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भाषा के मरने पर संस्कृति हो जाती है लोप: डॉ राम चैतन्य धीरज

मैथिली विश्व की सबसे प्राचीन व वैज्ञानिक भाषा : डॉ ललित नारायण मिश्र

आरएम कॉलेज सभागार में पुस्तक लोकार्पण सह परिचर्चा संगोष्ठी आयोजित, मैथिली विश्व की सबसे प्राचीन व वैज्ञानिक भाषा : डॉ ललित नारायण मिश्र सहरसा .आरएम कॉलेज सभागार में मंगलवार को डॉ राम चैतन्य धीरज लिखित मिथिला शब्द दर्शन पुस्तक विमोचन लोकार्पण सह परिचर्चा संगोष्ठी का आयोजन किया गया. मैथिली भाषा के ऐतिहासिक व दार्शनिक व्याख्या व मैथिली शब्द की उत्पत्ति का इतिहास संबंधित तथ्य की जानकारी आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि साहित्यकार व समालोचक लेखक रमेश, प्रो डॉ रंजीत कुमार सिंह, आईक्यूएसी समन्वयक डॉ ललित कुमार मिश्रा, विशिष्ट अतिथि बीएनएमयू कुलानुशासक डॉ विश्वनाथ विवेका, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कमल मोहन चुन्नू, डॉ अरुण कुमार सिंह, सीएम कॉलेज दरभंगा के डॉ सुरेंद्र भारद्वाज, डॉ धर्मव्रत चौधरी, डॉ श्रीमंत जैनेंद्र, डॉ कुमार सौरभ निगम दीप प्रज्वलितकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. डॉ अक्षय कुमार चौधरी व साहित्यकार मुख्तार आलम के संचालन में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ ललित नारायण मिश्र ने की. इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि डॉ राम चैतन्य धीरज द्वारा लिखित मिथिला शब्द दर्शन ऐतिहासिक व दार्शनिक व्याख्या है. मैथिली शब्द की उत्पत्ति व इतिहास दो खंड में विभक्त है. इसमें ध्वनि मीमांसा एवं शब्द मीमांसा व्यापक वर्णन किया गया है. वक्ताओं ने कहा कि संस्कृति का आधार भाषा है. भाषा के मरने पर संस्कृति का लोप हो जाता है. मैथिली साहित्य का इतिहास हिंदी साहित्य के इतिहास से भी अति प्राचीन है. मैथिली भाषा में आठवीं सदी में रचित वर्ण रत्नाकर काव्य ग्रंथ के रूप में अति महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि मैथिली ध्वनि व उच्चारण से विशिष्ट बनाता है. यह पुस्तक मिथिला एवं मैथिली के लिए विशिष्ट पहल है. उन्होंने कहा कि भाषा संस्कृति का मूल तत्व समाहित है. ज्ञान की संपूर्ण अवधारणा अनीति व ध्वनि पर आधारित है. मैथिली भाषा को वैदिक भाषा के रूप में भी प्रयोग किया गया है. वहीं प्राकृत भाषा में भी मैथिली शब्द सन्हित है. ऋग्वेद में भी शब्द एवं लौकिक रूप में मानसी भाषा के रूप में मैथिली को जाना जाता है. इस अवसर पर सभी अतिथियों ने पुस्तक का विमोचन कर लेखक के प्रति आभार व्यक्त किया. वहीं कहा कि इस पुस्तक में सबसे प्राचीन भाषा मैथिली शब्द को नई दृष्टि में उजागर किया गया है. जिसके कारण लेखक बधाई के पात्र हैं. वहीं अन्य वक्ताओं ने कहा कि मैथिली भाषा के साहित्य की उत्पत्ति के इतिहास के संबंध में अनेक विद्वान में अनेकानेक रचना की है. डॉ राम चैतन्य धीरज द्वारा प्रकाशित पुस्तक मिथिला शब्द दर्शन अति महत्वपूर्ण है. ज्ञात हो कि डॉ धीरज की मैथिली, हिन्दी एवं संस्कृत में अब तक 14 पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है. वही कई अन्य पुस्तक प्रकाशनाधीन हैं. भाषा वैज्ञानिक के रूप में भी कई पुस्तक के प्रकाशन से मैथिली भाषा काफी समृद्ध हुई है. इस मौके पर डॉ संजय वशिष्ट, आदित्य ठाकुर, नवल मिश्र, दिलीप कुमार चौधरी, राजेश रंजन, रणविजय राज, शैलेंद्र शैली, अरविंद मिश्रा, दिलीप कुमार दर्दी, कुमार विक्रमादित्य, डॉ शुभ्रा कुमारी, डॉ वीणा मिश्र, मनोज कुमार सहित अन्य मौजूद थे.

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