Power ministry: देश के कई हिस्से भयंकर लू की चपेट में हैं. कई जगहों पर तापमान 50 के आसपास है. इस भयंकर गर्मी के बीच बिजली की मांग भी काफी बढ़ गयी है. बिजली की अधिक मांग को देखते हुए बिजली संयंत्रों में कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाया गया है. सरकार की कोशिशों का परिणाम है कि बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार 45 मीट्रिक टन से अधिक है. यह भंडार पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी अधिक है. बिजली संयंत्रों के पास मौजूदा कोयला भंडार से 19 दिनों की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. बिजली मंत्रालय के अनुसार मई 2024 के दौरान बिजली संयंत्रों में सिर्फ 10 हजार टन कोयले की कमी रही है. बिजली मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, रेल मंत्रालय और बिजली उत्पादक कंपनियों के प्रतिनिधियों वाले उप-समूह के प्रयास के कारण कोयले की आपूर्ति को बेहतर बनाने और आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में मदद मिली है.
कोयले की कमी को दूर करने के लिए बढ़ाया गया उत्पादन
बिजली की बढ़ती मांग के कारण अक्सर बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी की खबर सामने आती थी. इस कमी को दूर करने के लिए कई कदम उठाए गए, जिसमें कोयले का उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया गया. सरकार की कोशिश के कारण कोयला उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 8 फीसदी अधिक रहा है. पिट-हेड में कोयले का भंडार 100 मीट्रिक टन से अधिक है और इसके कारण बिजली संयंत्रों के लिए पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है. कोयले को बिजली संयंत्र तक पहुंचाने के लिए रेल मंत्रालय ने रेलवे रैक की संख्या में रोजाना 9 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है. इसके अलावा पोत परिवहन के माध्यम से भी इसे पहुंचाने का काम किया जा रहा है. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के कारण सोन नगर से दादरी तक रैक की आवाजाही काफी आसान हुई है. कोयला मंत्रालय मानसून के दौरान भी बिजली संयंत्रों में कोयले की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तैयारी की है.