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अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने की मासिक काव्य गोष्ठी

हिंदी व मैथिली कविताओं के पाठ ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

बोकारो. अखिल भारतीय साहित्य परिषद, बोकारो की ओर से रविवार को सेक्टर-06 में मासिक काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी. अध्यक्षता कवयित्री डॉ आशा पुष्प ने व संचालन गीता कुमारी गुस्ताख ने किया. परिषद के महासचिव ब्रह्मानंद गोस्वामी की सरस्वती वंदना से शुरुआत के बाद अध्यक्ष एनके राय ने कविता ‘सुनो रे देश के घाती’, दयानंद सिंह ने ‘वक्त की मांग’, अमृता शर्मा ने ‘सीख लो इतिहास से’ तरन्नुम में पढ़कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी. तरन्नुम में काव्य पाठ से झूम उठे लोग : कवयित्री गीता कुमारी गुस्ताख ने अपनी कविता ‘चाय एक तरीका प्रेम का’ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. परिषद के प्रेस सचिव गंगेश कुमार पाठक ने हास्य व्यंग्य की मैथिली कविता ‘मैथिल छी मैथिली सं वर्णित, मिथिला क आब हम बिसरल छी, ई जुनि बुझी मून्ना झूठ बजै छी’. लव कुमार की देशभक्ति पूर्ण कविता ‘कैसे बने’, ज्योति वर्मा की ‘बीते दिनों की बात’, कल्पना की ‘अमर शहीदों के सम्मान में’, करुणा कलिका की ‘अहो प्रणय के अग्रदूत’, कनक लता की ‘राम धरा गगन को शोभित करता’, माला की ‘अनकही व्यथा’, दीनानाथ ठाकुर की ‘नहीं चाहिए खंडित भारत’ का सस्वर पाठ किया. उपस्थित अन्य कवियों में मुख्य रूप से प्रतिभा त्रिपाठी थीं.

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