मुजफ्फरपुर. अब बीआरएबीयू और इससे संबद्ध सभी कॉलेजों में शिक्षक, छात्र-छात्राओं व कर्मचारियों को बेसिक लाइफ सपोर्ट तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा. अचानक हृदय गति रुकने से होने वाली मौत की दर में कमी लाने को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने यह पहल की है. कहा है कि देश में प्रति वर्ष सडेन कार्डियक अरेस्ट से मरनेवालों की संख्या करीब एक करोड़ है. एक अध्ययन में पता चला है कि एक करोड़ में से दस लाख लोगों की मौत कार्डियक अरेस्ट से तब हुई जब वे अकेले थे. कार्डियक अरेस्ट के दौरान पहला 3 से 10 मिनट का समय महत्त्वपूर्ण होता है. यदि आसपास खड़े लोग छाती को दबाएं और इस तकनीक का प्रशिक्षण लें तो 3.5 लाख लोगों की जान बचायी जा सकती है. देश की कुल आबादी के महज 0.1 प्रतिशत लोग ही लोग बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में जानते हैं. अब कहा गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों मे पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स, शिक्षक व कर्मचारियों को अपने आसपास के लोगों को कार्डियक अरेस्ट से बचाने के लिए बेसिक लाइफ सपोर्ट का प्रशिक्षण दिया जाएगा. लक्ष्य है कि इस प्रशिक्षण के बाद तीन लाख से अधिक लोगों की जिंदगी प्रतिवर्ष बचायी जा सकेगी.
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