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हरलाखी में 1.5 हेक्टेयर में मत्स्य हैचरी का कराया जा रहा निर्माण

अब उन्हें कोलकाता से मत्स्य बीज मंगाने की जरूरत नहीं होगी. मछली का बीज (स्पॉन) अब मधुबनी के हरलाखी में ही तैयार किया जाएगा

मधुबनी. मछली पालकों के लिए अच्छी खबर है. अब उन्हें कोलकाता से मत्स्य बीज मंगाने की जरूरत नहीं होगी. मछली का बीज (स्पॉन) अब मधुबनी के हरलाखी में ही तैयार किया जाएगा. इसके लिए हरलाखी के मत्स्य पालक किसान कविता देवी मत्स्य हैचरी तैयार कर रही है. करीब पच्चीस लाख की लागत से तैयार होने वाली हैचरी में मछली बीज तैयार करने के लिए नौ तालाब का निर्माण कराया जा रहा है. इनमें चार तालाब बनकर तैयार हो चुका है. इसमें बरसात सीजन के बाद मत्स्य बीज उत्पादन शुरू होने की संभावना है. विदित हो कि स्थानीय स्तर पर मत्स्य बीज उत्पादन से मत्स्य पालन को बढ़ावा मिलेगा. इससे और भी लोग जुड़ सकेंगे. मत्स्य विभाग के अनुसार जून महीने के बाद मछली का ब्रिडिंग सीजन रहता है. मछली के अंडे देने के कारण उन्हें पकड़ना प्रतिबंधित रहता है. इस अवधि में मछली नहीं खानी चाहिए. हरलाखी में नौ तालाब की नर्सरी में हर सीजन में तकरीबन चार लाख मत्स्य बीज का उत्पादन होगा. जो स्थानीय किसान आसानी से खरीद सकेंगे. इसका मुख्य उद्देश्य मधुबनी में मत्स्य पालन को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि करना है. मीठे जल में मछली उत्पादन के मामले में मधुबनी बिहार में पहले स्थान पर है. आंकड़े बतादें हैं कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 99.789 हजार मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था. जिसके विरुद्ध 81.19 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ. वहीं, वित्तीय वर्ष 2023-24 में 100.4 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जहां लक्ष्य के अनुरूप मछली का उत्पादन 91.4 हजार मीट्रिक टन हुआ है. जिला मत्स्य पदाधिकारी विनय कुमार ने कहा कि मधुबनी में मात्स्यिकी की काफी संभावना है. किसानों की आय केवल कृषि पर ही निर्भर करती है. जिसके कारण उनकी कमाई का अतिरिक्त श्रोत नहीं रहने के कारण उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था. ऐसे में किसानों को आय के अतिरिक्त श्रोत प्रदान करने के लिए निजी क्षेत्र में मत्स्य हैचरी निर्माण पर सरकार अनुदान भी दे रही है. इससे रोजगार के अवसर को भी बढ़ावा मिलेगा. हैचरी लगाकर किसान योजना का लाभ लेते हुए बेहतरीन मछली उत्पादन कर सकेंगे. सरकार की तरफ से उन्हें अनुदान और ट्रेनिंग भी दी गई है. सरकार हैचरी फिश फार्मिंग के लिए सतर फीसदी अनुदान दे रही है. इसमें किसान को हैचरी लगाने के लिए पंप सेट, बीज उत्पादन यूनिट, दवा, उर्वरक, फीड उपलब्ध कराई जाती है. बिहार का मधुबनी नीली क्रांति की नई इबादत लिख रहा है. कभी दूसरे प्रदेशों के मछली पर निर्भर रहने वाला मघुबनी स्वावलंबी हो गया है. इसके पीछे कारण यह है कि जिले में उत्पादन हर साल बढ़ रहा है. जिले में 4864 सरकारी तालाब है. वहीं 5891 निजी तालाब है. सरकारी और निजी तकरीबन 11 हजार तालाब के 2140. 786 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र और 6 हजार आद्रजल क्षेत्र में मछली का उत्पादन होता है. विदित हो कि मधुबनी में पिछले दो साल में मछली का उत्पादन 20 फीसदी के करीब बढ़ गया है. इसका मुख्य कारण यह है कि फिशरीज सेंटर में कल्चर मछली की ग्रोथ के लिए सपोर्ट सिस्टम उपलब्ध कराने की कोशिश जारी है. किसान मछली मालन को जीविका का विकल्प भी मान रहे हैं. जिला मत्स्य पदाधिकारी विनय कुमार ने कहा कि मत्स्य उत्पादकों और किसानों को पीएम मत्स्य संपदा योजना से योजना का लाभ लेने के लिए अनुदान भी दिया जा रहा है. जिले के हरलाखी में निजी क्षेत्र में मत्स्य हैचरी का निर्माण कराया जा रहा है. जहां सालाना तकरीबन चार लाख मत्स्य बीज का उत्पादन होगा. स्थानीय किसान भी लाभान्वित होंगे.

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