कुल 1846 फाइलेरिया मरीजों की पहचान की गयी है , ज्यादातर लोगों के पांव फाइलेरिया से ग्रसित होते हैं जिसे आमतौर पर हाथीपांव भी कहा जाता. ऐसे में लोगों को इसका विशेष ध्यान रखना जरूरी है. पांव को नियमित रूप से डेटॉल साबुन से साफ करने के साथ उसमें एंटीसेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए. इससे ग्रसित अंगों का आवश्यक नियंत्रण किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि पांव के अतिरिक्त लोगों के हाथ, हाइड्रोसील व महिलाओं के स्तन भी फाइलेरिया से ग्रसित हो सकते हैं. समय से इसकी पहचान करते हुए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता लेने से इसे नियंत्रित रखा जा सकता है. इसी क्रम में ठाकुरगंज प्रखंड के फाइलेरिया क्लिनिक में फाइलेरिया ग्रसित मरीजों के प्रभावित अंग की बेहतर देखभाल के लिए 07 फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को मोरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रीवेंशन (एमएमडीपी) किट एवं यूडीआइडी सर्टिफिकेट भी प्रदान किया गया. सभी मरीजों को किट प्रदान करते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा फाइलेरिया ग्रसित अंगों की देखभाल करने और नियमित रूप से आवश्यक दवाइयों के उपयोग करने की जानकारी दी गई. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी फाइलेरिया के मरीजों को अपने घर एवं आसपास के लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रहने के प्रति जागरूक करने का संदेश दिया गया.
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