कोलकाता. राज्यपाल के खिलाफ एक महिला ने छेड़खानी का आरोप लगाया था. पीड़िता ने साथ ही आरोप लगाया था कि राजभवन के कमरे से निकलते वक्त राज्यपाल के ओएसडी और अन्य दो कर्मचारियों ने उसे रोका था. इन्हीं तीन लोगों के खिलाफ कोलकाता पुलिस ने 15 मई को मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी. इस जांच के खिलाफ राज्यपाल के ओएसडी सहित अन्य अधिकारियों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने राज्यपाल के ओएसडी और राजभवन के दो कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस की जांच को फिलहाल के लिए स्थगित रखने का आदेश दिया है. जस्टिस अमृता सिन्हा के मुताबिक आवेदनकर्ताओं ने निम्न अदालत से जमानत ले ली है और पूरे मामले की वीडियोग्राफी पुलिस के पास है. ऐसे में अब तक जो जांच हुई है, उसकी पूरी रिपोर्ट 10 जून को अदालत को सौंपनी होगी और 17 जून तक मामले की जांच स्थगित रहेगी. दरअसल, राज्यपाल के खिलाफ एक महिला ने छेड़खानी का आरोप लगाया था. पीड़िता ने साथ ही आरोप लगाया था कि राजभवन के कमरे से निकलते वक्त राज्यपाल के ओएसडी और अन्य दो कर्मचारियों ने उसे रोका था. इन्हीं तीन लोगों के खिलाफ कोलकाता पुलिस ने 15 मई को मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी. ऐसे में इन तीनों ने निचली अदालत से जमानत लेने के बाद कलकत्ता हाइकोर्ट में कोलकाता पुलिस द्वारा परेशान किये जाने की बात कही थी. इसी मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने मामले की जांच 17 जून तक स्थगित रखने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर लगाये गये कथित छेड़छाड़ के आरोप के संबंध में राज्यपाल के ओएसडी दो अन्य कर्मचारी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. आरोप के मुताबिक, आरोपियों ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता महिला को गलत तरीके से रोककर राजभवन छोड़ने से रोका था. कोलकाता पुलिस की विशेष जांच टीम द्वारा बरामद सीसीटीवी फुटेज में उन्हें पीड़ित महिला को रोकते हुए देखा गया था. सीसीटीवी फुटेज में उनकी पहचान की गयी, तभी से उनकी भूमिका कोलकाता पुलिस की जांच के दायरे में थी. कोलकाता पुलिस सूत्र ने कहा : शिकायतकर्ता पीड़िता का गोपनीय बयान भी मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया गया है.
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