गोपालगंज. मई का अंतिम सप्ताह समाप्ति पर है और तापमान तथा धूप अपने चरम पर है. इससे हर कोई परेशान नजर आ रहा है. तेज धूप के कारण सड़कों पर लोग निकलना बंद कर दिया है और 10 बजते-बजते सड़कें सुनसान हो रही हैं. गरम हवा के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही है. अधिक जरूरी है, तो लोग इस धूप से बचने के लिए अपने सिर व चेहरे को कपड़े से ढक कर निकल रहे हैं. लेकिन उसके बाद भी लू के शिकार हो जा रहे हैं. यही नहीं, प्रखंड के ताल-तलैया अप्रैल में ही सूख गये, जिससे पशुपालक भी परेशान नजर आ रहे हैं और वे लोग पानी के लिए चंवर में अपने मवेशियों के साथ जा रहे हैं. लेकिन पानी नहींं होने से बैरंग घर लौट जा रहे हैं. चंवर का पानी भी सूख गया है, जिससे पक्षियों को भी पानी नहीं मिल रहा है. पानी की कमी से चंवर क्षेत्र में रहने वाले जानवर भी अब रिहाइशी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं. लोग हैंड पंप से पानी चला कर उनकी प्यास बुझा रहे हैं. बंदर, नीलगाय, जंगली सूअर सहित अन्य जानवर लोगों के दरवाजे तक पहुंच जा रहे हैं. भूगोलशास्त्री प्रो. भैरवी सिंह का कहना है कि औद्योगीकरण, तेजी से बढ़ती जनसंख्या और असंतुलित होते पर्यावरण के कारण जंगलों पर दबाव बढ़ रहा है. हर इंसान अपनी जरूरतों के लिए जंगलों पर निर्भर होता जा रहे है. चाहे जमीन हो या ईंधन. इंसान पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रहा है. पहले सभी गांवों में बाग-बगीचे देखे जाते थे, लेकिन समय के साथ पेड़ कटते गये. नये पेड़ लगाये नहीं गये. पर्यावरण में असंतुलन और प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. मिट्टी का कटाव होने के कारण पेड़ों की जड़ें कमजोर हो रही हैं और उनका जीवनकाल कम हो रहा है. तापमान और बारिश का चक्र बदल रहा है, प्रदूषण और मिट्टी का कटाव ऐसे फैक्टर हैं, जो पेड़ों के विकास को बाधित कर रहे हैं. ऐसे में सबसे जरूरी है प्रदूषण को रोकना क्योंकि इसके लिए इंसान ही जिम्मेदार है. वहीं इसे सुधार सकता है. तापमान असंतुलित न हो इसके लिए पेड़ों और जंगलों को संरक्षित करने की जरूरत है. खाली पड़ी जमीन पर आबादी के मुताबिक अलग-अलग तरह के पेड़ लगाएं क्योंकि ये सिर्फ ऑक्सीजन के लिए नहीं बल्कि जानवरों और पक्षियों के लिए ये बेहद जरूरी है. पेड़ रहेंगे, तभी हमारा जीवन भी रहेगा.
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