panchayat 3 ओटीटी प्लेटफार्म अमेजॉन प्राइम पर दस्तक देने चुका है .पंचायत में विकास की भूमिका में लोकप्रिय रहे अभिनेता चंदन रॉय इस सीरीज का अहम हिस्सा हैं .इस सीरीज की अब तक की जर्नी,नए सीजन और उससे जुड़ी चुनौतियों पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
पंचायत का पहला सीजन आया तो डर था कि चलेगा या नहीं
मुझे अभी भी याद है , जब पंचायत के पहले सीजन की स्क्रिप्ट आयी थी, तो मन में था कि सीरीज चलेगी या नहीं .इसकी रिलीज से ठीक पहले सेक्रेड गेम्स और मिर्ज़ापुर आयी थी और दोनों को बहुत ही वाह वाही मिली थी .उन दोनों ही सीरीज में बहुत सारी हिंसा ,खून ख़राबा और गाली थी .हमें लग रहा था कि इंडिया इसका आदि हो गया है .उनको पंचायत में लौकी की बात और लोटा लेकर खेत में जाना समझ आएगा क्या .पंचायत में नाम पर बहस. कुर्सी पर बहस .ऐसे छोटी – छोटी घटनाओं को हम गंभीरता से पकड़ रहे थे, तो थोड़ा डर तो था कि लोग इसको सराहेंगे या नहीं .एक डर यह भी था कि शो नहीं चला तो मुझे फिर से गुमनामी की ज़िंदगी ही जीनी पड़ेगी. आराम नगर ,म्हाड़ा.इनफिनिटी और मलाड इनके चक्कर काटने पड़ेंगे .जब शो रात को आया और सुबह मेरी आंख खुली तो मैं अपने आप से यह कह रहा था कि जब तुम आँख खोलेगे,तो शायद नयी दुनिया तुम्हारे लिए हो . मुझे अच्छी तरह से याद हैं और वाक़ई वो सोच सही साबित हुई . यह शो सभी के दिल में बस गया और मुझे भी नयी पहचान दे गया।
दूसरा सीजन जहां से खत्म हुआ तीसरा वहीं से शुरू होगा
पंचायत ३ की स्क्रिप्ट जब आयी तो एक अभिनेता के तौर पर मन में सवाल था कि जिस तरह से सीजन २ का अंत उन्होंने किया था .सीजन ३ को कहां से उठाएंगे. पिछले सीजन में एकदम ऊंचा सुर उन्होंने लगाया था .जब सीजन ३ की स्क्रिप्ट आयी तो मैंने देखा कि उसी सुर के साथ शुरुआत हुई है .जहां से दूसरा सीजन खत्म हुआ है .थोड़ा रंजो ग़म आपको देखने को मिलेगा सीजन के शुरुआत में ,लेकिन पंचायत की पहचान उसकी कॉमेडी,गंवई अंदाज है ,वह आपको इस सीजन भी देखने को मिलेगा . पहले एपिसोड में नया सचिव आता है और दिक्कत शुरू हो जाती है .गांव में इतना बड़ा हादसा हुआ है,तो आप ठहाका नहीं लगा सकते हैं .पाँच – छह महीना गुजरने के बाद हम लोग रंग में आते हैं .उसके बाद हमारा पागलपन भी देखने को मिलेगा.ड्रामां भी इस बार कहानी का हिस्सा है. आठों एपिसोड में कुछ ना कुछ नया देखने को मिलेगा .इस बार विकास और अभिषेक की निजी जिंदगी भी आपको देखने को मिलेगी.
49 डिग्री में हुई है शूटिंग
सभी को पता है कि हम धूप ,बारिश और ठंड झेलते हुए शूट करते हैं . मध्य प्रदेश के सीहोर डिस्ट्रिक्ट में महोदिया करके एक गांव है .हम वहाँ शूट करते हैं .मैं बताना चाहूंगा कि वहाँ का तापमान मई और जून में ४८ से ४९ हो जाता है .मुश्किल क्या होता है ,जब मोंटाजे शूट करना होता है ,वो बीच खेत में शूट करना है। इतनी चिलचिलाती धूप होती है .आसपास एक पेड़ नहीं है कि आपको कुछ देर के लिए छाया मिल जाए.इस बार के सीजन के सेकंड और थर्ड एपिसोड में एक ऐसा घर है .मैं फिलहाल यही बता सकता हूँ.उस घर में शूटिंग सीन में हमारे चेहरे झुलस गये थे क्योंकि वो घर एकदम खेत के बीच में था.गर्मी की वजह से हमारे सेट पर किसी ना किसी को दस्त और लू लगने की समस्या भी होती रहती थी लेकिन सब परेशानी भूलकर सभी शो मस्ट गो ऑन में विश्वास करते थे. हमारा शूटिंग शेड्यूल साठ दिन का था .एक दो दिन आगे पीछे हो सकता है .पिछले साल मई के मध्य से जून के मध्य तक हमने शूटिंग की थी. दूसरा शेड्यूल अक्तूबर के मध्य से नवम्बर के मध्य तक .अक्तूबर में नाईट शिफ्ट में कपकपाती ठंड होती है .ऐसा नहीं है कि वहाँ गर्मी में ठंड नहीं लगती है . गर्मी में भी ठंड लगती है . शाम के पांच बजे के बाद तापमान गिर जाता है .हमारे जो कॉस्ट्यूम मेकर होते हैं ,वो रात में हमको शाल ओढ़ने को देते हैं, तो पंचायत के सीजन में मौसम की बड़ी मार को झेलते हुए शूटिंग हुई है.
