17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कहीं शहरीकरण तो कहीं खेती किसानी मुद्दे, पटना और मगध के चार लोकसभा क्षेत्रों का हाल

1 जून को पटना साहिब, पाटलिपुत्र, नालंदा और जहानाबाद लोकसभा क्षेत्रों में वोटिंग होगी. इन चारों लोकसभा क्षेत्रों के मुद्दे अलग-अलग हैं

Loksabha Election : राजधानी पटना के पटना साहिब व पाटलिपुत्र के साथ ही मगध क्षेत्र के दो लोकसभा क्षेत्र नालंदा और जहानाबाद में भी एक जून को वोटिंग होगी. इन चार लोकसभा क्षेत्रों के मुद्दे अलग-अलग हैं. राजधानी की पटना साहिब सीट जहां शहरीकरण की चुनौतियों से जूझ रहा है, वहीं पाटलिपुत्र, नालंदा और जहानाबाद सीट पर खेती व सिंचाई जैसे मुद्दे हैं. हालांकि, जातीय समीकरण ही इन सीटों पर जीत-हार तय करेगा.

पटना साहिब लोकसभा

पटना साहिब लोकसभा सीट पर भाजपा के मौजूदा सांसद रविशंकर प्रसाद और कांग्रेस के अंशुल अविजीत के बीच सीधा मुकाबला है. अंशुल अविजीत कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री मीरा कुमार के बेटे हैं. 2009 से अस्तित्व में आयी पटना साहिब सीट पर पिछले तीन टर्म से लगातार भाजपा का कब्जा है. इस सीट पर 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा ने बड़ी जीत दर्ज की थी. 2009 में उन्होंने राजद के विजय कुमार को 1.66 लाख वोट से, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कुणाल सिंह को 2.65 लाख वोट के बड़े अंतर से चुनाव हराया था.

2019 में भाजपा ने शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट काटते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शत्रुघ्न सिन्हा को 3.52 लाख वोटों के भारी अंतर से हराया. रविशंकर प्रसाद लगातार दूसरी बार जीत को लेकर प्रयासरत हैं. लोकसभा की छह में से चार विधानसभा सीटें पटना साहिब, दीघा, बांकीपुर और कुम्हरार पर भाजपा, जबकि दो विधानसभा क्षेत्र फतुहा और बख्तियारपुर पर राजद का कब्जा है.

यहां तेजी से बढ़ता शहरीकरण, शहरी सुविधाएं, यातायात, प्रदूषण आदि मुख्य मुद्दे हैं.

पाटलिपुत्र लोकसभा

राजधानी पटना की दूसरी सीट पाटलिपुत्र भी हाइ प्रोफाइल है. इस सीट पर भाजपा के राम कृपाल का मुकाबला राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती से है. रामकृपाल यादव हैट्रिक लगाने मैदान में उतरे हैं, जबकि मीसा भारती पहली जीत के लिए लगातार तीसरी बार मैदान में हैं. इस सीट पर जीत-हार का अंतर काफी कम रहा है. 2009 में ही अस्तित्व में आयी इस सीट पर पहली बार एनडीए से जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को मात्र 23 हजार वोटों से हराया था.

2014 में लालू प्रसाद ने जब यह सीट अपनी बेटी मीसा को दे दी, तो रामकृपाल यादव ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और मीसा भारती को करीब 40 वोटों के अंतर से हराया. 2019 के चुनाव में भी रामकृपाल और मीसा का आमना-सामना हुआ. इस बार भी रामकृपाल यादव को करीब 39 हजार वोटों के अंतर से जीत मिली. पाटलिपुत्र में जीत को लेकर एनडीए व महागठबंधन के बड़े नेताओं की लगातार कैंपेनिंग चल रही है.

पाटलिपुत्र लोकसभा की छह विधानसभा सीटों में फिलहाल सारी सीटें विपक्ष के खाते में हैं. दानापुर, मनेर और मसौढ़ी पर राजद, जबकि फुलवारी और पालीगंज पर माले का कब्जा है. बिक्रम सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी, लेकिन लोकसभा चुनावों से कुछ दिन पहले बिक्रम के कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सौरभ पाला बदल कर बीजेपी में शामिल हो गये हैं.

यह सीट एक तरह से पटना का ग्रामीण इलाका है, इसलिए यहां शहरी विकास के अलावा खेती-किसानी भी प्रमुख मुद्दों में शामिल है

जहानाबाद लोकसभा

कभी नक्सल प्रभावित जिलों में शुमार रहे जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में जदयू के चंदेश्वर प्रसाद और राजद के सुरेंद्र प्रसाद यादव के बीच एक बार फिर सीधा मुकाबला है. इस मुकाबले को जहानाबाद के पूर्व सांसद रहे डॉ अरुण कुमार बसपा के टिकट पर तीसरा कोण देने में जुटे हैं. 1967 से लेकर 1996 तक जहानाबाद कम्युनिस्टों का गढ़ रहा है. 1967 से 1977 तक चंद्रशेखर सिन्हा, जबकि 1984 से 1996 तक रामश्रय प्रसाद भाकपा के टिकट पर यहां से जीतते रहे. उसके बाद राजद और जदयू के उम्मीदवारों का दबदबा रहा.

राजद के टिकट पर सुरेंद्र प्रसाद यादव दो बार, जबकि डॉ अरुण कुमार एक बार जदयू और एक बार रालोसपा के टिकट पर सांसद बने. 2009 में एनडीए के डॉ जगदीश शर्मा ने जीत हासिल की थी. 2014 में भाजपा के समर्थन से रालोसपा के टिकट पर डॉ अरुण कुमार ने राजद के सुरेंद्र यादव को 42 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. 2019 में एनडीए के टिकट पर जदयू के चंदेश्वर प्रसाद ने मात्र 1751 वोट के अंतर से जीत हासिल की थी. इस बार एनडीए जीत के इस अंतर को बढ़ाने, जबकि राजद के सुरेंद्र यादव पिछले अंतर को पाटते हुए जीत दर्ज करने की तैयारियों में जुटे हैं.

नालंदा लोकसभा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गृह लोकसभा सीट होने की वजह नालंदा हमेशा से हॉट सीट रही है. इस सीट पर जदयू के कौशलेंद्र कुमार और माले के संदीप सौरव के बीच मुकाबला है. नालंदा लोकसभा सीट पर 1996 से 1999 तक पहले समता पार्टी के टिकट पर जॉर्ज फर्नांडिस और फिर उसके बाद 2004 से 2019 तक जदयू का कब्जा रहा है. जदयू के टिकट पर कौशलेंद्र कुमार 2009 से लेकर पिछले तीन टर्म से लगातार सांसद चुने जाते रहे हैं.

इस बार महागठबंधन ने माले के पालीगंज से विधायक संदीप सौरव को उम्मीदवार बना कर उनको चुनौती दी है. 2019 में कौशलेंद्र कुमार ने हम सेक्यूलर के अशोक कुमार आजाद को 2.56 लाख वोटों के अंतर से हराया था. 2014 में कौशलेंद्र ने लोजपा के सत्यानंद शर्मा को मात्र साढ़े नौ हजार वोटों के अंतर से मात दी थी. उससे पहले 2009 में भी कौशलेंद्र ने लोजपा के सतीश कुमार को करीब 1.52 लाख वोटों के अंतर से हराया था.

Also Read: बिहार को अराजकता के दलदल से बाहर निकाला, नालंदा में बोले सीएम नीतीश कुमार, रोड शो भी किया

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें