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नोवामुंडी : जैविक खेती कर रहे 58 किसान सम्मानित

कुटिंगता में किसानों के लिए पारंपरिक कृषि मेला आयोजित.रासायनिक खाद से मिट्टी के साथ मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा.

नोवामुंडी. नोवामुंडी के कुटिंगता मैदान में गुरुवार को खेतीहर किसानों के लिए पारंपरिक कृषि मेला का आयोजन किया गया. बिंदराय इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च स्टडी एंड एक्शन बिरसा नोवामुंडी की ओर से आयोजित कृषि मेला में किसान व ग्रामीण पहुंचे थे. मेला में पारंपरिक तरीके से जैविक खाद से खेती कर रहे 58 किसानों को सम्मानित किया गया. कृषि मेला में किसान संयोजक राजेन्द्र चंपिया ने बताया कि बदलते परिवेश के साथ खेती के तरीके में काफी बदलाव आया है. पहले किसान खेतों में गोबर की खाद डालकर खेती करते थे, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए बहुत जरूरी होते थे. एक गाय के गोबर व मूत्र से कई तरह के खाद व कीटनाशक बनाकर आसानी से खेती की जा सकती है. यदि किसान घन जीवामृत बना लें, तो उन्हें रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा. रासायनिक खाद से मिट्टी के साथ मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. कृषि मेला में आसपास इलाके के ग्रामीण किसानों में जयंती कैरम, सरिता बिरुवा, लखन जेराई, सोनाराम तुबिड, लक्ष्मण जेराई, बुधराम पुरती, अर्जुन ग़ोप, पानी लागुरी आदि मौजूद थे. कृषि मेला के आयोजन में इंस्टीट्यूट के गौतम मिंज व अंबिका दास आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा.

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