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आग से बचाव को लेकर होती है खानापूर्ति

अस्पतालों में न फायर अलार्म की व्यवस्था, ना ही इसके लिए अन्य कोई सेफ्टी किट ही है उपलब्ध

अर्जुन अरनव, जमुई

आग से बचाव को लेकर होती है खनापूर्ति, अधिकतर अस्पतालों में नहीं किया जाता है मानक का पालन

रविवार की रात पूर्वी दिल्ली के एक अस्पताल में लगी आग में आधे दर्जन से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हो गयी, जबकि कई शिशु गंभीर रूप से घायल हैं. गुजरात के राजकोट में गेम जोन में आग लग जाने से एक दर्जन बच्चे समेत 27 लोगों की मौत हो गयी. अगलगी की इस प्रकार घटनाओं को देखते हुए जिले के सदर अस्पताल, निजी क्लिनिक, निजी स्कूल, कोचिंग सेंटर में आग से बचाव की तैयारियों पर एक विशेष रिपोर्ट. जिले के अस्पतालों में आग से सुरक्षा को लेकर पर्याप्त इंतजाम नहीं है. अधिकांश सरकारी व निजी अस्पतालों में आग से सुरक्षा को लेकर मानक का अनुपालन नहीं किया जा रहा है. अस्पतालों में फायर अलार्म की भी व्यवस्था नहीं दिखती है और ना ही इसके लिए अन्य कोई सेफ्टी किट ही उपलब्ध है. अस्पतालों में आग से सुरक्षा को लेकर सतर्कता के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जाती है. बताते चलें कि जिले में सदर अस्पताल के साथ-साथ तीन रेफरल अस्पताल, चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समेत दर्जनों निजी नर्सिंग होम व अस्पताल है. सूत्रों की मानें तो इनमें से अधिकांश अस्पताल अग्निशामक विभाग से बिना एनओसी लिये ही संचालित हैं. जिले में एक भी ऐसे अस्पताल नहीं हैं जहां आग से सुरक्षा को लेकर मानक को शत-प्रतिशत पूरा किया गया हो. कुछ अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र के नाम पर अग्निशामक सिलिंडर जरूर लगे हैं. अग्निशामक यंत्र के नाम पर छोटा या बड़ा सिलिंडर रखकर काम चलाया जा रहा है. कोई बड़ी घटना होने पर लोग नीचे स्तर पर भी फायर सेफ्टी की चर्चा अवश्य करते हैं लेकिन इसे कार्य रूप नहीं दिया जाता है. ऐसी स्थिति में यदि किसी कारणवश आग लगने की घटना होती है तो उसे संभाल पाना मुश्किल हो सकेगा. आग लगने के बाद सबकुछ खाक हो जाने पर लोग छाती पीटते हैं, लेकिन अधिकांश अस्पताल संचालक आग से सुरक्षा को लेकर सचेत नहीं रहते हैं. यही कारण है कि मामूली चिंगारी के भड़कने से लगी आग पर तत्काल काबू पाना मुश्किल हो जाता है और सिर्फ और सिर्फ नुकसान उठाना पड़ता है.

निजी स्कूल व कोचिंग में भी नहीं है आग से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम:

शहर के निजी स्कूलों, कोचिंग सेंटर, विवाह भवनों में भी आग से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं है. यहां पांच से सात किलो वाला एक-दो फायर एक्सटिंग्विसर को दीवार में टांग अग्नि सुरक्षा का कोर्स पूरा मान लेते हैं. अनुमंडल अग्निशमन पदाधिकारी अनूप कुमार शर्मा कहते हैं कि उन्होंने सभी निजी अस्पताल, कोचिंग सेंटर, विवाह भवन तथा विभिन्न स्कूलों को निर्देश दिया कि वे एनओसी ले लें. अग्निशमन विभाग से प्रमाण पत्र भी हासिल कर लें. उन्होंने शहर में बने अपार्टमेंट में भी अग्निशमन की व्यवस्था नहीं होने पर चिंता जतायी है. आलम यह है कि दीवारों पर टंगे फायर एक्सटिंग्विसर कारगर हैं या नहीं इस ओर भी ध्यान नहीं दिया जाता है. फायर एक्सटिंग्विसर के खराब हो जाने पर कांटा लाल निशान पर पहुंच जाता है. कर्मियों को इसे कैसे चलाया जाये. इसकी भी जानकारी नहीं रहती है.

अग्निशमन विभाग देता है एनओसी:

नये बनने वाले इमारतों में अग्नि सुरक्षा को लेकर एनओसी अग्निशमन विभाग देता है. नये बनाये जाने वाले मकान का क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर से अधिक व ऊंचाई 50 फीट होने पर एनओसी लेना अनिवार्य है. नगर परिषद में नक्शा पास कराने के दौरान इन बातों का ख्याल रखा जाता है. ऊंचाई व क्षेत्रफल अधिक रहने पर अग्नि सुरक्षा के उपकरणों को लगाने व अग्निशमन विभाग से एनओसी मिलने के बाद ही नगर परिषद द्वारा नक्शा पास किया जाता है.

अग्निशमन विभाग के भरोसे जिलेवासी:

जिले में अस्पताल, कोचिंग सेंटर, स्कूल तथा ऊंची इमारतों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन अग्नि सुरक्षा को लेकर लोग अभी तक जागरूक नहीं हुए हैं. लोगों को अग्नि सुरक्षा की कोई खास परवाह नहीं है. लोगों का ऐसा मानना है कि वे सुरक्षित हैं उनके मकानों में आग लग भी गयी, तो फायर ब्रिगेड तो है ना, फायर ब्रिगेड आग पर काबू पा लेगा. इसी मानसिकता के कारण लोग अपने-अपने घरों में अग्नि सुरक्षा को लेकर चिंतित नहीं हैं.

कहते हैं अधिकारी

अस्पतालों में भी फायर सेफ्टी की समुचित व्यवस्था नहीं है. केवल अग्निशामक सिलिंडर के सहारे आग से सुरक्षा का इंतजाम है. विभाग के कर्मियों द्वारा अस्पतालों को भी आग से सुरक्षा के लिए जागरूक किया गया है. इससे संबंधित नियमित प्रतिवेदन विभाग के वरीय पदाधिकारी को भेजा जाता है.

अनूप कुमार शर्मा, अनुमंडल अग्निशमन पदाधिकारी जमुई

कहते हैं सदर अस्पताल प्रबंधक

सदर अस्पताल में आग से बचाव को लेकर पुख्ता इंतजाम हैं. जगह-जगह पर एक्सटिंग्विसर सिलिंडर, समेत अन्य उपकरण लगाये गये हैं. फिलहाल फायर अलार्म की व्यवस्था नहीं है, उसे भी जल्द लगा दिया जायेगा.

रमेश पांडेय, सदर अस्पताल प्रबंधक, जमुई

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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