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खूबसूरत शहर को दाग लगा रहा कूड़े का पहाड़

उदाकिशुनगंज शहर की सुंदरता पर कूड़े का पहाड़ दाग लगा रहा है.

कौनैन बशीर, उदाकिशुनगंज

उदाकिशुनगंज शहर की सुंदरता पर कूड़े का पहाड़ दाग लगा रहा है. ऐसा नहीं है कि इस समस्या के समाधान के लिए प्रयास नहीं किए गए हैं. इसके लिए बोर्ड की बैठक भी हुई और निर्देश भी जारी किये गये, लेकिन ये भी हवा-हवाई ही साबित हुए हैं. नतीजा शहरवासियों के साथ-साथ शहर में आने जाने वाले लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. नगर परिषद के सभी 26 वार्डों का कूड़ा पटेल चौक स्थित बियाडा की जमीन पर कोल्ड स्टोर के पीछे नहर के पास, जमुनिया नहर पुल के पास, बाइपास सड़क नहर फाटक के पास, बीआरसी के पीछे और कस्तूरबा विद्यालय के पीछे फेंका जा रहा है. नगर वासियों का कहना है प्रकृति ने जो सौंदर्य शहर को प्रदान किया है उसे बरकरार रखने के लिए सबसे अहम है कि डंपिंग साइट की व्यवस्था की जाये. कूड़े-कचरे में आग लगने से जो धुआं निकलता है और कचरे से जो दुर्गंध फैलती है उसका स्थायी समाधान होना चाहिए. वहीं स्वच्छता पदाधिकारी केतन आनंद का दावा है कि ऑर्गेनिक कचरे को कार्यालय के समीप बने कंपोस्ट फिट में डाला जा रहा है. वहीं प्लास्टिक कचरे को उठाकर पुरैनी प्रसंस्करण इकाई में भेजा जा रहा है. डंपिंग जोन के लिए जमीन को चिह्नित किया जा रहा है. बावजूद इसके सभी दावे छलावा प्रतीत हो रहे हैं.- 14 लाख प्रतिमाह खर्च के बावजूद मुख्यालय में कूड़े का ढेर हो रहा जमा -उदाकिशुनगंज नगर परिषद क्षेत्र में स्वच्छता अभियान के नाम पर 14 लाख प्रतिमाह खर्च के बावजूद उदाकिशुनगंज मुख्यालय के विभिन्न हिस्सों में कूड़े का ढेर जमा हो रहा है. जबकि स्वच्छता के मामले में नगर परिषद क्षेत्र की साफ-सफाई के लिए 60 से 70 कर्मचारी की नियुक्ति की गयी है. नगर परिषद में एक महीने में लगभग साफ सफाई पर 14 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं. इस हिसाब से करीब 50 हजार रोजाना साफ-सफाई पर नगर परिषद की ओर से राशि खर्च की जाती है. साफ सफाई के लिए दो साल का टेंडर निकाला गया था. इसमें 3 करोड़ 36 लाख रुपये साफ सफाई पर खर्च किया जा रहा है. बावजूद नगर परिषद क्षेत्र कचरे के ढेर में तब्दील होता जा रहा है. इतना ही नहीं नगर परिषद क्षेत्र के सभी 26 वार्डों की स्थिति कचरा के मामले में ठीक ठाक नहीं है. नप के मुख्य बाजार सहित विभिन्न वार्डों, मोहल्लों में बरसात के मौसम में जलजमाव और कीचड़ से परेशानी बढ़ जाती है. नगर के मुख्य बाजार में नाला नहीं है और न ही जल निकासी की कोई व्यवस्था है. मोहल्ले में अगर कहीं-कहीं नाले हैं भी तो वह जाम है और जल निकासी की व्यवस्था नहीं है. इसका स्थायी समाधान की दिशा में भी कोई काम नहीं हो रहा है.

– कचरा फेंकने के लिए नहीं मिली पांच एकड़ जमीन, इधर उधर फेंके जा रहे कचरे -एक तरफ नगर परिषद उदाकिशुनगंज शहर को सुंदर स्वच्छ बनाने का दावा किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ सड़क और नहर किनारे कूड़े-कचरे को डंप किया जा रहा है. रोज नप की गाड़ी इन्हीं स्थानों पर शहर भर के कूड़े-कचरे को डंप करती है. लेकिन इसका कोई स्थायी विकल्प निकालने की नप के पास कोई योजना नहीं है. हालांकि प्रशासकों ने नगर वासियों को आश्वस्त किया है कि कूड़े-कचरे के निवारण के लिए जमीन की तलाश की जा रही है. लेकिन यह तलाश कब तक पूरी हो सकेगी, इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है. कूड़े-कचड़े को सड़क के किनारे फेंकने से संक्रमण का खतरा बना रहता है. सड़क के किनारे चारों और कचरा फेलना शुरू हो चुका है. बावजूद डंपिंग बंद नहीं की जा रही है. एक तरफ जहां अपशिष्ट पदार्थों की दुर्गंध से यहां के निवासियों का रहना मुश्किल हो गया है. वहीं कचड़े की गंदगी से कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों का खतरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. स्थायी डंपिंग सिस्टम में डंपिंग न होने से क्षेत्र वासियों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इसी बदहाली के कारण स्वच्छता को लेकर नप के कई तरह की मुहिम फीकी पड़ती नजर आती है. लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द कचरा निस्तारण क्षेत्र का चयन कर इस बदहाली से निजात दिलायी जाये.

