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प्रसव पूर्व जांच में पिछड़ रहा मुंगेर, जिला मुख्यालय व जमालपुर लक्ष्य से दूर

सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत न केवल प्रत्येक माह दो बार जिले के सदर अस्पताल सहित प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र में एएनसी जांच शिविर लगाया जाता है

मुंगेर. सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत न केवल प्रत्येक माह दो बार जिले के सदर अस्पताल सहित प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र में एएनसी जांच शिविर लगाया जाता है, बल्कि इसके लिये सरकार लक्ष्य और इन्कावस जैसे कई कार्यक्रम भी चला रही है. बावजूद मुंगेर प्रसव पूर्व गर्भवतियों के जांच मामले में पिछड़ रहा है. हद तो यह है कि जिला मुख्यालय और जमालपुर ही लक्ष्य से काफी दूर है. अब ऐसे में सुरक्षित मातृत्व आश्वासन की सार्थकता जिले में आसानी से समझा जा सकता है.

एएनसी जांच मामले में प्रखंडों की स्थिति बेहतर

सुरक्षित प्रसव को लेकर प्रसव पूर्व जांच मामले में जिला मुख्यालय और जमालपुर प्रखंड से बेहतर प्रदर्शन जिले के अन्य प्रखंडों का है. जहां कुल लक्ष्य का 75 से 85 प्रतिशत गर्भवतियों का प्रसव पूर्व जांच किया जा रहा है. बता दें कि अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच मुंगेर सदर अस्पताल और पांच शहरी पीएचसी क्षेत्र में कुल लक्ष्य का 59.09% तथा जमालपुर प्रखंड 54.72% ही सफलता हासिल कर पाया है. जबकि नये वित्तीय वर्ष 2024-25 के अप्रैल माह में मुंगेर सदर अस्पताल 58.79%, जमालपुर 58.75% ही कुल लक्ष्य के विरूद्ध सफलता हासिल कर पाया है. हलांकि प्रसव पूर्व जांच मामले में प्रखंडों की स्थिति बेहतर है. जिसमें संग्रामपुर प्रखंड द्वारा अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच 85.44% और नये वित्तीय वर्ष के अप्रैल माह में कुल लक्ष्य का 90.71% सफलता हासिल की है.

प्रत्येक माह दो बार लगता है प्रसव पूर्व जांच के लिये शिविर

जिले में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व आश्वासन के तहत गर्भवतियों के प्रसव पूर्व जांच को लेकर प्रत्येक माह दो बार एएनसी जांच शिविर लगाया जाता है. जिसमें प्रत्येक माह के नौ और 21 तारिख को एएनसी जांच शिविर का आयोजन किया जाता है. जहां आशाओं द्वारा अपने-अपने पोषक क्षेत्र की गर्भवतियों को प्रसव पूर्ण जांच के लिये संबंधित शिविर में लाने की जिम्मेदारी होती है. इस शिविर में 9 माह के गर्भवास्था के दौरान गर्भवतियों के अलग-अलग समय पर रक्तचाप, सुगर, हाईट, वजन, अल्ट्रासाउंड, सीबीसी आदि जांच किया जाता है. इतना ही नहीं गर्भ के दौरान किसी भी प्रकार के हाई रिस्क के मामले को लेकर विशेष जांच भी की जाती है. हालांकि प्रसव पूर्व जांच न होने या उसमें लापरवाही के कारण कई बार सदर अस्पताल या अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवति या नवजात के मौत के मामले भी सामने आते हैं. जिसके कारण शिशु-मातृ मृत्यु दर पर भी असर पड़ता है.

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि बीते दिनों ही प्रसव पूर्व जांच मामले की समीक्षा की गयी थी. जिसमें खराब प्रदर्शन वाले प्रखंडों को अगले तीमाही में लक्ष्य के विरूद्ध अधिक से अधिक सफलता दर बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. तीमाही के बाद भी जिन प्रखंडों की उपलब्धि कम होगी. उसके विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी.

प्रखंडवार एएनसी जांच के आंकड़े

प्रखंड कुल लक्ष्य बीते वित्तीय वर्ष उपलब्धि प्रतिशतअसरगंज 2,328 1,964 84.38%

बरियारपुर 3,423 2,820 82.40%

धरहरा 4,114 3,053 74.20%

जमालपुर 6,515 3,565 54.72%

खड़गपुर 6,806 5,546 81.48%

सदर प्रखंड 4,085 3,466 84.84%

सदर अस्पताल 6,674 3,944 59.09%

संग्रामपुर 2,793 2,386 85.44%

तारापुर 3,432 2,773 80.80%

टेटियाबंबर 2,384 1,711 71.76%

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