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सदर अस्पताल में हाथ पंखे के सहारे घायलों व मरीजों का इलाज

जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल स्थित इमरजेंसी वार्ड में गंभीर रूप से बीमार या घायल होकर आये मरीजों का इलाज घर से साथ लेकर आये हाथ के पंखे से कराया जा रहा है

भभुआ सदर. सुनने में थोड़ा अजीब लगे लेकिन इस भीषण गर्मी में जहां घर या बाहर उमस से लोगों को चैन नहीं मिल पा रहा है और इस भीषण गर्मी के आगे कूलर व पंखे की हवा से भी काम नहीं चल रहा है. वहीं, जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल स्थित इमरजेंसी वार्ड में गंभीर रूप से बीमार या घायल होकर आये मरीजों का इलाज घर से साथ लेकर आये हाथ के पंखे से कराया जा रहा है. शुक्रवार को सड़क दुर्घटना में घायल करजी गांव निवासी विमल राम और उसके बेटे राकेश कुमार को परिजनों द्वारा इलाज व मरहमपट्टी के लिए सदर अस्पताल लाया गया, लेकिन इमरजेंसी वार्ड में पंखा नहीं चलने के चलते घायल को बेचैनी होने लगी, तो परिजनों ने कर्मियों से पंखा या कूलर चलाने को कहा, तो कर्मियों ने व्यवस्था की दुहाई देते हुए अपने हाथ खड़े कर दिये. मजबूरन घायल के परिजनों को राहत प्रदान करने के लिए घर से हाथ का पंखा लाना पड़ा, तब जाकर घायल को राहत मिल सकी. = इमरजेंसी वार्ड में लगे हैं मात्र तीन वाल फैन, वह भी खराब दरअसल, सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड व मरहमपट्टी कक्ष में ऐसी और कूलर की जगह मात्र दीवार पंखे लगे हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से इमरजेंसी वार्ड में दीवार पर लगे पंखे भी खराब पड़े हैं. अब इसके चलते दर्द से कराह रहे घायल व गंभीर मरीजों को राहत प्रदान करने के लिए परिजनों को घर से हाथ का पंखा लेकर आना पड़ रहा है. यहां तक की इमरजेंसी में मरहमपट्टी करने वाले स्वास्थ्य कर्मी भी गर्मी के चलते मरीजों का इलाज ढंग से नहीं कर पा रहे है, गर्मी ने उन्हें भी बेहाल कर दिया है. लगातार तापमान में बढ़ोतरी व उमस होने के बाद भी सदर अस्पताल में प्रशासन द्वारा वार्डों में अभी तक ऐसी क्या कूलर भी नहीं लगाये गये हैं. वहीं, दूसरी तरफ सदर अस्पताल के अधिकारी अपने चेंबर में बैठ एयरकंडीशनर का आनंद उठा रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल अस्पताल के कर्मचारियों का है, जिनके कार्य स्थल में अब तक गर्मी से निजात दिलाने की कोई व्यवस्था प्रबंधन द्वारा नहीं की जा सकी है. = कुव्यवस्था से भर्ती वार्ड, वेटिंग हॉल का भी हाल बेहाल इधर, जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वार्डों में मरीजों का रहना मुश्किल हो गया है. इमरजेंसी के वेटिंग हॉल का भी हाल कुछ ऐसा ही है. गर्मी व उमस से बेहाल मरीजों की हालत यह है कि कई रात को घर चले जाते हैं. वहीं, कूलिंग सिस्टम शुरू नहीं होने से तीमारदार ही मरीजों को पंखा झल राहत दे रहे हैं. स्थिति ऐसी आ पहुंची हैं कि मरीजों को वार्ड की गर्मी सहन नहीं होती हैं, तो वे कभी अंदर तो कभी बाहर आकर उठते-बैठते रहते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें उमस और गर्मी से राहत नहीं मिल रही हैं. न्यूनतम तापमान भी 30 डिग्री होने से वार्डों में भर्ती मरीजों को रात में भी उमस व गर्मी से राहत नहीं मिल पा रही है. = अस्पताल को पूर्ण वातानुकूलित करने का स्वास्थ्य मंत्री ने किया था दावा गौरतलब है कि वर्ष 2017 में ही जब सदर अस्पताल का सूबे के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रहे मंगल पांडेय द्वारा औचक निरीक्षण किया गया था, तो उन्होंने बिहार के कुछ अन्य जिलों की तरह भभुआ सदर अस्पताल को भी पूर्णत: वातानुकूलित कर दिये जाने का एलान किया था. इसके लिए उस समय सर्वे भी कराया गया था और अस्पताल के भर्ती वार्ड से लेकर इमरजेंसी, ओपीडी, दवा भंडारण व इमरजेंसी कक्ष सहित 38 स्थानों पर एयरकंडीशन लगाया जाना था. लेकिन, सात साल बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य मंत्री का किया गया वादा अधूरा ही रहा और कई गर्मी बीतने के बाद भी चिह्नित जगहों पर एयरकंडीशन नहीं लगाया गया. वैसे गौर करने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य मंत्री के घोषणा के बाद मरीजों के वार्ड में भले ही ऐसी क्या कूलर भी नहीं लगाये जा सके, लेकिन अधिकारियों को राहत प्रदान करने के लिए उनके चेंबर में एयरकंडीशन और कूलर जरूर लग गये हैं. = भीषण गर्मी में मरीजों के साथ परिजन भी हो रहे परेशान अस्पताल में भर्ती मरीज तो अपनी अस्वस्थता के कारण बेड पर ही रहते हैं, लेकिन मरीज के परिजनों का हाल इससे भी ज्यादा बुरा है, जहां मरीज को अकेले नहीं छोड़ने तथा रात काटने की मजबूरी इनके सामने होती है. लिहाजा दर्जनों महिला व पुरुष मरीज व उनके परिजन चौबीसों घंटे भीषण गर्मी सहने को मजबूर हैं. यह नजारा न केवल अस्पताल के एक वार्ड में है, बल्कि अधिकतर वार्डों में इसी तरह की स्थिति बनी है. एक मरीज के परिजन ने बताया कि उमस और गर्मी से राहत नहीं मिलने के कारण रात तो जैसे-तैसे कट जाती है, लेकिन दिन में स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाती है. दिन में एक-एक मिनट काटना मुश्किल हो जाता है, लेकिन उपचार कराने दूर-दराज से आने के कारण वे अस्पताल छोड़ कर कहीं जा भी नहीं सकते. = बोले अधिकारी सदर अस्पताल में कुव्यवस्था व गर्मी से बेहाल मरीजों के हाल पर अस्पताल मैनेजर शैलेंद्र कुमार का कहना था कि इमरजेंसी वार्ड के मरहमपट्टी कक्ष में लगाया गया पंखा गांरटी पीरियड में है, जिसकी मरम्मत कराने को कहा गया है. अस्पताल में एयरकंडीशन कहां लगना है उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.

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