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Kalawa Rules: हाथ में क्यों बांधते हैं मौली या कलावा? जानिए इसके नियम और परंपरा

Kalawa Rules: सनातन धर्म में पूजा पाठ के दौरान मौली या कलावा बांधने की परंपरा है. ज्योतिष शास्त्र में इसके कुछ नियम विधि और महत्व बताए गए है. आइए जानते है कुछ महत्वपूर्ण बातें...

Kalawa Rules: सनातन धर्म में पूजा-पाठ या कोई मांगलिक कार्य करते समय कलाई पर मौली या कलावा बांधा जाता है. यज्ञ के दौरान कलावा बांधे जाने की परंपरा पहले से ही चली आ रही है. पौराणिक ग्रंथों में कलावा को संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में बांधे जाने का उल्लेख है. ऐसी पौराणिक कथा है कि, असुरों के राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था. ऐसी मान्यता है की हाथ में कलावा बांधने से जीवन में आने वाले संकट टल जाते हैं. कलावा को हमेशा तीन या पांच राउंड घुमा कर ही हाथों में बांधना चाहिए.

किस हाथ की कलाई में बांधे कलावा?

कलावे को किस हाथ में बांधना चाहिए, इसे लेकर महिला और पुरुष दोनों के लिए अलग-अलग नियम हैं. महिलाओं को हमेशा कलावा अपने दाएं हाथ में बंधवाना चाहिए और यदि आप शादीशुदा हैं तो इसे अपने बाएं हाथ में बंधवाएं. इसके साथ पुरुषों को इसके ठीक उल्टा हमेशा दाएं हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए. कलावा बंधवाते समय हाथ में अक्षत रखना और मुट्ठी बंद रखना चाहिए, जब यह कलावा पुराना या खराब हो जाए तो इसे बदल देना चाहिए.

ऐसा कलावा मानते हैं अशुभ

रंग उतरा हुआ कलावा बांधना अशुभ माना जाता है, इसलिए इसे उतार देना ही उचित होता है. कलावा जब भी हाथ से उतारा जाता है, तो वह आपके भीतर और आपके आसपास की नकारात्मकता को लेकर ही उतरता है. इसलिए उस कलावे को दोबारा नहीं पहनना चाहिए. कलावे को बेवक्त खोलना और यहां-वहां कहीं भी रख देना बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता इसलिए हाथ से उतारा हुआ कलावा किसी बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए. हिंदू धर्म शास्त्रों में कलावे के महत्व को बताया गया है, साथ ही इसे उतारने और बदलने के नियम भी निर्धारित किए गए हैं.

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हाथों से कलावा कब उतारना चाहिए

अक्सर हम सभी कलावा बांधने के बाद उसे निकालना भूल जाते हैं और वो लंबे समय तक हाथ में बंधा रह जाता है. कलावा सूती धागे का बना होता है, इसलिए कुछ दिनों बाद कलावे का रंग उतरने लगता है. इस तरह वो कलावा हमें अपनी ऊर्जा देना बंद कर देता है. रंग उतरता कलावा बांधना अशुभ माना जाता है. इसलिए इसे उतार देना ही उचित होता है. इसलिए शास्त्रों में वर्णन किया गया है की हाथ में कलावा सिर्फ 21 दिन के लिए बांधना चाहिए, क्योंकि अमूमन तौर पर इतने दिन में कलावे का रंग उतरने लगता है और कलावा कभी भी उतरे हुए रंग का नहीं पहनना चाहिए. 21 दिनों के बाद फिर किसी अच्छे मुहूर्त में हाथ पर कलावा बंधवा सकते हैं.

कलावा उतारते समय किन बातों का रखें ध्यान

जिस प्रकार कलावा बांधने को लेकर कुछ नियम बनाए गये हैं. उसी प्रकार इसे खोलने के भी कुछ नियम हैं. इसके बावजूद भी लोग अज्ञानतावश इसे कभी भी उतार देते हैं, लेकिन ऐसा करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है. कलावा बांधने के 21 दिनों के बाद खोल देना चाहिए क्योंकि अक्सर इतने दिनों में कलावे का रंग फीका पड़ने लगता है और रंग उतरा कलावा बांधना अशुभ होता है. शास्त्रों के मुताबिक कलावा उतारने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है. इस दिन आप इसे उतार कर नया कलावा हाथ में बांध सकते हैं. इसे आप विषम संख्या वाले दिन भी उतार सकते है. लेकिन इस बात का ध्यान रकहें कि इन विषम संख्या वाले दिन में मंगलवार, शनिवार ना पड़ रहा हो. कलावा उतारने के बाद इसे बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.

कलावा किस हाथ की कलाई में बांधना चाहिए?

पुरुषों को दाएं हाथ में और महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए. यदि महिलाएं शादीशुदा हैं, तो उन्हें अपने दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए.

कलावा कितने दिनों तक बांधना चाहिए?

कलावा को 21 दिनों तक बांधना चाहिए, क्योंकि इसके बाद इसका रंग उतरने लगता है और इसे उतार देना शुभ माना जाता है.

रंग उतरा हुआ कलावा क्यों अशुभ माना जाता है?

रंग उतरा हुआ कलावा नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, इसलिए इसे उतारकर किसी बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.

कलावा उतारने का सही दिन कौन सा होता है?

मंगलवार और शनिवार का दिन कलावा उतारने के लिए सबसे शुभ माना जाता है. इसे विषम संख्या वाले दिन भी उतारा जा सकता है, बशर्ते वह दिन मंगलवार या शनिवार न हो.

क्या कलावा दोबारा पहना जा सकता है?

एक बार उतारा गया कलावा दोबारा नहीं पहनना चाहिए. पुराना या खराब हो चुका कलावा बदल देना चाहिए और नया कलावा शुभ मुहूर्त में बंधवाना चाहिए.

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