संवाददाता, पटना शहर के स्ट्रीट व्यंजन में मिलता है लोकल संस्कृति और परंपरा का स्वाद. चाहे वह बिहार हो या राजस्थान या फिर दक्षिण भारतीय व्यंजन. स्ट्रीट फूड के कारण ही जीवत है परंपरागत व्यंजन. ये बातें फोरम ग्रैंड ट्रंक रोड इनिशिएटिव्स (जीटीआरआइ) की ओर से पंगत: बिहार का सबसे बड़ा पाक संवाद का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने कहीं. डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि हर प्रांत की तरह, बिहार में व्यंजनों की एक अनूठी श्रृंखला है. व्यंजनों का आदान-प्रदान पूरे देश को एकजुट करने में मदद करता है. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ने पारंपरिक व्यंजनों के स्वाद और स्वरुप को बर्बाद कर दिया है. पारंपरिक व्यंजनों को पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि लिट्टी चोखा और चंपारण मटन देश के किसी कोने में आपको मिल जायेगा. पुलिस आइजी विकास वैभव ने कहा कि बिहार के परंपरागत व्यंजन लगभग गायब हो गये. बिहारी जायका का इतिहास काफी गौरवशाली और समृद्ध रहा है. पुराने समय में बिहारी संस्कृति सुदूर दक्षिण पूर्व तक प्रचलित थी. बिहार में विभिन्न विषयों पर तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, लेकिन पाक कला पर आधारित कार्यक्रम बिल्कुल नया है और हमें इसे और अधिक बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए. जीटीआरआइ के क्यूरेटर अदिति नंदन ने कहा कि हम इस आयोजन के माध्यम से देश भर में अपनी पारंपरिक बिहारी थाली को बढ़ावा देना चाहते हैं. इसके अलावा, हमारा इरादा युवा पीढ़ी को हमारी समृद्ध खाद्य परंपरा से अवगत कराना और तेज़ी से लुप्त होती जा रही अपनी बहुमूल्य विरासत को संरक्षित करना भी है. मौके पर प्रसिद्ध शेफ मनीष मेहरोत्रा, जेपी सिंह, क्षितिज शेखर और निशांत चौबे सहित दिल्ली फूड बॉक्स के संस्थापक अनुभव सपरा और अन्य पाककला विशेषज्ञ पंगत के प्रमुख आकर्षण रहे. कार्यक्रम तीन तकनीकी सत्रों में बिहार के लुप्त हो चुके व्यंजनों, बिहारी व्यंजनों के लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा नहीं होने के कारणों और एक आदर्श बिहारी थाली के बारे में विस्तार विशेषज्ञ ने प्रकाश डाला.
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