कचरा निस्तारण केंद्र निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन की है तलाश

कचरा निस्तारण केंद्र निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन की तलाश जारी है ताकि कूड़े कचड़े का उचित निस्तारण व प्रबंधन किया जा सके. हालांकि देखना यह है कि प्रशासन की यह तलाश कब तक पूरी हो पाती है. वही सभी वार्डों में डोर-टू-डोर सफाई को तो लोग सिर्फ औपचारिकता बता रहे हैं. अब प्रशासन की यह युक्ति कितनी कारगर होती है यह देखना शेष है. उदाकिशुनगंज का नगर परिषद क्षेत्र भले ही अस्तित्व में आ गया हो, लेकिन इनके पास साधन की कमी है. नप के पास कचरा भंडारण के लिए कोई जगह नहीं है.यत्र तत्र जमा कचरे से निकलने वाले दूषित धुआं और दुर्गंध वायू प्रदूषण के लिए बड़े खतरा बनते जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि आखिर खुले में इस तरह कचरा जमा करना गलत है. यह आने वाले दिनों में मुश्किल पैदा करेगा.अब तो सरकार हर पंचायत में कचरा निस्तारण केंद्र का निर्माण करा रही है. कई पंचायतों में कचरा निस्तारण का काम भी हो रहा है. जमा होने वाले कचड़े से वर्मी खाद एवं अन्य चीजें तैयार करने की योजना है.लेकिन उदाकिशुनगंज नगर परिषद की स्थिति गांव की व्यवस्था से भी खराब हैं.

प्लास्टिक कचरा के दुष्प्रभाव

डंपिंग साइट में एकत्र कूड़े के निपटारे के लिए कई बार मांग की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई एहतियात नहीं बरती गयी है. इस कारण प्लास्टिक सहित अन्य ज्वलनशील कचरे में एक बार आग लग जाये तो वह सुलगता ही रहती है और इससे शहर की हवा दूषित हो रही है. कई बीमारियां फैलने की संभावना रहती है. प्लास्टिक कचरे के कारण सबसे ज्यादा नुकसान पेड़-पौधों को हो रहा है. इस दिशा में नगर सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. प्लास्टिक ऐसे पदार्थों को मिलाकर बनाया जाता है जो हजारों साल तक नष्ट नहीं होता है और यही जल प्रदूषण का भी कारण बन रहा है. पानी पीने की बोतल, खाना खाने के लिए चम्मच, टूथ ब्रश, सामान लाने के लिए व अन्य वस्तुओं की पैकिंग के लिए भी प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है. यही नहीं फेंकी हुई वस्तुएं हवा के कारण इधर-उधर जमा होती रहती हैं और फिर जब बारिश होती है तो यह पानी के साथ बहकर नदियों और नालों में चली जाती हैं.

ऑर्गेनिक कचरे को कार्यालय के समीप बने कंपोस्ट फिट में डाला जा रहा है. वहीं प्लास्टिक कचरे को उठाकर पुरैनी प्रसंस्करण इकाई में भेजा जा रहा है.डंपिंग जोन के लिए जमीन को चिह्नित किया जा रहा है. नगर परिषद क्षेत्र में यत्र-तत्र कचरा डंपिंग करने के लिए मना कर दिया गया है.केतन आनंद, स्वच्छता पदाधिकारी

साफ-सफाई के लिए 31 मार्च को टेंडर का समय खत्म हो चुका था. आचार संहिता लागू रहने के वजह से टेंडर की प्रक्रिया पुनः नहीं अपनायी गयी. दो महीने के लिए फिर से उसे एक्सटेंशन कर दिया गया है. डंपिंग जोन के लिए जमीन की तलाश जारी है. इसके लिए हमने अंचलाधिकारी को भी पत्र प्रेषित कर जमीन उपलब्ध कराने के लिए कहा है. जैसे ही जमीन उपलब्धता हो जायेगी, डंपिंग जोन बना दिया जायेगा. तब तक खुले में ही कचरा फेंका जा रहा है, क्योंकि कोई वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध नहीं है.उपेंद्र कुमार सिन्हा, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा.

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