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10 हजार छात्रों को पढ़ाने के लिए सिर्फ 12 प्राध्यापक

गिरिडीह जिले की हृदयस्थली में स्थित है गिरिडीह कॉलेज. जिले का सर्वाधिक पुराना कॉलेज. यहां नामांकित तो 10 हजार से अधिक छात्र हैं, पर 12 प्राध्यापक ही पदस्थापित हैं. आज गिरिडीह कॉलेज के सभी संकायों में प्रोफेसरों की भारी कमी है.

हाल गिरिडीह कॉलेज का : इस कॉलेज में बंटती है सिर्फ डिग्री … बगैर पढ़े देनी पड़ती है परीक्षा

मृणाल कुमार, गिरिडीह

गिरिडीह जिले की हृदयस्थली में स्थित है गिरिडीह कॉलेज. जिले का सर्वाधिक पुराना कॉलेज. यहां नामांकित तो 10 हजार से अधिक छात्र हैं, पर 12 प्राध्यापक ही पदस्थापित हैं. आज गिरिडीह कॉलेज के सभी संकायों में प्रोफेसरों की भारी कमी है. कई विभाग ऐसे हैं, जहां केवल एक ही प्रोफेसर पदस्थापित हैं औ कई में तो एक भी नहीं है. ऐसे में कक्षाओं का सुचारु संचालन नहीं हो पाता. ऐसे में क्लास करने सिर्फ 250-300 ही आते हैं. बगैर पढ़ाई कराये ही बच्चों की परीक्षा ली जाती है. और डिग्री भी हासिल ही हो जाती है. आसपास में कोई प्राइवेट कॉलेज भी नहीं कि छात्र उधर का रुख करें.

कक्षा से उदासीनता बढ़ी है छात्रों में :

वर्ष 1955 में जब कॉलेज की स्थापना हुई तब जिले भर के छात्र-छात्राओं और अभिभावकों में उम्मीद की एक किरण जगी कि अब बच्चों को अपने ही गृह जिले में बेहतर शिक्षा मिल जायेगी. गरीब परिवार के बच्चे भी अपनी शिक्षा हासिल कर सकेंगे. उच्च शिक्षा की सर्वसुलभता के लिए संस्थान आसानी से प्रतिष्ठित हो गया. समय बीतने के साथ कॉलेज में छात्रों की संख्या बढ़ती गयी, पर छात्रों के अनुपात में प्राध्यापकों की पदस्थापना नहीं हो सकी तो बच्चों को मिलने वाली बेहतर शिक्षा भी धीरे-धीरे कम होती गयी. हाल यह है कि कॉलेज में बच्चों की पढ़ाई तक नहीं होती है और छात्रों को बिना पढ़े ही परीक्षा देनी पड़ती है. फिलहाल गिरिडीह कॉलेज में इंटर, यूजी और पीजी मिलाकर करीब 10 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, दुर्भाग्य है कि अब मात्र 250-300 छात्र-छात्राएं ही क्लास करने कॉलेज पहुंचते हैं.

गणित यूजी-पीजी दोनों में हैं छात्र, पर एक भी प्रोफेसर नहीं

गिरिडीह कॉलेज में सबसे खराब स्थिति गणित विभाग की है. फिलहाल इस विभाग में एक भी प्रोफेसर में पदस्थापित नहीं हैं. इस विषय में यूजी-पीजी मिलाकर 2500 से अधिक नामांकन है. विचित्र यह है कि इस विभाग के बच्चों की पढ़ाई एक गेस्ट टीचर से ही हो रही है. एक माह बाद इनकी भी सेवा समाप्त हो जायेगी. इसी तरह कॉमर्स में यूजी-पीजी मिलाकर कुल 1500 छात्रों के लिए एक ही प्रोफेसर हैं. फिजिक्स में एक, कैमिस्ट्री में एक, बोटनी में कोई नहीं, कॉमर्स में एक प्रोफेसर हैं.

