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तंबाकू निषेध दिवस पर आयोजित होंगे कई कार्यक्रम

तंबाकू का उपयोग और उसका सेवन कई प्रकार के कैंसर जैसे फेफड़ा, स्वरयंत्र, मुंह, ग्रासनली, गला, मूत्राशय, गुर्दे, यकृत, पेट, अग्न्याशय और गर्भाशय ग्रीवा के साथ-साथ तीव्र माइलॉयड ल्यूकेमिया के प्रमुख कारणों में से एक है.

मधुबनी. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस का आयोजन किया जाता है. ताकि तंबाकू और इसके उत्पादों के सेवन से जुड़े जोखिम व बुरे प्रभाव के बारे में जागरुकता बढ़ाई जा सके. तंबाकू का उपयोग और उसका सेवन कई प्रकार के कैंसर जैसे फेफड़ा, स्वरयंत्र, मुंह, ग्रासनली, गला, मूत्राशय, गुर्दे, यकृत, पेट, अग्न्याशय और गर्भाशय ग्रीवा के साथ-साथ तीव्र माइलॉयड ल्यूकेमिया के प्रमुख कारणों में से एक है. ऐसा अनुमान है कि तंबाकू के सेवन के कारण हर साल 1 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. तंबाकू न केवल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि पर्यावरण पर भी कई तरह से बुरा प्रभाव डालता है. इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस का थीम है ” बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना “. विश्व तंबाकू निषेध दिवस का महत्व दुनिया भर में हर साल लगभग 35 लाख हेक्टेयर भूमि का उपयोग तंबाकू की खेती के लिए किया जाता है. तंबाकू की खेती के कारण होने वाले वार्षिक वनों की कटाई का अनुमान 2 लाख हेक्टेयर है. तंबाकू उत्पादन का पारिस्थितिकी तंत्र पर काफी अधिक विनाशकारी प्रभाव पड़ता है. कारण तंबाकू की खेती वाली भूमि मक्का उगाने और पशुओं के चरने जैसी अन्य कृषि गतिविधियों की तुलना में रेगिस्तानीकरण (जैविक उत्पादकता में कमी) के प्रति अधिक संवेदनशील होती है. इसके अलावे तंबाकू उगाने के लिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का भारी मात्रा में उपयोग किया जाता है. जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है. इस परिदृश्य के मद्देनजर, तंबाकू की खेती पर अंकुश लगाने और किसानों को अन्य खाद्य फसलों की खेती करने में सहायता करने के लिए तत्काल विधायी कार्रवाई की आवश्यकता है. तंबाकू पर्यावरण को कर रहा प्रभावित विश्व में हर साल तंबाकू उगाने के लिए लगभग 35 लाख हेक्टेयर भूमि नष्ट कर दी जाती है. तंबाकू की खेती से हर साल 2 लाख हेक्टेयर वनों की कटाई होती है और मिट्टी का क्षरण होता है. दुनिया भर में हर साल लगभग 4.5 लाख करोड़ सिगरेट बट का उचित तरीके से निपटारा नहीं किया जाता है. इससे हर साल 80 करोड़ किलोग्राम जहरीला कचरा पैदा होता है. विश्व तंबाकू निषेध दिवस का मुख्य लक्ष्य तंबाकू उपयोगकर्ताओं के बीच इसकी खेती, उत्पादन, वितरण, उपयोग और अपशिष्ट प्रबंधन से लेकर तंबाकू के सम्पूर्ण जीवन चक्र के प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करना है. मूल रूप से उन्हें शिक्षित करना और इसे छोड़ने के लिए पर्याप्त कारण देना है. तंबाकू और धूम्रपान के सेवन से होने वाली बीमारियों और मृत्यु को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करना है. तंबाकू कंपनियों द्वारा अपने उत्पाद को पर्यावरण अनुकूल बताकर विपणन करने की धोखाधड़ी को उजागर करना है.अभियान का उद्देश्य नीति निर्माताओं और सरकार से सख्त नीति और दिशानिर्देश बनाने तथा मौजूदा नीति को मजबूत करने के लिए अपील करना है, ताकि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले तंबाकू उत्पाद अपशिष्ट के लिए तंबाकू उत्पादकों को जिम्मेदार ठहराया जा सके. तंबाकू निषेध दिवस पर आयोजित होंगे कई कार्यक्रम सिविल सर्जन डा. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई को जिले में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. प्रभातफेरी, पोस्टर मेकिंग, शपथ ग्रहण समारोह सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इस संदर्भ में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है. सिगरेट तथा बीड़ी में अमोनिया, कार्बन मोनोऑक्साइड, नेप्थलीन और हाइड्रोजन सायनाइड, निकोटीन, रेडियोधर्मी पदार्थ का सेवन करते हैं. चबाने वाला तंबाकू धुआं रहित तंबाकू में निकोटीन, कैडमियम, फॉर्मल डीटाइड मेथेनॉल ले रहे हैं. तंबाकू उपयोग सिर्फ स्वास्थ्य के लिए ही हानिकारक नहीं है, बल्कि इसके दुष्प्रभाव इस से भी अधिक है. परिश्रम से कमाए गए धन को तंबाकू पर खर्च करने के बजाय शिक्षा एवं परिवार के लिए पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए खर्च किया किया जा सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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