सेट पर तीस से चालीस सांप पकडे गए थे
पंचायत ३ की शूटिंग में गर्मी और ठंड ही नहीं सांप भी हमारी परेशानी थे.हमारे सेट पर सांप बहुत निकलता है .यही वजह है कि १०० से १५० लोगों की यूनिट में एक से दो सांप पकड़ने वाले रहते हैं .आपको यक़ीन नहीं होगा ३५ से ४० सांप उन लोगों ने पकड़े होंगे .इतने सांप वहां हैं ,तो शाम के बाद पूरी यूनिट को जूता पहनना अनिवार्य होता था . हर किसी के हाथ में टॉर्च होता था क्योंकि कभी आपको खेत में शूट करना पड़ रहा है ,तो कभी किसी और वीरान जगह पर .वैसे मैं बिहार के गांव से आता हूँ,तो मुझे यह बात पता है कि जब तापमान दिन में बहुत रहता है ,तो सांप बाहर नहीं निकलता है .रात में वह अपने शिकार को पाने के लिए निकलता है .
शूटिंग क्रेजी प्रोसेस होता है
हर क्रिएटिव आदमी जानता है कि शूटिंग कितना क्रेज़ी प्रोसेस होता है . बाहर से कोई देखेगा तो उनको लगेगा कि ये डेढ़ सौ लोग पागल ही हैं . वैसे पर्दे पर पंचायत की दुनिया दिखाना आसान नहीं होता है . कई मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। मुझे याद है दूसरे सीजन में एक एपिसोड में सूखा तालाब दिखाना तो उसके लिए यूनिट को एक जमीं पर गड्ढा बनाना था। जमीं से मिट्टी हटाना था लेकिन जैसे ही टीम मिट्टी हटाती थी . नीचे से पानी आ जाता था .अब क्या करें यार .बार – बार पानी आ जा रहा है . दिखाना सूखा तालाब है। कई घंटे बर्बाद हो गये थे क्योंकि बड़ा तालाब बनाना था .इसके बाद इन्होंने क्या किया फिर कि उस गड्ढे को थोड़ा बहुत भरवाया.फिर उसके ऊपर तालपत्री रख दी .इसके ऊपर फिर मिट्टी रखी ताकि तालपत्री पानी को रोक लें और जब मिट्टी की खुदाई करें तो तालपत्री पानी को रोक लें और तालाब सूखा ही लगे .
रीशूट की बात अफवाह है
पंचायत ३ की ऑन एयर में देरी हुई क्योंकि एपिसोड को रीशूट किया गया .ये बातें पूरी तरह से ग़लत है .पंचायत की टीम दो महीने प्री प्रोडक्शन करते हैं .हर सीन को बहुत बारीकी से जज करते हैं . बारीकी इतनी है कि इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि दीवार का रंग ये है ,तो कलाकारों के कॉस्ट्यूम इस रंग के होंगे.एकदम छोटी सी छोटी चीज का ध्यान दिया जाता है .अगर विकास वहाँ जा रहा है तो उसका चप्पल कौन सा होगा .अगर हाथ में मैंने धागा पहना है तो वो भी निर्देशक से स्वीकृति लेनी पड़ती है .इतनी बारीकी से शूट होता है ,तो रीशूट का सवाल ही नहीं उठता है . मैं मानता हूं कि कि पंचायत ३ की रिलीज़ तारीख़ पिछले साल के दिसंबर में आना था लेकिन बहुत सारी चीजों की वजह से डिले होता चला गया .इसके प्री प्रोडक्शन पर भी बहुत काम होता है.स्क्रिप्ट लिखने में एक साल का समय चला जाता है.
पंचायत सीजन 4 पर काम शुरू
पंचायत का ३ सीजन अभी ऑन एयर नहीं हुआ है. सीजन ४ की स्क्रिप्ट पर काम शुरू हो गया है . सीजन ४ के शूटिंग की जो अभी तक तारीख़ बतायी गई है ,वो अक्तूबर की तारीख़ है .शुक्र है कि इस बार चिलचिलाती धूप में शूटिंग नहीं करनी पड़ेगी. वैसे अभी मैं भले ही ऐसा बोल रहा हूँ , लेकिन शूटिंग का ऑफर आया फिर चाहे वह मई में ही हो. मैं चला जाऊंगा. काम सबसे बड़ा है.