54 प्रोफेसर का पद है सृजित, मात्र 12 ही पदस्थापित

विभाग पद सृजित – रेगुलर टीचर – कांट्रेक्चुअल टीचर – गेस्ट टीचर

फिजिक्स – 06 00 00 00कैमेस्टी – 05 00 00 00

बॉटनी – 03 00 00 00गणित – 04 00 00 00

जियोलॉजी – 01 00 00 00जूलॉजी – 04 01 01 00

एंथोप्रोलॉजी – 02 00 01 00इकोनोमिक्स – 03 01 00 00

जियोग्राफी – 02 00 00 00हिस्ट्री – 02 01 00 01

साईकोलॉजी – 01 00 00 00पोलटिक्ल साइंस 03 01 01 00

अंग्रेजी – 04 03 00 00 हिंदी – 04 02 00 00

फिलोस्पी – 02 00 01 00उर्दु – 01 00 01 00

बंगाली – 01 00 00 00कॉमर्स – 02 01 00 00

संथाली – 00 00 00 00डेमोंस्ट्रेटर – 03 01 00 00विश्वविद्यालय की सारी अर्हताएं पूरी करने वाले जिले में बेहतर शिक्षा का अभावगिरिडीह. वैसे तो चुनाव के वक्त विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता व प्रत्याशी गिरिडीह में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने का वादा किया जाता है. बेरोजगारों को रोजगार के लिए भी बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती हैं, लेकिन कई चुनाव हुए और कई जनप्रतिनिधि चुने गये, पर स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. देश के पिछड़े जिलों में शामिल इस जिले में बेहतर शिक्षा को लेकर किसी को चिंता नहीं है. यहां के सरकारी स्कूलों व कॉलेज में शिक्षकों की घोर कमी है. कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही. दिन-प्रतिदिन प्रोफेसर सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं, पर रिक्तियों के एवज में बहाली की दिशा में कोई पहल नहीं की गयी.

हर साल हजारों छात्र होते हैं मैट्रिक और इंटर उत्तीर्ण

गिरिडीह में प्रत्येक वर्ष सिर्फ जैक से ही मैट्रिक में 35 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल होते है. सीबीएसई व आईसीएसई में भी लगभग 25 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं मैट्रिक की परीक्षा देते हैं. इंटर में तो 26-27 हजार छात्र-छात्राएं सिर्फ जैक बोर्ड में शामिल होते है. इसके अलावे सीबीएसई व आईसीएसई में प्रत्येक वर्ष 20-25 हजार छात्र-छात्राएं शामिल होते हैं. इस तरह गिरिडीह जिला में विश्वविद्यालय बनने की अर्हता रखता है, पर यहां के जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये के कारण यहां की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव तो नहीं हुआ, पर बिखराव जरूर हो रहा है. इस बिखराव को रोकने के लिए कहीं से भी आवाज नहीं उठ रही है.

कई विषयों में बंद हो चुकी है पढ़ाई

गिरिडीह के कॉलेज में कई विषयों में प्रोफेसरों की घोर कमी होने के कारण उन विभागों में पढ़ाई बंद हो चुकी है. गिरिडीह के कई कॉलेजों में होम सांइस, सोशल साइंस, बंगाली, उर्दू की पढ़ाई अब लगभग बंद ही हो गयी है. नतीजतन इनमें पढ़ाई की रुचि रखने वाले छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.क्या कहते हैं शिक्षाविद :

जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिखायी गंभीरता : डॉ प्रवीण मिश्रा

स्कॉलर बीएड कॉलेज, गिरिडीह के प्रो. प्रवीण कुमार मिश्रा ने कहा कि यदि संजीदगी से उच्च शिक्षा के प्रति सकारात्मक ईमानदार प्रयास हुआ रहता तो अब-तक गिरिडीह जिले में विश्वविद्यालय की स्थापना हो गयी होती. अब तक यहां कोई भी मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज एवं अनुसंधान से संबंधित कोई भी उच्चस्तरीय संस्थान के विकास एवं विस्तार के प्रति गंभीरता नहीं दिखी. गिरिडीह के छात्र-छात्राएं माइनिंग में बीटेक करके आते हैं और गिरिडीह व उसके आसपास रोजगार की संभावनाओं को तलाशते हैं ओर सफल भी होते हैं. गिरिडीह में इसके अनुरूप अध्ययन की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. विडंबना है कि यही गिरिडीह है, जिसे कभी कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर, वैज्ञानिक सर जेसी बोस, सांख्यिकविद पीसी महालनोबिस जैसी महान विभूतियों ने गौरवान्वित किया है, आज उस गिरिडीह का हाल यह है.

बेहतर प्रयास नहीं होने से उत्पन्न हुई है समस्या : रंजीत

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य रंजीत राय ने बताया कि गिरिडीह जिला पिछड़े जिलों में शामिल है और यह जिला विश्वविद्यालय बनने की सारी अर्हताएं पूर्ण करता है. इसकी घोषणा भी हो चुकी है, पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण जिले में शैक्षणिक व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पायी है. इसे लेकर कई बार आवाज भी उठायी है. कहा कि यह एक बड़ी समस्या है और इस समस्या के समाधान के लिए सभी को मिलकर पहल करने की जरूरत है.

परेशानी को दूर करने का हो रहा प्रयास : रजिस्ट्रार

विनोवा भावे विश्वविद्यालय के प्रभारी रजिस्ट्रार मो मुख्तार आलम ने बताया कि प्रोफेसरों की प्रतिनियुक्ति जेपीएससी के माध्यम से होती है. बहाली नहीं होने के कारण परेशानी हो रही है. इसके बावजूद कॉलेजों में कांट्रैक्चुअल टीचर और गेस्ट टीचर के माध्यम से बेहतर शिक्षा दिलाने का प्रयास हो रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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