बिहारीगंज. बिहारीगंज रेलवे स्टेशन का इतिहास सौ साल पुराना है. अप्रामाणिक तौर पर 1932 से 1934 का साल लिखा जाता है. प्रामाणिक तौर पर तिथि, दिन, दिनांक, वर्ष आदि का उल्लेख नहीं मिल पाता है. तत्कालीन अंग्रेजों शासक द्वारा विशेष रूप से व्यापारिक दृष्टिकोण से बिहारीगंज छोटी लाइन का निर्माण करावाया गया था. तब यहां से पाट ( पटसन ) नील की खेती, हल्दी, दहलन आदि प्रचूर मात्रा में उपजाया जाता था. खासकर पाट बिहारीगंज से छोटी लाइन द्वारा ही देश के बड़े शहरों तक जाया करता था. बिहारीगंज रेलवे स्टेशन पर यात्री शेड का अभाव है. 31 जनवरी 2016 को मेगा ब्लॉक लिये जाने बाद से बड़ी लाइन (ब्रॉड गेज) का कार्य आरंभ हुआ. बड़ी लाइन का काम पूरा होने में छह साल से ज्यादा का समय लगा. 28 किमी के बनमनखी – बिहारीगंज रेलखंड का काम पूरा होने से लोगों की चिर-प्रतिक्षित मांग पूरी हुई. छह सालों से अधिक समय का बड़ी लाइन पर चढ़ने का सपना पूरा हो चला था. बड़ी रेल लाइन की शुरुआत हुए दो साल से लंबा वक्त हो चला है. रेल अधिकारियों की मानें तो रेलवे को अब तक ढंग से राजस्व की प्राप्ति नहीं हो पा रही. कारण, रेलवे के विकास से संबंधित विकास के कई काम अवरुद्ध हैं.
आजादी पूर्व से 2016 तक छोटी लाइन
छोटी लाइन की गाड़ी स्वतंत्रता पूर्व से लेकर 2016 में ब्रॉड गेज के लिए ब्लॉक लेने तक छिटपुट समय छोड़ कर चलती रही है. बीच के कुछ समय कुसहा त्रासदी को लेकर के समय तक बंद होने से छोटी लाइन की गाड़ियां चलती रही हैं. कभी छोटी लाइन पर बिहारीगंज से समस्तीपुर ( सहरसा में गाड़ी नंबर बदल कर, बिहारीगंज से कटिहार, बिहारीगंज से सुपौल ( सहरसा में गाड़ी नम्बर बदल कर ) सीधी सेवा मिलती थी. हजारों यात्रियों को सालाना सुविधा देती छोटी लाइन की गाड़ी को अब के उदाकिशुनगंज अनुमंडल के अनेक यात्रीगण अपने अविस्मरणीय यादों में समेटे हुए हैं.
राजस्व में मधेपुरा ज़िला का तीसरा महत्वपूर्ण स्टेशन
ज़िला में दौराम मधेपुरा, मुरलीगंज, के बाद बिहारीगंज स्टेशन राजस्व में तीसरा महत्वपूर्ण स्टेशन है. पूर्व मध्य रेलवे अंतर्गत मधेपुरा ज़िला का तीसरा महत्वपूर्ण स्टेशन होने सवारी यात्रियों के साथ माल ढुलाई से प्राप्त राजस्व भी संतोषजनक रहता है.
