पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. यह समाज को आईना दिखाने का काम करती है. इतिहास गवाह है कि पत्रकारिता की ताकत का अंदाजा आज तक कोई नहीं लगा पाया है. भारत की आजादी में पत्रकारों की अहम भूमिका रही है. इसी को देखते हुए बॉलीवुड में भी ऐसी कई फिल्में बनाई गई हैं, जो मीडिया और जर्नलिज्म पर बेस्ड हैं.
नो वन किल्ड जेसिका
यह फिल्म जेसिका लाल हत्याकांड की सत्य घटना पर आधारित है. जिसमें सिस्टम की कई खराबियों को कैमरे पर दिखाया गया है. इसमें मीरा नाम की पत्रकार है, जो हाई प्रोफाइल मर्डर के दोषियों को सजा दिलाने में जेसिका की बहन की मदद करती हैं. इस बेहतरीन फिल्म को आप नेटफ्लिक्स पर एंजॉय कर सकते हैं.
पेज थ्री
साल 2005 में आई ये फिल्म ग्लैमर और फैशन की चकाचौंध भरी दुनिया से जुड़े पत्रकारों की कहानी को दिखाती है. कैसे एक पत्रकार बॉलीवुड के काले चेहरे दुनिया के सामने लाती है. इस फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा ने पत्रकार का किरदार निभाया है. आप इसे प्राइम वीडियो पर एंजॉय कर सकते हैं.
रण
राम गोपाल वर्मा के निर्देशन में बनी ये फिल्म साल 2010 में रिलीज हुई थी. इसकी कहानी एक न्यूज चैनल के सीईओ की है, जो अपने सिद्धांतों पर अटल है. फिल्म में गलत खबरों से होने वाले नुकसानों को दर्शाया गया है. इसके अंत में पत्रकारिता के सिद्धांत को जिंदा रखना सिखाया गया है. आप इसे प्राइम वीडिया पर एंजॉय कर सकते हैं.
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नायक
पत्रकारिता पर बेस्ड ये फिल्म एख अलग ही किस्म की कहानी को दर्शाती है. जिसमें शुरूआत एक नेता के इंटरव्यू से होती है और बहस के दौरान बात यहां तक पहुंचती है कि इंटरव्यू लेने वाला पत्रकार ही एक दिन का चीफ मिनिस्टर बन जाता है. एक दिन का सीएम बना पत्रकार क्या क्या बदलाव करता है, यही इस फिल्म की कहानी है. इस फिल्म में अनिल कपूर ने पत्रकार का रोल किया है. आप इसे यूट्यूब पर देख सकते हैं.
फिर भी दिल है हिंदुस्तानी
साल 2000 में अजीज मिर्जा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शाहरुख खान और जूही चावला रिपोर्टर की भूमिका निभाते हैं. दोनों में बेस्ट बनने की होड़ है. यही होड़ देशभक्ति की जंग में तब्दील हो जाती है. फिल्म मसालेदार है, पर पत्रकारों के एक अलग ही पहलू से रूबरू करवाती है. आप इसे नेटफ्लिक्स और यूट्यूब पर एंजॉय कर सकते हैं.
नूर
इस फिल्म में एक पत्रकार को स्टोरी लिखने का काम दिया जाता है, लेकिन उसे सही खबर पर काम करना होता है. इसी दौरान उसके हाथ एक डॉक्टर के काले कारनामों की स्टोरी लग जाती है. जैसे जैसे फिल्म में उतार चढ़ाव आते हैं, पत्रकारिता का गंभीर रूख देखने को मिलता है. फिल्म कराची यू आर किलिंग मी नॉवेल पर बेस्ड है. आप इसे यूट्यूब पर देख सकते हैं.
मद्रास कैफे
शूजित सिरकार के निर्देशन में बनी इस फिल्म में नरगिस फाखरी ने एक पत्रकार का किरदार अदा किया है. इसमें जॉन अब्राहम और राशि खन्ना भी मुख्य भूमिकाओं में हैं. आप इसे जियो सिनेमा पर एंजॉय कर सकते हैं.
पीपली लाइव
साल 2010 में आयी ये फिल्म महंगाई के दौर में परेशान किसानों पर आधाारित है. अक्सर सच की तलाश में मीडिया ऐसा कुछ कर गुजरता है, जो टीआरपी का खेल बनकर रह जाता है. आमिर खान की मूवी को आप यूट्यूब पर देख सकते हैं.
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