Water Crisis in Delhi : दिल्ली सरकार ने प्रदेश में व्याप्त पानी की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दिल्ली सरकार की ओर से एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें यह मांग की गई है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से दिल्ली को अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराया जाए. याचिका में कहा गया है कि भीषण गर्मी की वजह से दिल्ली में पानी की खपत बढ़ गई है जिसे देखते हुए राजधानी की जरूरतों को पूरा करना सभी की जिम्मेदारी है.
आतिशी ने हरियाणा सरकार को ठहराया जिम्मेदार
दिल्ली सरकार ने कोर्ट से यह आग्रह किया है कि वो हरियाणा सरकार को यह निर्देश दें कि दिल्ली में पानी की मांग को देखते हुए एक महीने के लिए अतिरिक्त पानी छोड़ें, ताकि दिल्लीवासियों को कष्ट ना हो. इसके पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार से यह आग्रह किया था कि वे दिल्ली में जलसंकट को देखते हुए एक महीने के लिए अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराएं. वहीं दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने गुरुवार को यह बायन दिया था कि दिल्ली में जो जलसंकट बना हुआ है उसकी वजह हरियाणा सरकार द्वारा पर्याप्त मात्रा में पानी ना छोड़ना है.
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क्या है मामला
दिल्ली के पास अपना कोई जलस्रोत नहीं है, जिसकी वजह से प्रदेश को अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है. दिल्ली और हरियाणा के बीच यमुना नदी के जल को लेकर हमेशा से विवाद होता रहता है. इस विवाद में दिल्ली और हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश भी शामिल हैं. 1954 में यमुना जल समझौता हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच हुआ था. जिसमें हरियाणा को यमुना के जल का 77 प्रतिशत हिस्सा और उत्तर प्रदेश को 23 प्रतिशत तय किया गया था. लेकिन उस समय तीन राज्यों का जिक्र नहीं किया गया था. बाद में दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश ने भी दावा ठोका और विवाद गहराया. उसके बाद 1993 में दिल्ली और हरियाणा के बीच जल समझौता हुआ, जिसमें दिल्ली को पानी देने पर सहमति बनी. फिर 1994 में पांच राज्यों के बीच यमुना के जल को लेकर समझौता हुआ, जिसमें सभी राज्यों को उनके हिस्सा का पानी दिया जाता है. लेकिन उस समझौते में दिल्ली को सबसे अधिक फायदा हुआ. समझौते के अनुसार दिल्ली को जब भी पानी की जरूरत होगी इन राज्यों को उसे पानी देना होगा.