बड़ी लाइन की सुविधा होने से सीमेंट उत्पादन क्षेत्रों से सीमेंट, पत्थर के टुकड़े ( चिप्स ) के साथ अन्य वस्तुओं का आना संभव हुआ. बीते 2023 में रैक प्वाइंट ( प्लेटफार्म ) का निर्माण पूरा होने से 2023 में मक्का ढुलाई से करोड़ से ऊपर का राजस्व प्राप्त हुआ. 2024 में अप्रैल महीने से ढुलाई का काम अब तक जारी है.28 किमी बना बनमनखी – बिहारीगंज बना दो फेज में
पहले चरण में बनमनखी जंक्शन से बड़हरा कोठी लगभग 16 किमी बड़ी रेल लाइन का निर्माण कार्य पूरा हुआ. पूर्व मध्य रेल अंतर्गत पूर्णिया जिला में पड़ने वाले बनमनखी जंक्शन से बड़हरा कोठी, पूर्णिया ( बी. कोठी, भी कहलाता है ) का प्रथम फेज पूरा होने बाद ट्रायल लेकर 2016 बाद से लगभग साढ़े चार साल में बनमनखी-बड़हरा कोठी रेल परिचालन प्रारंभ हुआ. दूसरे फेज में बड़हरा कोठी से बिहारीगंज स्टेशन (12 किमी) का कार्य लगभग डेढ़ साल में पूरा हो कर नौ फरवरी 2022 को बिहारीगंज से बड़हरा कोठी तक का ट्रायल संपन्न हुआ. परिचालन की घोषणा शीघ्र किए जाने की उम्मीद लगाए बैठे बड़ी रेल लाइन पर यात्रा को आतुर आम लोगों (यात्रियों) को 15 अप्रैल को राहत मिली. 15 अप्रैल 2022 से बड़ी लाइन ( ब्रॉड गेज ) पर सामान्य परिचालन शुरू हुआ. मात्र एक जोड़ी ट्रेन का प्रारंभिक तौर पर परिचालन हुआ. बाद में एक और जोड़ी ट्रैन बढाई गयी.छह प्रखंंडों को समावेशी लाभ
15 अप्रैल 2022 से बड़ी लाइन पर ट्रेनों के आवागमन से मधेपुरा ज़िला के दूसरे अनुमंडल उदाकिशुनगंज के सभी छह प्रखंड के यात्रियों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद जग गयी. छह प्रखंड के हजारों यात्रियों को बिहारीगंज रेलवे स्टेशन से अन्य ज़िलों के साथ देश के दूरस्थ स्टेशनों, जंक्शनों तक की यात्रा में सुविधा मिली है. विशेष कर बिहारीगंज स्टेशन से बनमनखी जंक्शन पहुंच कर लंबी दूरी की जनसेवा एक्सप्रेस (पूर्णिया कोर्ट से अमृतसर), जनहित एक्सप्रेस ( पूर्णिया कोर्ट से पाटलिपुत्र ) राज रानी एक्सप्रेस ( सहरसा से पटना जंक्शन ) से गंतव्य स्थल तक पहुंच आसान हुआ.लंबी दूरी की ट्रेन का परिचालन की मांग
बिहारीगंज स्टेशन से अब के समय में मात्र दो जोड़ी ट्रेनों का परिचालन होता है. 15 अप्रैल 2022 से यात्रियों को मिल रही सुविधा के तहत डेमू स्पेशल गाड़ी संख्या 05238 आगमन समय 03:30 दोपहर जो 05529 बन कर साढ़े चार बजे सहरसा जंक्शन को प्रस्थान करती है. दूसरी जोड़ी डेमू स्पेशल 05237 सुबह 05:15 बजे प्रस्थान कर बिहारीगंज से बनमनखी जंक्शन को जाती थी. जिसे विस्तार कर पूर्णिया कोर्ट तक किया गया है. सहरसा से चली गाड़ी 05230 सुबह 04:30 बजे बिहारीगंज आती है. बिहारीगंज स्टेशन से यात्रा करते यात्रियों की एक महत्वपूर्ण आकांक्षा है कि बिहारीगंज से लंबी दूरी यथा पटना, कोलकाता, दिल्ली, अमृतसर के लिए सीधी सेवा की ट्रेन हो.1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का साक्षी है बिहारीगंज स्टेशन
अंग्रेजों के विरुद्ध 1942 के चर्चित भारत छोड़ो आंदोलन में तब के बिहारीगंज रेलवे स्टेशन को अंग्रेजों की संपत्ति मान कर तब के स्थानीय निवासियों ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुये बिहारीगंज रेलवे स्टेशन में भी तोड़ फोड़ करते हुए आग के हवाले किया था. तब के जमींदार परिवार सीताराम साहा, अधिकलाल मोदी आदि कइयों ने क्रांतिकारी बन बिगुल फूंका था. तब बिहारीगंज स्टेशन जलाने वालों ने अब के बभनगामा गांव में छिप कर जान बचायी थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है