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अत्याधुनिक मशीनों के मदद से सर्वाइकल का होगा निःशुल्क इलाज

कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों ने स्मार्टफोन और लैपटाप का खूब इस्तेमाल किया. स्कूल खुलने के बावजूद अब इसकी ऐसी लत बालक, किशोरों को लग गई है, जो छूटने का नाम नहीं ले रही

डुमरांव. कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों ने स्मार्टफोन और लैपटाप का खूब इस्तेमाल किया. स्कूल खुलने के बावजूद अब इसकी ऐसी लत बालक, किशोरों को लग गई है, जो छूटने का नाम नहीं ले रही. बुनियाद केंद्र के फिजियोथेरेपिस्ट डाॅ विकास कुमार ने बताया कि घंटों मोबाइल, लैपटाप पर समय बिताने की वजह से बच्चें सर्वाइकल स्पान्डिलाइटिस यानी गर्दन के दर्द का शिकार हो रहे हैं. कइयों को कमर दर्द भी शुरू हो गया है. डाॅ. विकास ने बताया कि प्रतिदिन ऐसे एक से दो लोग बुनियाद केंद्र पहुंच रहे हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल के पहले गर्दन और कमर दर्द की समस्या लेकर गिने-चुने बालक और किशोर ही पहुंचते थे, लेकिन अब इस संख्या में इजाफा हुआ है. -ज्यादा मोबाइल बन रहा घातक

फिजियोथेरेपिस्ट डाॅ. विकास कुमार ने बताया कि बताया कि लगातार गर्दन झुकाकर बहुत देर तक मोबाइल, लैपटाप देखने से सर्वाइकल स्प्राइन (मोच) आने लगती है. लंबे समय तक इसके बनें रहने से फिर सर्वाइकल स्पान्डिलाइटिस की समस्या हो जाती है. इतनी कम उम्र में ये बीमारी होने पर बहुत लंबे समय बनी रहती है. यही नहीं, उम्र बढ़ने के साथ बीमारी और कष्टदायी हो जाती है. इसके अलावा गलत मुद्रा में बैठने से कमर के निचले हिस्से में कई बच्चों को दर्द भी शुरू हो गया है. उन्होंने बताया कि बालकों और किशोरों को अब अपना स्क्रीन टाइम तय करना होगा. वरना ये आदत उन्हें भविष्य में बहुत तकलीफ देगी. इसके लिए सही सही तरीके से बैठने, शारीरिक क्रिया जरूर करने, 15-20 मिनट धूप सेंकने, कंप्यूटर और मोबाइल चलाने का समय तय करने की सलाह दी है.

-हार्मोन बनने में परेशानी

आधुनिक समयानुसार बड़ों के साथ ही बच्चें भी अब मोबाइल के आदी बन गए हैं. बच्चे खेलकूद के बजाय कई घंटों तक मोबाइल झुककर देखते हैं. इसका उनके दिमाग पर विपरीत असर पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि मोबाइल की रोशनी बहुत तेज होती है और देर रात तक जागकर मोबाइल देखने से सोने में मदद करने वाला हार्मोन नहीं बनता है. यह हार्मोन तब ही बनता है, जब अंधेरा हो. मोबाइल की रोशनी इस हार्मोन को बनने से रोकती है. इसमें गर्दन से दर्द शुरू होता है, जो कंधों और कमर तक पहुंच जाता है. इसके लिए आप सही तरीके से बैठें. तकिया लगाना छोड़ दें. मुलायम और मोटे गद्दे पर न सोएं. चारपाई के बजाय तख्त पर सोएं. भोजन में दूध, दही का इस्तेमाल करें. फैटी डाइट न लें. फास्ट फूड बंद करें. हाइट के अनुसार अपने वजन को रखें.

-अत्याधुनिक मशीनों से इलाज

बता दें कि बुनियाद केंद्र में अत्याधुनिक मशीनों के साथ सर्वाइकल दर्द सहित अन्य सभी फिजियों संबंधी बीमारियों का निःशुल्क इलाज किया जाता है. यहां अत्याधुनिक मशीनों से बुजुर्गों को निःशुल्क थेरेपी की सुविधा दी जा रही है. इसके लिए केंद्र में इलेक्ट्रोथेरेपी, आईएफटी, एसडबल्यूडी, डिजिटल आरआरआर, साइक्लिंग जैसे उपकरण उपलब्ध है. बताया जाता है कि इन थेरेपी मशीनों की सहायता से ब्लड सर्कुलेशन और मशल्स को आराम मिलता है.

-शारीरिक एक्टिविटी हुई कम

बताया जाता है कि बुनियाद केंद्र में सबसे अधिक मरीज घुटने व जोड़ों के दर्द के आ रहे हैं. इसका मुख्य कारण मांसपेशियों और जोड़ों में जकड़न का बढ़ना है. अत्याधुनिक मशीनों और आधुनिकीकरण के कारण लोगों की शारीरिक एक्टिविटी कम चुकी है, ऐसे में मशल्स कमजोर हो गए हैं, इसलिए जोड़ों के दर्द बढ़ने की समस्याएं बढ़ गई है. इसके लिए बेहतर यह है कि प्रतिदिन धूप का सेवन किया जाए, जिससे विटामिन डी प्रचुर मात्रा में मिलें. इसके साथ ही प्रतिदिन टहलना चाहिए ताकि शरीर में कैल्शियम की कमी न हो. इसके साथ ही प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए. इसके साथ ही हरी सब्जी, साग, उजले तिल सहित पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए. किसी भी प्रकार की परेशानी में बुनियाद केंद्र पहुंचकर निःशुल्क उपचार का लाभ लिया जा सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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