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धान की नर्सरी डालने से पहले बीज एवं निट्टी उपचार जरूरी: डा अलीमुल

धान की खेती करने वाले किसानों को नर्सरी डालने से पहले बीज एवं भूमि जनित रोगों से बचने के लिए बीज एवं मृदा का उपचार अवश्य करना चाहिए.

किशनगंज.धान की खेती करने वाले किसानों को नर्सरी डालने से पहले बीज एवं भूमि जनित रोगों से बचने के लिए बीज एवं मृदा का उपचार अवश्य करना चाहिए. किशनगंज कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ अलीमुल इस्लाम ने बताया कि बीज शोधन करना बहुत ही आवाश्यक होता है क्योंकि बहुत से रोग बीज जनित रोग फसलों में उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे फसल उत्पादन घट जाता है. इस नुकसान से बचने के लिए किसान बीज शोधन जरूर करें. यदि किसी किसान ने पहले ही बिना शोधन के बीज डाल दिया हो तब वैसी परिस्थिति में संक्रमित पौधों को शुरू में ही पहचान कर उखाड़ कर अलग कर दें. नर्सरी के लिए तैयार बीज में ही रोग एवं कीट संक्रमण के कारक मौजूद रहते हैं, जैसे ही अनुकूल परिस्थितियां मिलती हैं, रोग का प्रसार तेजी से हो जाता है. धान की नर्सरी डालने वाले किसान बीज एवं मृदा शोधन करके अपनी फसल को बड़े नुकसान से बचा सकते हैं. धान में पद गलन, झोंका, बकानी, झुलसा, खैरा आदि जैसे रोग धान में पाए जाते हैं. किसान को धान की नर्सरी डालने से पहले बीज एवं मृदा का उपचार अवश्य कर लेना चाहिए. बीजशोधन काबेंडाजिम, जैव उर्वरक जैसे एजोटोबेक्टर, ट्राइकोडर्मा, स्योडोमोनास आदि जैसे अन्य रसायनों से बीज उपचार कर सकते हैं, मृदा उपचार करने के लिए किसान ट्राईकोडर्मा का प्रयोग कर सकते हैं. ट्राईकोडर्मा को 5 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करें.

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