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रांची विश्वविद्यालय अर्न लीव देने संबंधी अधिसूचना जारी करे : रूटा

रांची विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने कहा है कि विवि में ग्रीष्मावकाश की छुट्टी की पहले ही कटौती हो चुकी है और अब उसमें भी परीक्षा और मूल्यांकन के लिए शिक्षकों को अलग से अर्न लीव देने संबंधी अधिसूचना विवि प्रशासन ने अब तक जारी नहीं की है, जो न्याय पूर्ण नहीं है.

रांची (विशेष संवाददाता). रांची विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने कहा है कि विवि में ग्रीष्मावकाश की छुट्टी की पहले ही कटौती हो चुकी है और अब उसमें भी परीक्षा और मूल्यांकन के लिए शिक्षकों को अलग से अर्न लीव देने संबंधी अधिसूचना विवि प्रशासन ने अब तक जारी नहीं की है, जो न्याय पूर्ण नहीं है. संघ ने ग्रीष्मावकाश 20 जून से 20 जुलाई तक करने का आग्रह किया है. उक्त निर्णय गुरुवार को डॉ उमेश कुमार की अध्यक्षता में रूटा की ऑनलाइन बैठक में लिये गये. बैठक में शिक्षकों ने मई महीने के वेतन व पेंशन पर लटक रही तलवार के बीच विवि प्रशासन को अविलंब सक्रिय होने का आग्रह किया है. बैठक में पहले से प्रोन्नत शिक्षकों को जेपीएससी द्वारा डिमोशन करने के निर्णय पर से संबंधित शिक्षकों से पक्ष मांगने की बात कही गयी. एकतरफा निर्णय शिक्षकों के साथ अन्याय है. शिक्षकों ने इस मामले में विवि, सरकार तथा राजभवन और जेपीएससी से न्याय करने की मांग की है. संघ ने विवि में एक प्रोन्नति सेल बनाने की भी मांग की. पीएचडी इंक्रीमेंट के मुद्दे पर रूटा ने विवि प्रशासन के योगदान के साथ साथ डॉ नीरज, डॉ रीता कुमारी के सहयोग के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की गयी. इस अवसर पर डॉ कंजीव लोचन, डॉ आनंद कुमार ठाकुर, डॉ सीमा प्रसाद, डॉ विनिता एक्का, डॉ अवधबिहारी आदि उपस्थित थे.

डिमोशन करने से पहले विवि व्यावहारिक कठिनाइयों पर गौर करे विवि : फ्रुक्टाज

रांची. फेडरेशन ऑफ रिटायर्ड यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ऑफ झारखंड (फ्रुक्टाज) ने सात शिक्षकों की प्रोन्नति के संबंध में सिंडिकेट की आपात बैठक में उन्हें डिमोशन करने से पहले कोर्ट व व्यावहारिक कठिनाइयों पर विवि को गौर करने का आग्रह किया है. फ्रुक्टाज के महासचिव डॉ हरिओम पांडेय ने कहा है कि जेपीएससी द्वारा शिक्षकों को पदावनत करना एक दुखद घटना है. डॉ मिथिलेश सिंह के तिथि सुधार संबंधी केस में उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय भी हो चुका है. वहीं डॉ आशीष कुमार झा विवि में जेपीएससी द्वारा ही परीक्षा नियंत्रक नियुक्त किये गये हैं. डॉ एके डेल्टा भी विभागाध्यक्ष हैं. इस मामले में इन शिक्षकों की कोई गलती नहीं है, इसलिए विवि इन्हें न्याय देने का प्रयास करे.

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