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प्रसव पूर्व जांच में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही बढ़ा रही मातृ-शिशु मृत्यु दर

सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में जनवरी से अबतक कुल 41 शिशुओं की हो चुकी है मौत

सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में जनवरी से अबतक कुल 41 शिशुओं की हो चुकी है मौत. प्रसव केंद्र में गर्भवती की मौत के अधिकांश मामलों में प्रसव पूर्व जांच न होने का रहा है मामला

मुंगेर. सदर अस्पताल का प्रसव केंद्र भले ही लगातार सुरक्षित प्रसव को लेकर बेहतर प्रदर्शन कर रहा हो, लेकिन गर्भवतियों के प्रसव पूर्व जांच को लेकर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर को प्रभावित कर रही है. सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में जहां जनवरी से अबतक कुल 41 शिशुओं की मौत हो चुकी है. वहीं प्रसव केंद्र में जनवरी से लेकर अगस्त तक जितनी भी गर्भवती की मौत हुयी है. उन सभी मामलों में गर्भवतियों के प्रसव पूर्व जांच न होने की बात सामने आयी है. सरकार लगातार लक्ष्य कार्यक्रम के तहत सुरक्षित प्रसव और मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिये करोड़ो रूपये खर्च कर रही है. जबकि न केवल सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के प्रसव केंद्रों में तैनात चिकित्सकों व कर्मियों को इनसेंटिव दिया जा रहा है, बल्कि प्रसव पूर्व गर्भवतियों के सभी जांच को लेकर आशाओं को भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है. बावजूद मुंगेर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और जिले में आशाओं द्वारा गर्भवतियों को प्रसव पूर्व जांच के लिये स्वास्थ्य केंद्रों में लाने के प्रति बरती जा रही लापरवाही मुंगेर में मातृ-शिशु दर को लगातार बढ़ा रहा है. इसका अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि सदर अस्पताल में प्रत्येक माह लगभग 500 प्रसव के मामलों में जहां 9 बच्चों की मौत हो जा रही है. वहीं प्रत्येक माह प्रसव केंद्र में भर्ती 500 से अधिक गर्भवतियों के मामले में 2 से 3 गर्भवतियों की मौत हो रही है. जिसमें अधिकांश मामलों में गर्भवतियों के प्रसव पूर्व जांच न होने की बात ही सामने आती है.

एचआरपी गर्भवतियों के प्रति उदासीनता खतरनाक

सदर अस्पताल में जितनी भी गर्भवतियों की प्रसव या प्रसव के बाद मौत हुयी है. उसमें अधिकांश मामलों में गर्भवती हाई रिस्क प्रेग्रेंसी (एचआरपी) थी. जिनका नियमानुसार समय-समय पर संबंधित क्षेत्र की आशा व स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों द्वारा गर्भवास्था का फॉलोअप लिया जाना था. लेकिन अधिकांश मामलों में एचआरपी की गर्भवतियों के फॉलोअप को लेकर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही गर्भवतियों व शिशुओं के लिये मौत का कारण बन रही है.

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि जिले में गर्भवतियों के मौत के मामले अधिक नहीं है. हलांकि प्रसव पूर्व जांच के प्रति लापरवाही के मामले सामने आये हैं. जिसे लेकर सभी संबंधित चिकित्सा पदाधिकारी व स्वास्थ्यकर्मियों को अगले तिमाही तक प्रसव पूर्व जांच और एचआरपी के गर्भवतियों के जांच में सुधार का निर्देश दिया गया है.

कब-कब प्रसव पूर्व जांच नहीं होने के कारण हुई गर्भवती व शिशु की मौत

24 अप्रैल 2024 –

सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में दशरथपुर निवासी मनोहर मांझी की पत्नी उषा देवी को मृत शिशु हुआ. जिसके एक घंटे बाद ही उषा देवी की भी मृत्यु हो गयी थी. जिसमें उषा देवी का प्रसव पूर्व एक भी जांच नहीं किया गया था.

26 मार्च 2024 –

शहर के एक निजी नर्सिंग होम में दशरथपुर पंचरूखी निवासी मनीष कुमार की 9 माह की गर्भवती पत्नी सोनम कुमार की अचानक सुगर लेवल 460 पहुंचने के बाद उसे सदर अस्पताल रेफर किया गया. जहां सोनम कुमारी और उसके अजन्में बच्चे की मौत हो गयी. जिसका भी सभी प्रसव पूर्व जांच नहीं कराया गया था.

15 मार्च 2024 –

सदर अस्पताल के प्रसव केंद्र में आशा द्वारा बासुदेवपुर सुंदरपुर निवासी राहुल कुशवाहा की गर्भवती पत्नी मोनी कुमारी का गलत प्रसव करा दिया गया. जिसमें उसके बच्चे की मौत हो गयी. वहीं मोनी कुमारी का भी सभी प्रसव पूर्व जांच नहीं कराया गया था.

8 अगस्त 2023 –

सदर अस्पताल के प्रसव केंद्र में एक प्रसुता की मौत हो गयी. जिसके मामले में परिजनों के आवेदन पर खुद तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ पीएम सहाय द्वारा मामले की जांच की गयी थी. जिसमें पाया गया था कि महिला के प्रसव पूर्व जांच नहीं कराया गया था. जिसका कोई रिकॉर्ड भी नहीं था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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