कोलकाता. बिम्सटेक चार्टर के लागू होने से क्षेत्रीय सहयोग बढ़ेगा और यह कदम सदस्य देशों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा. यह चार्टर सभी सदस्य देशों को एक साथ काम करने के लिए कानूनी और संस्थागत ढांचा प्रदान करता है, जिससे सदस्यों के बीच समन्वय और बेहतर होगा.
बिम्सटेक में भारत के अलावा श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं. बता दें कि भारत द्वारा बीते वर्षों में बिम्सटेक को क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक मंच बनाने के लिए ठोस प्रयास किये गये हैं. इस संबंध में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने ‘एक्स’ पर लिखा कि बिम्सटेक चार्टर का लागू होना एक समृद्ध, शांतिपूर्ण और टिकाऊ पड़ोसी के तौर पर भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है. उन्होंने कहा कि बिम्सटेक भारत की नेबरहुड फर्स्ट (पड़ोसी प्रथम) और एक्ट ईस्ट नीतियों को दर्शाता है.
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने चार्टर के लागू होने को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि इससे बिम्सटेक द्वारा अन्य देशों के साथ साझेदारी को बढ़ाया जायेगा. साथ ही समूह में नये सदस्यों को स्वीकार करने में भी मदद मिलेगी. बताया गया है कि बिम्सटेक देशों में दुनिया की कुल आबादी का 22 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है और इनका संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) लगभग 3.6 ट्रिलियन डॉलर है. चार्टर बंगाल की खाड़ी के आसपास के सात देशों के बीच बेहतर सहयोग के लिए एक ठोस कानूनी एवं संस्थागत ढांचा स्थापित करेगा.
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