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Mallikarjun Kharge: प्रधानमंत्री ने चुनाव प्रचार में मंदिर और खुद को दी अधिक प्राथमिकता

Mallikarjun Kharge: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री के भाषणों को सांप्रदायिक करार दिया और कहा कि महंगाई और बेरोजगारी पर वे चुप रहें.

Mallikarjun Kharge: लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का चुनाव प्रचार गुरुवार को थम जाएगा. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांप्रदायिक भाषणों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री ने 421 बार मंदिर, 758 बार खुद का नाम और मुस्लिम, पाकिस्तान और अल्पसंख्यकों का नाम 224 बार लिया. लेकिन इस दौरान प्रधानमंत्री ने एक बार भी महंगाई और बेरोजगारी का नाम नहीं लिया. अगर भाजपा के प्रचार अभियान की बात करें तो पिछले 15 दिनों में प्रधानमंत्री ने 232 बार कांग्रेस और 573 बार इंडिया गठबंधन का नाम लिया. इससे जाहिर होता है कि प्रधानमंत्री ने आम लोगों के मुद्दों को दरिकनार करने की कोशिश की. 

चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री पर नहीं की कार्रवाई

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने सांप्रदायिक बयानबाजी की, लेकिन चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि आयोग ने जाति और सांप्रदायिक आधार पर वोट मांगने पर कई दलों को फटकार लगायी. देश की जनता को महंगाई और बेरोजगारी से निजात चाहिए. ऐसे में चार जून को इंडिया गठबंधन की सरकार बनना तय है. इंडिया गठबंधन की सरकार सभी वर्ग को साथ लेकर चलेगी. यह पूछे जाने पर कि अगर इंडिया गठबंधन को बहुमत मिलता है तो प्रधानमंत्री कौन होगा. खरगे ने कहा कि सभी साथी दल की सहमति से प्रधानमंत्री का नाम तय किया जायेगा. आम लोग लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए भाजपा के खिलाफ मतदान किया है. 

प्रधानमंत्री मोदी की राजनीति घृणा पर है आधारित

महात्मा गांधी ने घृणा की बजाए अहिंसा की राजनीति को अपनाया. यही कांग्रेस का सिद्धांत है. हमारा फोकस सभी के कल्याण पर होगा. यह चुनाव इस मायने में अहम होगा कि लोगों ने जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग और भाषा के इतर संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए मतदान किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का ये कहना गलत है कि गांधी जी पर फिल्म बनने के बाद दुनिया ने उन्हें जाना. चार जून के बाद प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा नेताओं के पास गांधी जी के बारे में पढ़ने के लिए काफी समय मिलेगा. अगर प्रधानमंत्री को गांधी के काम के बारे में जानकारी नहीं है तो उन्हें संविधान की भी जानकारी नहीं होगी. 

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