समस्तीपुर : सदर अस्पताल में अव्यवस्थाओं की मार हर दिन मरीजों का झेलनी पड़ रही है. ओपीडी में मरीजों के रजिस्ट्रेशन के लिये चार काउंटर बनाये गये हैं. दो काउंटर ग्रांउड फ्लोर पर महिलाओं के लिये हैं, वहीं दो काउंटर ओपीडी के प्रथम फ्लोर पर है. प्रथम फ्लोर का दाेनों काउंटर पुरुष मरीजों के रजिस्ट्रेशन के लिये है. पिछले डेढ़ महीने से प्रथम फ्लोर के दो काउंटर में एक काउंटर बंद पड़ा है. ओपीडी में हर दिन 800 से 1000 मरीज इलाज कराने के लिये अपना रजिस्ट्रेशन कराते हैं. ऐसे में रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लगने वाली भीड़ का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. कई दिन खासकर सोमवार को मरीजों की संख्या कुछ अधिक ही रहती है. रजिस्ट्रेशन काउंटर की लंबी कतार प्रथम फ्लोर के बाथरूम तक लगी रहती है. इस भीषण गर्मी मरीजों व उनके परिजनों को घंटों लंबी कतार में लगना पड़ता है. ऐसे में उनकी परेशानी का अंदाजा सहज ही लगाया जाता सकता है. रजिस्ट्रेशन के लिये मरीजों को नाम, पता, उम्र के साथ-साथ मोबाइल नंबर भी दर्ज कराना पड़ता है. इस कारण बहुत तेज गति से काम करने के बाद भी थोड़ा समय लगना लाजिमी है. रजिस्ट्रेशन काउंटर का एक मात्र कर्मी पसीने से तरबतर रहता है. मरीजों की लंबी कतार के कारण एक क्षण के लिये भी रजिस्ट्रेशन का काम बंद नहीं सकता है. ऐसी स्थिति में मरीजों के साथ-साथ रजिस्ट्रेशन काउंटर के कर्मी की स्थिति का भी अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. मरीजों की लंबी कतार और भीड़ के कारण गर्मी भी और अधिक लगती है. पंक्ति में खड़े मरीज व उनके परिजन की हालत देखते ही बनती है. सभी सदर अस्पताल की कुव्यवस्था को कोसते रहते हैं. उनके चेहरे से कुव्यवस्था को लेकर आक्रोश भी साफ झलकता रहता है. इतना ही नहीं इतनी मशक्कत के बाद मरीजों को डाॅक्टर से दिखाने के लिये भी लंबी कतार लगानी पड़ी है, सबसे अधिक भीड़ ओपीडी के सामान्य में रहती है. उसके बाद आंख व अन्य विभाग में. डॉक्टर से दिखाने के बाद वैसे मरीज जिन्हें करना होता है, वे रेक्स-रे की लंबी कतार से लगते हैं, हालांकि यहां के कर्मियों की चुस्ती व त्वरित निष्पादन के कारण मरीजों को बहुत परेशानी नहीं होती है. उन्हें तुरंत एक्स-रे व रिपोर्ट दे दिया जाता है. लेकिन पैथोलॉजिक सेंटर की बदतर व्यवस्था के कारण मरीजों को यहां बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. यहां भी लंबी कतार लगती है. इंट्री वाले खिड़की पर काम बहुत धीमी गति होने की शिकायत मरीज करते हैं. अधिसंख्य मरीजों को जांच रिपोर्ट के लिये भी दूसरे दिन आना पड़ता है.
विश्वनाथ रामानंद, हेल्थ मैनेजर, सदर अस्पताल, समस्तीपुर
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