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फारबिसगंज में गर्मी का कहर जारी

पारा पहुंचा 41 डिग्री सेल्सियस

फारबिसगंज. फारबिसगंज सहित आसपास के क्षेत्रों में शनिवार को लोग सुबह से ही तेज धूप व उमस भरी गर्मी, गर्म हवा के थपेड़ों से काफी परेशान नजर आये. नगर परिषद में लगे मौसम मापी यंत्र के ऑपरेटर मौसम प्रेक्षक रामनारायण राय ने तापमान मापी यंत्र से तापमान नापने के बाद पूछे जाने पर बताया कि बताया कि विगत कुछ दिनों से पारा 40 डिग्री तक पहुंचा था. लेकिन शनिवार को पारा 41 डिग्री के पार चला गया है. विगत एक सप्ताह से सुबह होते ही सूर्य की तेज किरणें के निकलने तापमान के बढ़ने से जहां सड़कों पर लोगों का निकलना मुश्किल हो गया है. वहीं तेज धूप व उमस भरी गर्मी गर्म हवा के कारण लोगों के हलक सूखने लगे हैं. बढ़ती तपती गर्मी के कारण जहां लोगों के सड़कों पर कम निकलने के कारण शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें सुनसान नजर आ रही है. लोग अपने प्रतिष्ठानों, मकानों व छायादार वृक्षों के नीचे तपती गर्मी से राहत महसूस करने के लिए बैठे नजर आ रहे हैं. पारा 41 डिग्री के पार हो जाने व तेज धूप व उमस भरी गर्मी के कारण राहगीरों व शहर में खरीददारी करने के लिए आने वाले लोगों को प्यास बुझाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है. विगत कई दोनों से पड़ रहे भीषण गर्मी के बावजूद नगर परिषद प्रशासन के द्वारा शहर के सार्वजनिक स्थानों पर अब तक आमलोगों व राहगीरों के पीने व प्यास बुझाने के लिए शीतल पेयजल का काउंटर नहीं लगाया है. लोगों का कहना है कि इतनी भीषण गर्मी को देखते हुए नप प्रशासन को शहर के सार्वजनिक स्थलों पर शीतल पेयजल का काउंटर लगवाना चाहिए. इस संदर्भ में पूछे जाने पर मुख्य पार्षद वीणा देवी ने कहा कि शहर के चिह्नित सार्वजनिक स्थलों पर नप के द्वारा शीतल पेयजल का काउंटर व्यवस्था कराया जा रहा है.

तपती गर्मी से लोगों में बेचैनी, हो रहे बीमार

सिकटी.

मौसम की बेरुखी व तपती धूप, उमस भरी गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. उमस भरी गर्मी में पसीने से तरबतर लोग दिन भर राहत पाने के लिए छांव की तलाश करते दिख रहे हैं. सुबह से ही तेज व चिलचिलाती धूप देर शाम तक लोगों को झुलसाने के लिए बेताब है. गर्म हवाओं के थपेड़ों से काफी परेशान लोग को जेठ की गर्मी का एहसास ताजा कर दिया है. इस मौसम में हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है. मौसम की बेरुखी व सूरज के तीखे तेवर व गर्म हवा के थपेड़े लोगों को घरों में दुबके रहने को कर रहा मजबूर. सुनी पड़ी है सड़के, प्राकृतिक जलस्रोत नदियां ताल तलैया सहित तालाबों में भी पानी उपलब्ध नहीं है. इतना ही नहीं सड़कों पर चलना भी दूभर हो रहा है. क्षेत्र में पेयजल का कोई स्रोत नहीं होने से इंसान की कौन कहे परिंदा तक राहत पाने के लिए छांव व प्यास बुझाने के लिए पानी की तलाश में भटक रहें हैं. तापमान में लगातार हो रही वृद्धि लोगों की बेचैनी बढ़ती जा रही है. झुलसाने वाली गर्मी व गर्म हवा के थपेड़ों के बीच खेतों में किसान व मजदूर खेतों में कर रहे काम. किसान राजेश कुमार सिंह, मो अली, हरेंद्र सिंह, प्रदीप झा सहित दर्जनों किसान बताते हैं कि मौसम की बेरुखी के कारण मजदूर खेतों में मक्का की तैयार फसल तोड़ने को तैयार नहीं हो रहे हैं. जिससे किसानों का हाल बदहाल है. इनका कहना की मक्का की तैयार फसल खेतों में खड़ी है व मौसमी मार के कारण ऊंची मजदूरी देकर खेतों में मक्का तोड़ने का कार्य कराया जा रहा है.

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