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राजगांगपुर : नगरपालिका ने खोला प्याऊ, कहीं पानी नहीं, तो कहीं लगा गंदगी का अंबार

गर्मी के मौसम में राहगीरों को राहत दिलाने के लिए सरकार की ओर से जल छत्र योजना चलायी जाती रही है. राजगांगपुर नगरपालिका ने इस वर्ष योजना के तहत कई स्थानों पर प्याऊ खोला है, लेकिन लोगों को पानी नहीं मिल रहा है.

राजगांगपुर. गर्मी के मौसम में राहगीरों को राहत दिलाने के लिए सरकार की ओर से जल छत्र योजना चलायी जाती रही है. चाराहों, सड़क किनारे तथा भीड़ वाले इलाकों में राहगीरों को ठंडा पानी मुहैया कराकर गर्मी से फौरी राहत पहुंचाना इसका उद्देश्य है. इस योजना पर प्रति वर्ष लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं. राजगांगपुर नगरपालिका की ओर से भी प्रत्येक वार्ड में कम से कम दो जल छत्र (प्याऊ) खोले जाते हैं. इसके लिए हर वर्ष जोर-शोर से प्रचार किया जाता है. लेकिन कहीं पर दो चार दिन, तो कहीं एक-दो सप्ताह इन जल छत्रों में रखे घड़ों में पानी भरा जाता है. बाद में ये घड़े या तो गायब हो जाते हैं, या सूखे पड़े रहते हैं. अधिकतर जल छत्रों में घड़े जमीन पर रखे जाते हैं तथा किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था या फिर रात के समय इन घड़ों की हिफाजत की कोई व्यवस्था ना होने के कारण शहर में घूमते आवारा पशु पानी को अशुद्ध कर देते हैं. कई बार तो घड़ों को तोड़ डालते हैं. जिससे योजना धरी की धरी रह जाती है.

प्रत्येक प्याऊ पर 23-26 हजार रुपये होते हैं खर्च

नगरपालिका की ओर से अस्थायी कुटिया का निर्माण कर छह मटके रखे जाते हैं. इन्हें लाल कपड़े से ढका जाता है. प्रत्येक जल छत्र के लिए 23-26 हजार रुपये का बजट निर्धारित होता है. इनमें एक श्रमिक की नियुक्ति करनी होती है, जिसे दैनिक 350 रुपये की दर से भुगतान करना होता है. लेकिन अक्सर देखा जाता है कि एक छोटा सा बैनर लगाकर 2-3 मटके रखकर कुछ दिनों तक रोजाना पानी भरा जाता है. बाद में मटके गायब हो जाते हैं.

शहर के अधिकतर प्याऊ में पानी नहीं

नगरपालिका की ओर से पिछले वर्ष प्याऊ के संचालन का जिम्मा स्वयं सहायता समूहों को दिया गया था. इस वर्ष पार्षदों को अपने-अपने वार्ड में प्याऊ खोलने व संचालन की जिम्मेदारी मिली है. लेकिन दो-तीन वार्डों को छोड़ दिया जाये, तो इस वर्ष भी स्थिति जस की तस है. अप्रैल महीने में चालू इन जल छत्रों में मई के महीने में पड़ रही भीषण गर्मी में जब पानी की अधिक जरूरत है, तब अधिकतर जल छत्र से या तो घड़े गायब हैं या फिर पानी नहीं है. इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

जांच कराकर काम के अनुसार किया जायेगा भुगतान : विक्टर सोरेंग

नगरपालिका के अधिकारी विक्टर सोरेंग से इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जायेगी तथा काम के अनुसार ही इसका भुगतान किया जायेगा. लोगों का मानना है कि इतने पैसों से अगर प्रति वार्ड प्रति वर्ष जगह निर्धारित कर ठंडे पानी की मशीन लगा दी जाये, तो पैसे का सदुपयोग होगा तथा राह चलते लोगों को साल भर तक पीने का पानी मिल सकेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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