रामगढ़. रामगढ़ के इतिहास का जीवंत दस्तावेज है बसंत हेतमसरिया की लिखी पुस्तक. उक्त बातें साहित्यकार रणेंद्र ने कही. वह रविवार शाम होटल शिवम इन में बसंत हेतमसरिया की दूसरी पुस्तक 1940: विश्व युद्ध और बढ़ते अलगाव के साये में स्वतंत्रता आंदोलन पुस्तक के विमोचन के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इस पुस्तक की भाषा सटीक और सरल है. इसमें रामगढ़ के स्थानीय इतिहास का व्यापक चित्रण है. अतिथियों का स्वागत करते हुए बसंत ने बताया कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें रामगढ़ के इतिहास को दस्तावेज के रूप में दर्ज करने में सफलता मिली है. रामगढ़ में पैदा होने के कारण शुरू से ही रामगढ़ के इतिहास और इसके गौरव को जानने में दिलचस्पी थी. रामगढ़ में 1940 में हुआ कांग्रेस अधिवेशन उनको हमेशा रोमांचित करता था. उन्होंने पाया कि इस विषय पर बहुत कम लेखन हुआ था. उन्होंने तत्कालीन समाचार पत्रों को पढ़ कर और अनेक पुस्तकों को खंगाल कर इस पुस्तक को तैयार किया है. रांची विवि इतिहास विभाग के पूर्व डीन सह अध्यक्ष डॉ इंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि बसंत ने गंभीर विषय को बहुत सरल भाषा में रखने का काम किया है. संपूर्ण क्रांति आंदोलन से जुड़े अशोक विश्वराय ने कहा कि 1940 स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास का महत्वपूर्ण कालखंड है. पुस्तक लिखने के लिए बसंत हेतमसरिया बधाई के पात्र हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार और संपादक विष्णु राजगढ़िया ने कहा कि पुस्तक में 1940 की विभिन्न पहलुओं को एक साथ समेटा गया है. संचालन सरोज सिंह और धन्यवाद ज्ञापन सतीश गुप्ता ने किया. मौके पर अनमोल सिंह, डॉ रजनी गुप्ता, आनंद अग्रवाल, फादर करमा कच्छप, डॉ महालक्ष्मी प्रसाद, मनजी सिंह, आशुतोष सिंह, महेश बंसल, डॉ लियो ए सिंह, आभा देव, पन्नालाल राम, बलराम सिंह, शंकर अग्रवाल, आरा डीएवी के प्राचार्य आलोक कुमार, संगम डे, राजेश वर्मा, आनंद हेतमसरिया, मंजू हेतमसरिया, मनोज बेदिया मौजूद थे. राधास्मृति पुरस्कार से किया गया सम्मानित : कार्यक्रम के दौरान सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया. रिम्स के पूर्व निदेशक डॉ राजीव गुप्ता ने एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचने के सफल अभियान के लिए प्रवीण राजगढ़िया व उनके पुत्र राहुल राजगढ़िया व यूपीएससी की संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा में पूरे देश में तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले अयान कुमार डे को राधाकिशन स्मृति पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.
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