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कंबोडिया, थाईलैंड, वियतनाम में स्मार्ट पैकेज का लोभ देकर भेजे जा रहे युवा

विदेश में स्मार्ट सैलरी का झांसा देकर युवाओं को अपने जाल में फंसा कर उनको चीन, पाकिस्तान की अवैध एजेंसियों को ले जाकर बेच रहे हैं. विदेश भेजने के लिए युवकों से भी 80 हजार से तीन लाख रुपये लिये जाते है.

गोपालगंज. विदेश में स्मार्ट सैलरी का झांसा देकर युवाओं को अपने जाल में फंसा कर उनको चीन, पाकिस्तान की अवैध एजेंसियों को ले जाकर बेच रहे हैं. विदेश भेजने के लिए युवकों से भी 80 हजार से तीन लाख रुपये लिये जाते है. दोनों तरफ से कमाई कर खुद अरबपति बन रहे हैं. रुपये के लोभ में कायदे-कानून को भी भुला दिये है. अब एनआइए की कार्रवाई से साफ हो गया है कि गोपालगंज व सीवान के भोले- भाले युवकों को अपने जाल में फंसा ले रहे हैं. मुख्य रूप से चीन व पाकिस्तान संचालित रैकेट के लिए काम करने वाले कंपनी एजेंटों से इनका संपर्क है. उनसे एक युवा के लिए दो से तीन हजार डॉलर रुपये लेकर यहां से युवकों को सप्लाइ कर दे रहे हैं. संयुक्त अरब अमीरात, कंबोडिया, थाइलैंड, वियतनाम, लाओस एसइजेड में युवाओं को लाओस, गोल्डेन ट्रायंगल एसइजेड और कंबोडिया सहित अन्य स्थानों पर फर्जी कॉल सेंटरों में ऑनलाइन फ्रॉड करने के लिए मजबूर किया गया, जैसे क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, नकली एप्लिकेशन का उपयोग करके क्रिप्टो मुद्रा में निवेश, हनी ट्रैपिंग के जरिये भारत के ही लोगों को टारगेट किया जा रहा था. अब जांच में रैकेट का खुलासा होने के बाद जांच एजेंसियां एक्शन मोड में हैं. पांच संगठित सप्लायरों की इनपुट सामने आ चुके है. इनपुट पर होमवर्क भी तेज हो गयी है. आम लोगों को भी अब उम्मीद है कि अब मानव तस्करी करने वाले एजेंटों पर कठोरता से कार्रवाई होगी. रोजगार के अभाव से जूझ रहे कई युवक चीन व पाक के कंपनियों में काम करने को राजी हो जाते हैं. वे उनके लिए साइबर अपराध के कांड में जुड़ गये हैं. बहुत कम ही हैं, जो विरोध कर भाग निकले. भागने वालों को यातना भी सहना पड़ा. यह केस महज बानगी भर है. उसी में से कुचायकोट के करमैनी मोहब्बत के संजीत कुमार यादव भी कंबोडिया से इंडियन एंबेसी के सहयोग से ही बचकर इंडिया लौट सका. विदेश में ठगी के शिकार होने वाले युवकों की ओर से दर्ज कराये गये कांड को दर्ज करने के बाद पुलिस कार्रवाई करना भूल जाती है. जिले के विभिन्न थानों में दो सौ से अधिक कांड जांच के लिए लंबित पड़े हुए हैं.

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