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भगवान को पाने का माध्यम है प्रेम : अखिलेशानंद जी

भगवान योगी के योग में नहीं आते, ज्ञानी के ज्ञान में नहीं आते. परम ब्रह्म परमात्मा स्वयं बालक बन करके दशरथ जी के महल में आते हैं. यहां आकर कौशल्या को बाल सुख का आनंद देते है.

नावकोठी. भगवान योगी के योग में नहीं आते, ज्ञानी के ज्ञान में नहीं आते. परम ब्रह्म परमात्मा स्वयं बालक बन करके दशरथ जी के महल में आते हैं. यहां आकर कौशल्या को बाल सुख का आनंद देते है. सभी भक्तों को प्रेम से प्रभु सुंदर बाल चरित्र करके आनंद प्रदान किये. उक्त बातें लड्डू गोपाल सेवा संस्थान वृंदावन के कथावाचक अखिलेशानंद जी ने मोहीउद्दीनपुर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस के कथा प्रवचन में कहीं. उन्होने श्री राम के बाल लीला का वर्णन करते हुए कहा कि मेरे राम जी का अवतार हुआ तो देवाधिदेव भोलेनाथ व काग भुसुंडि दोनों राम जी का दर्शन करने गये और दर्शन करके अपने जीवन को धन्य किया. रामावतार में सभी को आनंद मिल रहा है. महीने का दिन हो गयादशरथ जी के आनन्द का पारावार न रहा दशरथ की तरह प्रेम दशरथ की तरह नियम संयम के अंदर आये तो श्री राम की प्राप्ति हो जाती है. दशरथ का अर्थ है जिसकी दसों इंद्रियों पर संयम वह दशरथ है और ऐसे व्यक्ति को ही श्रीराम की प्राप्ति होती है. भगवान प्रेम के वशीभूत हैं जहां प्रेम होता है वहीं पर आप होते हैं. राम ही केवल प्रेम, प्यारा प्रभु को पाने का माध्यम प्रेम ही है. निश्छल प्रेम ही पूजा है, प्रेम है. प्रेम शास्त्र है. आलोक तथा सहयोगी कलाकार द्वारा प्रस्तुत भजन ठुमक चले रामचंद्र बाजत पैजनिया से वातावरण राममय हो गया. मौके पर राजेंद्र ठाकुर, रामपुकार ठाकुर, बिरजू मालाकार चंदन चौधरी,उदय रजक आदि का सक्रिय सहयोग था.

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