अनुराग शरण, सासाराम कार्यालय. अब तक राजनीति में निष्ठा का लोप ऊपरी स्तर पर देखा जा रहा था. लेकिन, इस 2024 के लोकसभा चुनाव में निचले स्तर के पार्टी पदाधिकारियों की भी निष्ठा अपने दलों के प्रति बदलने लगी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चुनाव की घोषणा से अब तक दो दलों ने अपने चार पदाधिकारियों को दल विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित करने की कार्रवाई की है. वैसे इस तरह की कार्रवाई काराकाट लोकसभा क्षेत्र में ही हुई है. पर, भीतरघात सासाराम लोकसभा क्षेत्र में भी प्रत्याशियों को परेशान किये हुए है. पहली कार्रवाई जदयू ने काराकाट लोकसभा क्षेत्र में की थी, जिसमें पार्टी के जिलाध्यक्ष ने निर्दलीय प्रत्याशी का प्रचार करने के आरोप में प्रखंड स्तर के तीन पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उन्हें दल से निष्कासित कर दिया था. तो, 23 मई को काराकाट लोकसभा क्षेत्र में ही रालोजपा (आर) के जिलाध्यक्ष ने अपने डेहरी प्रखंड अध्यक्ष सुंतेश्वर राम उर्फ ददन पासवान को निर्दलीय प्रत्याशी का प्रचार करने के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया. सवाल उठता है कि क्या निर्दलीय प्रत्याशी के आकर्षण में दूसरे दल के नेता पाला बदल रहे हैं या फिर यहां उन्हें अपनी पार्टी से ज्यादा तरजीह मिल रही है या फिर अपने पार्टी के प्रत्याशियों में दम नहीं दिख रहा या फिर कुछ और बात है? बात कुछ भी हो. रण के समय पाला बदलना यानी भीतरघात करना किसी भी दल के सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाएगा. काराकाट में निर्दलीय प्रत्याशी साम-दाम-दंड-भेद में क्या अन्य नेताओं से भारी पड़ रहे हैं? यह तो समय बताएगा, पर दलों के लिए टेंशन बढ़ा दिया है. इधर सासाराम लोकसभा क्षेत्र की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. एनडीए के कुछ कार्यकर्ता दल के नियम से इतर चल रहे हैं. तो, इंडिया गठबंधन के हालात भी अच्छे नहीं हैं. जिसके मूल दल के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता प्रत्याशी की कार्यशैली से विक्षुब्ध हैं. आलम यह कि दिन में अपनी पार्टी के प्रत्याशी के लिए प्रचार कर आने के बाद रात में उसी जगह पहुंच, दूसरे दल को वोट देने की अपील कर बैठ रहे हैं. दोनों दलों के भीतर से आ रही आवाज वोटरों को परेशान किये हुए है. इस भीतरघात का असर चार जून को पता चलेगा.
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