मो तसलीम़ चतरा. भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी भवन में संचालित ब्लड बैंक का भवन पूरी तरह जर्जर हो गया है. छत की सीलिंग से प्लास्टर टूट-टूट कर गिर रहा है. दीवार में दरार आ चुकी है. दीवारों पर लगे मार्बल भी टूट-टूट कर गिर रहा है. जर्जर भवन के कारण कर्मियों के साथ-साथ ब्लड डोनेट करने आने वाले लोगों को हमेशा डर बना रहता है. छत के टुकड़े गिरने की वजह से कई जगहों पर छड़ बाहर दिखने लगा है. बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है. तत्कालीन उपायुक्त अबु इमरान ने ब्लड बैंक भवन का जीर्णोद्धार व ब्लड बैंक में आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही थी. इसे लेकर योजना भी बनायी गयी थी, लेकिन आज तक जीर्णोद्धार कार्य शुरू नहीं हुआ और ना ही आधुनिक सुविधाएं बहाल की गयी. अविलंब भवन का जीर्णोद्धार नहीं किया गया, तो लापरवाही भारी पड़ सकती है. बता दें कि वर्ष 1996-97 में ब्लड बैंक भवन का पहला तल्ला बना था. इसके बाद वर्ष 2009-10 में दूसरा तल्ला बना. समय-समय पर मरम्मत कार्य नहीं होने से भवन जर्जर हो गया है. यह जिले का एक मात्र ब्लड बैंक है. कई बार बाल-बाल बचे हैं लोग ब्लड बैंक की छत से प्लास्टर का टुकड़ा अक्सर गिरता रहता है. कई बार लोग बाल-बाल बचे हैं. कुछ माह पूर्व एक व्यक्ति के ऊपर छत का टुकड़ा टूट कर गिर गया था, हालांकि उन्हें गंभीर चोट नहीं लगी थी. यहां पहुंचने वाले लोगों की बाइक व अन्य वाहनों पर भी प्लास्टर का टुकड़ा गिर चुका है, जिससे कई वाहन क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. सात लाख की अनुशंसा हो चुकी है : सचिव भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी के सचिव धर्मेंद्र पाठक ने कहा कि भवन मरम्मत के लिए सात लाख की अनुशंसा हो चुकी है, लेकिन डीडीसी के अधीन है. कई बार भवन मरम्मत कराने की मांग की गयी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. डर के साये में कर्मियों को काम करना पड़ रहा है.
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