वीरपुर. कोसी नदी के कोसी बराज से भारतीय क्षेत्र में निकलने वाली पूर्वी कोसी मुख्य नहर में अधिक गाद और बालू जमा हो जाने से मुख्य नहर में पानी का बहाव काफी घट गया है. जिससे खरीफ और रबी दोनों ही फसलों में पटवन की समस्या आ सकती है. ऐसे में किसानों ने विभाग और सरकार से पूर्वी कोसी मुख्य नहर की सफाई कराने की मांग की है. ताकि हर खेत पानी की योजना साकार किया जा सके. इस नहर से सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और खगड़िया जिले के लाखों हेक्टेयर खेतों की सिंचाई होती है. जानकारी अनुसार प्रथम पंचवर्षीय योजना अंतर्गत वर्ष 1952 में इसका अनुमोदन किया गया था. जो लगभग 13 वर्ष बाद 1965 में बनकर तैयार हुआ. योजनाबद्ध तरीके से नहरों के माध्यम से खेतों में पटवन होने लगी.
13 साल से नहीं हुई नहर की सफाई
लगभग 60-65 साल पहले बेहतर तरीके से सिंचाई के उद्देश्य से पुराने ढांचे के आधार पर नहर का निर्माण करवाया गया था. सरकार के नियम के आलोक में नहर की समय-समय पर उड़ाही व सफाई का काम करवाया जाता रहा. लेकिन पिछले 13 सालों से नहर की समुचित उड़ाही अथवा सफ़ाई का काम नहीं करवाया गया है. जिससे कोसी बराज से मात्र एक किमी की दूरी तय करने के बाद पूर्वी मुख्य नहर के बीचो बीच बालू का टीला बन गया है. इस टीले पर पांच से सात फीट ऊंचे जंगल उग गए हैं. ऐसे में बरसात के दिनों में पानी का बहाव अधिक तेज होने से मुख्य नहर के टूटने का खतरा भी बढ़ जाता है.कहते हैं कार्यपालक अभियंता
इस बाबत सिंचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ई राजेश कुमार ने बताया कि ये बातें उनकी जानकारी में है. विभाग को भी इसकी सूचना दी जा चुकी है. विभाग के निर्देशानुसार और विभागीय मार्गदर्शन के अनुकूल कार्य किया जाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है